नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क ।
waqf: वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट 16 अप्रैल को सुनवाई करेगा। CJI संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली तीन-जजों की पीठ इस मामले की सुनवाई करेगी, जिसमें जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस केवी विश्वनाथन भी शामिल होंगे।
क्या है पूरा मामला?
- केंद्र सरकार ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 को पारित किया, जिसे 5 अप्रैल को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की मंजूरी मिली।
- 10 से अधिक याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई हैं, जिनमें ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB), जमीयत उलेमा-ए-हिंद, DMK, कांग्रेस, AIMIM और अन्य राजनीतिक दलों ने इस कानून को चुनौती दी है।
- केंद्र सरकार ने कैविएट दाखिल किया, जिसमें मांग की गई है कि बिना सरकार का पक्ष सुने कोई आदेश न दिया जाए।
वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन से जुड़े इस कानून में किए गए संशोधनों को लेकर विपक्ष और मुस्लिम संगठनों ने आपत्ति जताई है। उनका दावा है कि यह कानून...
✔ अल्पसंख्यक अधिकारों पर हमला है।
✔ वक्फ बोर्ड की स्वायत्तता को कमजोर करता है।
✔ सरकार को धार्मिक संपत्तियों पर अत्यधिक नियंत्रण देता है।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
- AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि यह कानून "मुस्लिम समुदाय के हितों के खिलाफ" है।
- DMK और कांग्रेस ने संसद में इसका विरोध किया था, लेकिन यह भाजपा-नीत NDA के बहुमत से पारित हो गया।
- केंद्र सरकार का तर्क है कि यह संशोधन वक्फ संपत्तियों के पारदर्शी प्रबंधन के लिए जरूरी है।
अगला कदम: 16 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट का फैसला इस मामले में अहम भूमिका निभाएगा। अगर कोर्ट कानून को बरकरार रखता है, तो यह केंद्र सरकार के लिए बड़ी जीत होगी। वहीं, अगर इसे चुनौती दी जाती है, तो राजनीतिक बहस और तेज हो सकती है।
क्यों यह खबर महत्वपूर्ण है?
🔹 धार्मिक और संवैधानिक मुद्दों पर बड़ा फैसला।
🔹 अल्पसंख्यक अधिकारों पर राष्ट्रीय बहस।
🔹 सरकार बनाम विपक्ष का एक और विवाद।