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Nepal में चल रही उथल-पुथल पर बोले CJI - 'हमें संविधान पर गर्व है'

नेपाल में सोशल मीडिया बैन के खिलाफ शुरू हुए विरोध-प्रदर्शनों ने हिंसक रूप ले लिया, जिससे प्रधानमंत्री को इस्तीफा देना पड़ा। जानें सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस ने इस उथल-पुथल पर चिंता जताते हुए भारतीय संविधान पर क्यों गर्व जताया?

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Ajit Kumar Pandey
Nepal में चल रही उथल-पुथल पर जानें क्या बोले भारत के Chief Justice? | यंग भारत न्यूज

Nepal में चल रही उथल-पुथल पर बोले CJI - 'हमें संविधान पर गर्व है' | यंग भारत न्यूज Photograph: (X.com)

नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क । भारत के सुप्रीम कोर्ट ने नेपाल में मचे राजनीतिक और संवैधानिक उथल-पुथल पर गहरी चिंता जताते हुए भारतीय संविधान की ताकत को याद दिलाया है। चीफ जस्टिस बीआर गवई ने देश के संविधान पर गर्व जताते हुए कहा कि पड़ोसी देशों में क्या हो रहा है, हमें उससे सबक लेना चाहिए। नेपाल में सोशल मीडिया पर प्रतिबंध के बाद शुरू हुए विरोध-प्रदर्शनों ने हिंसक रूप ले लिया था, जिसके बाद वहां के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को इस्तीफा देना पड़ा। 

सोशल मीडिया साइट एक्स पर @barandbench ने बताया है कि नेपाल में हालात अचानक खराब नहीं हुए। इसकी शुरुआत जेन-ज़ेड यानी युवाओं के एक बड़े समूह ने की। सरकार के 26 सोशल मीडिया साइट्स पर प्रतिबंध लगाने के फैसले ने आग में घी का काम किया। 

फेसबुक, इंस्टाग्राम और वॉट्सएप जैसे ऐप्स बंद होने से युवाओं का गुस्सा भड़क उठा। उन्हें लगा कि यह उनकी अभिव्यक्ति की आजादी पर सीधा हमला है। यह चिंगारी इतनी तेजी से फैली कि पूरे देश में विरोध-प्रदर्शन शुरू हो गए। 

सोशल मीडिया बैन के बाद सड़कों पर उतरे प्रदर्शनकारियों ने जल्द ही हिंसक रूप ले लिया। उन्होंने वरिष्ठ नेताओं के घरों में आग लगा दी, राजनीतिक पार्टियों के कार्यालयों में तोड़फोड़ की और यहां तक कि संसद भवन में भी आग लगा दी। 

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पुलिस की गोलीबारी में 19 से अधिक लोगों की मौत ने इस गुस्से को और भड़का दिया। यह केवल सोशल मीडिया बैन का मामला नहीं रहा, बल्कि यह नेपाल की भ्रष्ट शासन व्यवस्था के खिलाफ एक बड़ा विद्रोह बन गया। 

Nepal: PM ओली का इस्तीफा और सेना की तैनाती 

विरोध-प्रदर्शनों के दबाव में आकर नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को बीते मंगलवार को इस्तीफा देना पड़ा। यह नेपाल के लिए पिछले दो दशकों में सबसे बड़ी राजनीतिक उथल-पुथल थी। हालात को काबू में करने के लिए काठमांडू की सड़कों पर सैनिकों को तैनात करना पड़ा। 

सुप्रीम कोर्ट का बड़ा बयान: 'हमें संविधान पर गर्व है' 

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भारत में एक महत्वपूर्ण सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस बीआर गवई ने नेपाल के हालातों का जिक्र किया। सुप्रीम कोर्ट में यह सुनवाई इस बात पर हो रही थी कि राष्ट्रपति और राज्यपालों के पास राज्य विधानमंडलों द्वारा पारित बिलों पर फैसला लेने के लिए कोई समय-सीमा होनी चाहिए या नहीं। 

इसी दौरान जस्टिस गवई ने कहा, "हमें अपने संविधान पर गर्व है। देखिए हमारे पड़ोसी राज्यों में क्या हो रहा है... नेपाल में हमने देखा।" यह बयान सिर्फ एक टिप्पणी नहीं, बल्कि भारतीय संविधान की मजबूत नींव की एक यादगार सराहना थी। 

भारतीय संविधान क्यों है इतना खास? 

भारतीय संविधान में नागरिकों के अधिकार और शक्ति का स्पष्ट विभाजन सुनिश्चित किया गया है। राष्ट्रपति को किसी भी महत्वपूर्ण कानूनी मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट की सलाह लेने का अधिकार है। यह शक्ति संतुलन की व्यवस्था है जो सुनिश्चित करती है कि कोई भी सरकार निरंकुश न हो पाए। नेपाल में हुई घटनाओं के विपरीत, भारत में संवैधानिक संस्थाएं नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करती हैं, जिससे इस तरह के हिंसक विद्रोह की गुंजाइश कम हो जाती है। 

भारत को नेपाल से क्या सबक लेना चाहिए? 

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नेपाल की घटनाओं से यह स्पष्ट है कि जब सरकारें नागरिकों की आवाज को दबाने की कोशिश करती हैं, तो लोकतंत्र खतरे में पड़ जाता है। भारत को इस बात पर गर्व होना चाहिए कि उसका संविधान जनता की अभिव्यक्ति की आजादी और अधिकारों की रक्षा करता है। 

यह घटना हमें याद दिलाती है कि एक मजबूत, निष्पक्ष और संवैधानिक व्यवस्था किसी भी देश के लिए कितनी जरूरी है। यह भारत के लिए एक सतर्कता भरा संकेत भी है कि उसे अपने संवैधानिक मूल्यों की रक्षा हमेशा करनी चाहिए। 

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