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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क। चीन ने कहा कि भारत के साथ सीमा विवाद जटिल है और इसे हल होने में वक्त लगेगा। चीनी विदेश मंत्रालय ने भारत के साथ सीमा के निर्धारण (डिलिमिटेशन) पर बातचीत करने की इच्छा जाहिर की। चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा कि चीन और भारत ने सीमा विवाद के लिए खास सिस्टम डवेलप किया है। दोनों देशों के बीच अलग-अलग लेबल पर डिप्लोमेटिक और मिलिट्री कम्युनिकेशन सिस्टम मौजूद है। मंत्रालय ने आगे कहा कि चीन बॉर्डर निर्धारण जैसे मुद्दों पर भारत के साथ बातचीत बनाए रखने और बॉर्डर इलाकों में शांति और स्थिरता बनाए रखने के लिए तैयार है। हम क्रॉस बॉर्डर सहयोग को बढ़ावा देना चाहते हैं।
दोनों देशों में 23 बार स्पेशल प्रतिनिधि वार्ता
चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता माओ निंग से पूछा गया कि दोनों देशों के 23 बार स्पेशल प्रतिनिधि वार्ता हो चुकी है, लेकिन अब भी सीमा विवाद बना हुआ है। इस पर माओ निंग ने कहा कि सीमा विवाद जटिल है और इसे सुलझाने में समय लगेगा। अच्छी बात यह है कि दोनों देशों ने बातचीत के लिए कई सिस्टम डिवेलप किए हैं। हम उम्मीद करते हैं कि भारत भी चीन के साथ मिलकर काम करेगा और बॉर्डर इलाकों में शांति बनाए रखेगा।
भारत से बातचीत को तैयार है चीन तैयार है?
चीन ने भारत के साथ सीमा विवाद पर बातचीत जारी रखने की इच्छा जताई है। चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने कहा कि सीमा विवाद जटिल है और इसे सुलझाने में समय लगेगा, लेकिन चीन सीमा निर्धारण और प्रबंधन पर संवाद के लिए तैयार है। अक्टूबर 2024 के समझौते ने LAC पर तनाव कम करने में मदद की है, खासकर डेपसांग और डेमचोक में, जहां दोनों देश समन्वित गश्त कर रहे हैं। हालांकि, स्थायी समाधान के लिए और बातचीत की जरूरत है, क्योंकि LAC की परिभाषा पर दोनों देशों के अलग-अलग दावे हैं, और बुनियादी ढांचे का विकास (जैसे सड़कें, रोपवे) तनाव का कारण बना हुआ है।भारत ने सैन्य और बुनियादी ढांचे को मजबूत करने पर जोर दिया है, जैसे उत्तरी सीमा पर सड़कों और पुलों का निर्माण, ताकि किसी भी स्थिति के लिए तैयार रहा जाए।
कब प्रस्तावित है बातचीत?
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और चीनी रक्षा मंत्री डोंग जुन के बीच किंगदाओ में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) बैठक के दौरान बातचीत को आगे बढ़ाने पर चर्चा हुई। इससे पहले राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और वांग यी के बीच 23वें दौर की बातचीत हो चुकी है। उल्लेखनीय है कि भारत और चीन के बीच 3,488 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर सीमा विवाद दशकों पुराना है। पश्चिमी क्षेत्र (अक्साई चिन): यह लद्दाख में स्थित है, जिसे चीन प्रशासित करता है, लेकिन भारत इसे अपना हिस्सा मानता है। यह क्षेत्र 1962 के भारत-चीन युद्ध का प्रमुख कारण था।
पूर्वी क्षेत्र (अरुणाचल प्रदेश): चीन अरुणाचल प्रदेश के कुछ हिस्सों, खासकर तवांग, पर दावा करता है, जबकि भारत इसे अपना अभिन्न अंग मानता है। मैकमोहन रेखा, जो 1914 के शिमला समझौते से उत्पन्न हुई, इस विवाद का केंद्र है, जिसे चीन मान्यता नहीं देता।
प्रमुख घटनाएं और हालात
1962 का युद्ध: विवादित हिमालयी सीमा के कारण भारत-चीन युद्ध हुआ, जिसमें चीन ने अक्साई चिन पर नियंत्रण बनाए रखा। 2020 गलवान झड़प: जून 2020 में गलवान घाटी में हिंसक टकराव में 20 भारतीय सैनिक शहीद हुए, और कई चीनी सैनिकों के हताहत होने की खबर थी, हालांकि चीन ने आधिकारिक पुष्टि नहीं की। अक्टूबर 2024 में डेपसांग और डेमचोक में डिसएंगेजमेंट और समन्वित गश्त पर सहमति बनी, जिससे दोनों देशों के सैनिक 2020 से पहले की स्थिति में लौटने लगे। यह समझौता गश्त और चराई गतिविधियों को बहाल।china news | china news today | indvschina | india vs china not present in content