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Donald Trump टैरिफ को बड़ा झटका! Indian फार्मा पर China का बड़ा ऐलान | यंग भारत न्यूज Photograph: (X.com)
नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क ।अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को घेरने के लिए चीन ने बड़ा कूटनीतिक और व्यापारिक दांव चला है। जहां ट्रंप ने भारतीय फार्मा कंपनियों पर 100 प्रतिशत तक टैरिफ लगाया था, वहीं चीन ने अब भारतीय दवाओं पर लगने वाला 30 प्रतिशत आयात शुल्क (Tariff) हटाकर उसे शून्य कर दिया है।
यह फैसला चीन के बाजार में भारतीय दवाओं के लिए दरवाजे खोल देगा, जिससे ट्रंप के टैरिफ का असर कम होगा और तीनों महाशक्तियों की नई दोस्ती मजबूत होगी। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की 'अमेरिका फर्स्ट' नीति ने भारत के साथ व्यापारिक रिश्तों में तनाव पैदा किया था, खासकर भारतीय फार्मा उद्योग को निशाना बनाते हुए 100 प्रतिशत तक टैरिफ लगाया गया था। लेकिन अब, चीन ने ठीक इसके उलट कदम उठाया है।
पहले चीन लेता था 30 प्रतिशत टैरिफ
चीन ने भारतीय दवाओं पर लगने वाले भारी 30 प्रतिशत टैरिफ को खत्म कर दिया है। इसका सीधा मतलब है कि अब भारतीय दवाएं बिना किसी शुल्क के चीन के विशाल बाज़ार में बेची जा सकेंगी। यह सिर्फ एक व्यापारिक फैसला नहीं है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय राजनीति की बिसात पर चला गया एक बड़ा दाँव है। यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है जब एससीओ शिखर सम्मेलन के बाद भारत, चीन और रूस के बीच बढ़ती नजदीकी से अमेरिका पहले से ही चिंतित है।
SCO के बाद नई त्रिमूर्ति?
बीजिंग-मॉस्को-दिल्ली की बढ़ती दोस्ती कूटनीतिक गलियारों में माना जा रहा है कि चीन का यह फैसला डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ एक सोची-समझी रणनीति का हिस्सा है। रूस पहले से ही यूक्रेन पर अपने कड़े रुख को लेकर ट्रंप की धमकियों को नजरअंदाज कर रहा है।
वहीं, भारत, ट्रंप के टैरिफ पर प्रतिक्रिया न देकर, एक संतुलित कूटनीति का परिचय दे रहा है। तीनों महाशक्तियों- भारत, चीन और रूस का एक साथ आना अमेरिका के लिए बड़ी मुश्किल खड़ी कर सकता है। चीन का यह 'टैरिफ-शून्य' फैसला इसी नई 'त्रिमूर्ति' की ओर इशारा करता है, जो वैश्विक व्यापार और शक्ति संतुलन को प्रभावित कर सकता है।
ट्रेड डील की नई शुरुआत
जयशंकर का चीन दौरा और निवेश की पहल चीन लगातार भारतीय कंपनियों के लिए नरम रुख दिखा रहा है। हाल ही में चीन के राजदूत ने भारत का दौरा किया था, जिसके बाद विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने चीन का दौरा किया। ये हाई-प्रोफाइल मुलाकातें दोनों देशों के बीच ट्रेड डील की एक नई शुरुआत का संकेत देती हैं।
चीन के राजदूत ने तो भारतीय कंपनियों को चीन में निवेश के लिए आमंत्रित भी किया था और अमेरिका द्वारा भारत पर लगाए गए 50 प्रतिशत टैरिफ का खुलकर विरोध भी किया था।
चीन का फैसला क्यों है खास?
बाज़ार में पहुंच: 30 प्रतिशत टैरिफ हटने से भारतीय फार्मा कंपनियों को चीन के अरबों डॉलर के बाज़ार में सीधी पहुंच मिलेगी।
ट्रंप के टैरिफ का तोड़: अमेरिका के टैरिफ से हो रहे नुकसान की भरपाई चीन का बाज़ार कर सकता है।
कूटनीतिक संदेश: यह दुनिया को स्पष्ट संदेश है कि चीन भारत के साथ आर्थिक साझेदारी को मजबूत करना चाहता है।
विशेषज्ञों का कहना है कि यह चीन की 'चेक-एंड-बैलेंस' की नीति है, जिसके तहत वह भारत को आर्थिक लाभ देकर अमेरिका के प्रभाव को कम करना चाहता है। भारत की फार्मा ताकत दुनिया भर में प्रसिद्ध है और चीन के इस कदम से दोनों देशों का व्यापारिक संबंध नए शिखर पर पहुंच सकता है।
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