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29 साल बाद ऐसे पकड़ा गया कोयंबटूर धमाकों का मास्टरमाइंड! | यंग भारत न्यूज Photograph: (Google)
नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क । आतंक का चेहरा, सादिक उर्फ राजा, 29 साल की फरारी के बाद आखिरकार आज गुरूवार 10 जुलाई 2025 को पुलिस के शिकंजे में है। 1998 के कोयंबटूर बम धमाकों और कई सांप्रदायिक हत्याओं का ये मुख्य आरोपी कर्नाटक से गिरफ्तार हुआ है। एक लंबे इंतज़ार के बाद तमिलनाडु पुलिस को मिली यह सफलता आतंकवाद के खिलाफ एक बड़ी जीत है।
आपको बता दें सादिक उर्फ राजा, जिसे 'टेलर राजा' और 'वलार्न्थ राजा' जैसे कई नामों से जाना जाता था, ठीक ऐसा ही एक शातिर अपराधी था। 1998 के कोयंबटूर बम धमाके, जिसने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था, उसका एक मुख्य सूत्रधार अब पुलिस की गिरफ्त में है। उसकी गिरफ्तारी एक ऐसे युग के अंत का प्रतीक है, जहां एक खूंखार अपराधी बेखौफ घूम रहा था।
#WATCH | Tamil Nadu Police have arrested Sadiq alias Raja alias Tailor Raja alias Valarntha Raja alias Shahjahan Abdul Majid Makandar alias Shahjahan Shaik, a key accused in 1998 Coimbatore bomb blast case and communal murder cases across Tamil Nadu. He was arrested by a special… pic.twitter.com/M8WHS4esNE
— ANI (@ANI) July 10, 2025
सादिक उर्फ राजा: खूंखार आतंक का दूसरा नाम
यह सिर्फ एक गिरफ्तारी नहीं, बल्कि न्याय की एक लंबी लड़ाई का नतीजा है। सादिक, जिसका असली नाम शाहजहां अब्दुल मजीद मकंदर था, कोयंबटूर का ही रहने वाला था। उसने 1996 से लेकर अब तक, 29 सालों तक पुलिस को चकमा दिया। यह सवाल उठता है कि कैसे एक व्यक्ति इतने लंबे समय तक अपनी पहचान छुपाकर फरार रह सकता था? यह कहानी सिर्फ उसकी गिरफ्तारी की नहीं, बल्कि उन अनगिनत रातों की भी है जो पुलिस ने उसे ढूंढने में बिताईं।
कोयंबटूर बम धमाके ने तमिलनाडु को दहला दिया था। उन धमाकों ने कई बेगुनाह लोगों की जान ले ली और समाज में भय का माहौल बना दिया। सादिक इन धमाकों के पीछे के दिमागों में से एक था। इसके अलावा, वह तमिलनाडु भर में हुई कई सांप्रदायिक हत्याओं में भी शामिल था, जिसने सामाजिक सद्भाव को तोड़ने का काम किया। उसकी फरारी, इन अपराधों के शिकार लोगों के लिए एक कसक बनी हुई थी, जो अब जाकर कुछ हद तक शांत हुई है।
1998 कोयंबटूर बम धमाके: सादिक इन भयानक हमलों का मुख्य आरोपी था।
सांप्रदायिक हत्याएं: तमिलनाडु में कई सांप्रदायिक हत्याओं में भी उसकी भूमिका थी।
29 साल की फरारी: 1996 से वह लगातार फरार था।
कैसे हुई गिरफ्तारी? 'एंटी-टेररिज्म स्क्वाड' का मास्टरप्लान
सादिक को पकड़ना आसान नहीं था। 29 साल तक वह लगातार अपनी पहचान बदलता रहा और अलग-अलग जगहों पर छिपा रहा। लेकिन, तमिलनाडु पुलिस की एंटी-टेररिज्म स्क्वाड और कोयंबटूर सिटी पुलिस की एक विशेष टीम ने हार नहीं मानी। उन्होंने लगातार उसका पीछा किया, गुप्त सूचनाओं पर काम किया और आखिरकार कर्नाटक के विजयपुरा जिले में उसे धर दबोचा। यह गिरफ्तारी दशकों की कड़ी मेहनत और गुप्त अभियानों का परिणाम है।
यह एक फिल्मी कहानी से कम नहीं है कि कैसे पुलिस ने इतने सालों बाद एक ऐसे अपराधी को ढूंढ निकाला, जिसे मरा हुआ मान लिया गया था या जिसके बारे में यह माना जाता था कि वह अब पकड़ा ही नहीं जाएगा। उसकी गिरफ्तारी न केवल पुलिस के लिए एक बड़ी उपलब्धि है, बल्कि उन सभी पीड़ितों के लिए भी एक राहत है, जिन्होंने इन भयानक अपराधों का दर्द झेला है।
जब सादिक को PRS (पुलिस रिक्रूट स्कूल) कैंपस लाया गया, तो वहां का माहौल देखने लायक था। सुरक्षा बढ़ा दी गई थी और हर तरफ पुलिसकर्मी मौजूद थे। उसकी गिरफ्तारी की खबर जंगल की आग की तरह फैल गई, जिससे लोगों में एक मिली-जुली भावना देखने को मिली - राहत, न्याय और आतंक के अंत की खुशी।
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