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सात करोड़ी रिश्वत कांड में चीफ जस्टिस के अड़ने से सिंघवी के छूटे पसीने

चीफ जस्टिस टस से मस नहीं हुए तो सुनवाई के अंत में सिंघवी ने हथियार डालते हुए कहा कि जो होना था, हो चुका है, कृपया ऐसा न करें। मैं बहस करने के लिए तैयार हूं।

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Shailendra Gautam
PUNJAB AND HARYANA HIGH COURT

नई दिल्ली,  वाईबीएन डेस्कः पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट ने गुरुवार को एक बार फिर निचली अदालत के स्पेशल जज से जुड़े 7 करोड़ की रिश्वतखोरी के मामले को रद्द करने की मांग वाली याचिका को वापस लेने की अनुमति देने से इनकार कर दिया। अब इस पर जुलाई में सुनवाई की जाएगी। रूप बंसल बनाम हरियाणा के केस में दिग्गज एडवोकेट अभिषेक मनु सिंघवी फिर से चंडीगढ़ पहुंचे। उन्होंने चीफ जस्टिस को मनाने की पुरजोर कोशिश की लेकिन चीफ जस्टिस ने रिट को वापस लेने की अनुमति नहीं दी। मामले के अब तूल पकड़ने की सूरत बन गई है, क्योंकि ईडी ये जांच कर रही है कि स्पेशल जज को जो 7 करोड़ के आसपास की रकम दी गई वो कहां से  आई थी।

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स्पेशल जज पर है सात करोड़ की रिश्वत लेने का आरोप

हरियाणा एंटी करप्शन ब्यूरो के मामले में स्पेशल जज सुधीर परमार (सीबीआई/पीएमएलए) पर मनी लान्ड्रिंग मामले में एम3एम और आईआरईओ समूह के मालिकों को अनुचित लाभ पहुंचाने का आरोप लगाया गया है। एम3एम समूह के निदेशक रूप बंसल, जो सह-आरोपी हैं। उन्होंने मामले को रद्द करने की मांग की है। बंसल की याचिका अब विवाद का विषय बन गई है। जनवरी से अब तक चार जजों को यह मामला सौंपा जा चुका है। न्यायपालिका भारत | Judiciary | Indian Judiciary

चीफ जस्टिस की औचक एंट्री के बाद हुआ बवाल

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ये मामला उस समय ज्यादा तूल पकड़ गया जब कुछ शिकायतों के बाद चीफ जस्टिस शील नागू ने इस महीने एक चौकाने वाला कदम उठाते हुए इसे सिंगल जज की बेंच से अलग कर दिया। उन्होंने मामले को निर्णय के लिए सुरक्षित रखा था। शील नागू अब स्वयं इस मामले की सुनवाई कर रहे हैं। उन्होंने मामले में फोरम शॉपिंग के प्रयासों का संकेत दिया है। इससे पहले 7 मई को भी याचिका वापस लेने के अनुरोध को खारिज कर दिया गया था।  trending 

सिंघवी देते रहे दलीलें पर चीफ जस्टिस बोले- रिट वापस नहीं होगी

बंसल की पैरवी कर रहे अभिषेक मनु सिंघवी ने गुरुवार को तर्क दिया कि करप्शन एक्ट की धारा 17ए के तहत अभियोजन स्वीकृति के बिना एसीबी एफआईआर दर्ज नहीं कर सकती। उन्होंने कहा कि आप भ्रष्टाचार के आरोप में निजी पक्ष के खिलाफ़ एक लंगड़ी एफआईआर, एक आंशिक एफआईआर, एक अपंग एफआईआर नहीं रख सकते हैं, न कि उस लोक सेवक के खिलाफ, जिसके साथ वह साजिश में शामिल है। सिंघवी ने सरकारी अफसरों पर मुकदमा चलाने के लिए स्वीकृति की आवश्यकता के प्रावधान के पीछे विधायी मंशा को लेकर दलीलें दीं। चीफ जस्टिस ने पूछा कि क्या पीसी एक्ट के तहत किसी मामले में शामिल निजी व्यक्ति के लिए भी ऐसी आवश्यकता मौजूद है। शील नागू ने कहा कि कानून स्पष्ट है। आप इससे कैसे बाहर निकल सकते हैं।

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जवाब में सिंघवी ने कहा कि धारा की व्याख्या केवल 17ए के मामलों में की गई है, जिसमें सरकारी अफसर शामिल हैं। यह अपराध की जांच शुरू करने में बाधा है। आप आंशिक अपराध की जांच नहीं कर सकते। जब यह 120बी है तो दोनों एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। हाईकोर्ट ने कहा कि यह संरक्षण केवल सरकारी कर्मचारी को ही उपलब्ध है। सिंघवी से कहा गया कि वो अपने तर्कों के समर्थन में सर्वोच्च न्यायालय का विस्तृत निर्णय दिखाएं। सिंघवी ने कहा कि उनके पास और भी मामले हैं।

चीफ जस्टिस  नहीं माने तो सिंघवी ने डाल दिए सारे हथियार

सुनवाई के अंत में सिंघवी ने मामले से जुड़े विवाद का स्पष्ट संदर्भ देते हुए कहा कि जो होना था, हो चुका है, कृपया ऐसा न करें। मैं बहस करने के लिए तैयार हूं। इसे या तो छुट्टी के तुरंत बाद या छुट्टी में सुनें, या मुझे वापस लेने की अनुमति दें। जस्टिस नागू ने वापसी के अनुरोध को अस्वीकार कर दिया। उन्होंने कहा कि वो पहले ही कह चुके हैं कि वापसी की अनुमति नहीं देंगे। वो मैरिट के आधार पर सुनवाई कर रहे हैं। इसके बाद न्यायालय ने मामले की सुनवाई 3 जुलाई तक के लिए स्थगित कर दी।

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सात करोड़ी कांड में ईडी की एंट्री के बाद मचा है हड़कंप

ईडी के अनुसार स्पेशल जज परमार ने आईआरईओ ग्रुप और एम3एम ग्रुप के मालिकों से 7 करोड़ रुपये तक की अवैध रिश्वत प्राप्त की थी। सह-आरोपी बंसल ने एफआईआर को रद्द करने के लिए अक्टूबर 2023 में उच्च न्यायालय का रुख किया, लेकिन जनवरी 2025 में याचिका वापस ले ली। इसके बाद उन्होंने वर्तमान याचिका दायर की। इस मामले में समय-समय पर विभिन्न वरिष्ठ वकील पेश हुए हैं। डॉ. अभिषेक मनु सिंघवी, पुनीत बाली, अधिवक्ता बलजीत बेनीवाल, सिद्धार्थ भारद्वाज और गगनदीप सिंह गुरुवार को याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए। जबकि दीपक बालयान ने हरियाणा राज्य का प्रतिनिधित्व किया। जोहेब हुसैन और लोकेश नारंग ने ईडी का प्रतिनिधित्व किया। ये दोनों जो बंसल की याचिका को खारिज करने में हस्तक्षेप कर रहे हैं।

Punjab and Haryana High Court, Chief Justice Sheel Nagu, Sheel Nagu, Judge Sudhir Parmar, Dr. Abhishek Manu Singhvi

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