नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क । छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर में एक ऐसा भयावह मंजर सामने आया है, जहां शादी के पवित्र रिश्ते को दहेज के लोभियों ने तार-तार कर दिया। जयमाला हो चुकी थी, मुख्य रस्में शुरू होने वाली थीं, तभी दूल्हे पक्ष ने 2 लाख कैश, सोने की चेन, अंगूठी और एक चमचमाती कार की मांग रख दी। जब लड़की वालों ने अपनी लाचारी जताई, तो मानवता को शर्मसार करते हुए बारात बिना दुल्हन के ही लौट गई। रोते-बिलखते पिता की आंखों के सामने उनकी बेटी का सपना बिखर गया।
यह सिर्फ एक घटना नहीं, बल्कि हमारे समाज में आज भी गहरी जड़ें जमा चुके दहेज के दानव की कड़वी हकीकत है। इस दर्दनाक घटना ने अंबिकापुर को हिला दिया है और एक बार फिर दहेज के खिलाफ कड़े कानूनों के बावजूद, इसकी भयावहता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। आखिर कब तक बेटियां इस दानवी प्रथा की बलि चढ़ती रहेंगी?
दहेज का कलंक: मंडप से लौटी बारात, एक परिवार का टूटा सपना
छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर से आई यह खबर दिल दहला देने वाली है. नमनाकला में एक शादी का माहौल खुशियों से गुलजार था, लेकिन कुछ ही पलों में वह मातम में बदल गया। चिरमिरी से आई बारात ने शादी की सभी प्रारंभिक रस्में पूरी कर ली थीं। जयमाला का सुंदर कार्यक्रम भी हो चुका था, और अब बारी थी विवाह की मुख्य विधियों की, जो दो आत्माओं को पवित्र बंधन में बांधने वाली थीं। लेकिन तभी, दूल्हे पक्ष के लालची लोगों ने अपनी असलियत दिखा दी। उन्होंने अचानक लड़की पक्ष के सामने 2 लाख रुपये नकद, सोने की चेन, सोने की अंगूठी और एक चारपहिया वाहन की घिनौनी मांग रख दी।
कन्या पक्ष, जो पहले से ही शादी के खर्चों से जूझ रहा था, ने अपनी असमर्थता जताई। उन्होंने हाथ जोड़कर मिन्नतें की, अपनी आर्थिक स्थिति का हवाला दिया, लेकिन पैसों के भूखे उन लोगों पर इसका कोई असर नहीं हुआ। उनकी आंखें सिर्फ दहेज पर टिकी थीं। उन्होंने किसी भी दलील को सुनने से इनकार कर दिया और बिना शादी किए ही बारात लेकर वापस लौट गए।
आंखों में आंसू, दिल में दर्द: बेबस पिता की रुलाई
कल्पना कीजिए उस पिता की, जिसने अपनी बेटी के लिए सपने संजोए थे, जिसके लिए उसने पाई-पाई जोड़कर शादी का इंतजाम किया था। उसकी आंखों के सामने उसकी बेटी का जीवन तबाह हो रहा था। वह गिड़गिड़ाता रहा, रोता रहा, लेकिन दहेज के राक्षस ने उसकी एक न सुनी। लड़की और उसके परिवार को जान से मारने की धमकियां तक दी गईं और अभद्र गालियां भी दी गईं। यह सब उस पवित्र विवाह मंडप में हुआ, जहां रिश्ते बनने वाले थे, लेकिन दहेज ने उन्हें हमेशा के लिए तोड़ दिया।
यह घटना सिर्फ एक परिवार का दर्द नहीं है, यह उस पूरे समाज का दर्द है, जो आज भी दहेज जैसी कुप्रथा से जूझ रहा है। कानून होने के बावजूद, दहेज का दानव आज भी हमारे समाज में बेखौफ घूम रहा है, कई जिंदगियों को तबाह कर रहा है। अंबिकापुर की इस घटना ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि जब तक हमारी मानसिकता नहीं बदलती, तब तक ऐसी घटनाएं होती रहेंगी।
पुलिस की चौखट पर न्याय की गुहार
सामाजिक स्तर पर रिश्ते को बचाने की तमाम कोशिशें विफल होने के बाद, कन्या पक्ष ने न्याय के लिए पुलिस का दरवाजा खटखटाया। कोतवाली थाने में दूल्हा, उसकी दीदियों सहित कुल 7 लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई गई है। पुलिस ने दहेज प्रतिषेध अधिनियम और अन्य संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज कर लिया है और जांच शुरू कर दी है। उम्मीद है कि पुलिस इस मामले में सख्त कार्रवाई करेगी और दोषियों को कड़ी सजा मिलेगी, ताकि भविष्य में कोई और बेटी दहेज की बलि न चढ़े।
कब रुकेगा यह अत्याचार? समाज को जागना होगा!
सवाल यह है कि कब तक हमारे समाज में बेटियां इस दहेज के दानव की बलि चढ़ती रहेंगी? कब तक उनके सपने रौंदे जाते रहेंगे? यह सिर्फ सरकार या पुलिस का काम नहीं है, यह हम सबकी जिम्मेदारी है। हमें अपने बच्चों को बचपन से ही यह सिखाना होगा कि दहेज एक अपराध है, यह रिश्तों को खोखला कर देता है। हमें उन लोगों का बहिष्कार करना होगा जो दहेज मांगते हैं या देते हैं।
यह घटना एक चेतावनी है, एक अलार्म है। यह हमें याद दिलाती है कि दहेज का दानव आज भी हमारे बीच मौजूद है, और जब तक हम सब मिलकर इसके खिलाफ आवाज नहीं उठाएंगे, तब तक यह मासूम जिंदगियों को तबाह करता रहेगा।
अगर आप इस कहानी से सहमत हैं, या आपने भी दहेज से जुड़ी ऐसी कोई घटना देखी या सुनी है, तो कृपया अपनी राय कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं। आपकी एक आवाज शायद किसी और की जिंदगी बचा सके।
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