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मोदी सरकार ने कर प्रशासन व्यवस्था की विश्वसनीयता और प्रतिष्ठा खत्म की : Congress

भारत में टैक्स सिस्टम की निष्पक्षता और पारदर्शिता को लेकर लंबे समय से बहस चल रही है, लेकिन अब कांग्रेस ने एक नई रिपोर्ट का हवाला देते हुए सीधे-सीधे मोदी सरकार पर कर प्रशासन को पक्षपाती और अविश्वसनीय बनाने का गंभीर आरोप लगाया है।

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Ranjana Sharma
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नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क। 

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भारत में टैक्स सिस्टम की निष्पक्षता और पारदर्शिता को लेकर लंबे समय से बहस चल रही है, लेकिन अब कांग्रेस ने एक नई रिपोर्ट का हवाला देते हुए सीधे-सीधे मोदी सरकार पर कर प्रशासन को पक्षपाती और अविश्वसनीय बनाने का गंभीर आरोप लगाया है। पार्टी का कहना है कि अमीर और प्रभावशाली तबकों के बीच बड़े पैमाने पर टैक्स चोरी हो रही है, और सरकार इसे रोकने के बजाय चुनावी चंदे और राजनीतिक लाभ के लिए नजरअंदाज कर रही है। कांग्रेस का दावा है कि इससे न सिर्फ आर्थिक असमानता बढ़ी है, बल्कि भारत की कर व्यवस्था की विश्वसनीयता और संस्थागत प्रतिष्ठा भी कमजोर हुई है।

रिपोर्ट का हवाला

रमेश ने दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स के निदेशक डॉ. राम सिंह द्वारा तैयार किए गए एक शोध-पत्र का उल्लेख किया, जिसमें बताया गया है कि भारत के सबसे संपन्न वर्गों में बड़े पैमाने पर कर चोरी हो रही है। रिपोर्ट के मुताबिक, सबसे निचले 10 प्रतिशत परिवारों की घोषित आय उनकी संपत्ति के 188 प्रतिशत से भी अधिक है, जबकि शीर्ष 0.1 प्रतिशत परिवारों की रिपोर्ट की गई आय उनकी कुल संपत्ति का मात्र दो प्रतिशत है।
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कांग्रेस का आरोप

जयराम रमेश ने कहा, "अत्यधिक अमीर तबकों में आय-संपत्ति अनुपात का इतना कम होना इस बात का संकेत है कि टैक्स चोरी एक आम प्रवृत्ति बन चुकी है। इससे यह स्पष्ट होता है कि भारत की आयकर प्रणाली अब पक्षपातपूर्ण बन गई है, जहां अमीर वर्ग कर से बच निकलते हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि मोदी सरकार ने इस गहरी समस्या को दूर करने की दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। इसके उलट, उन्होंने दावा किया कि सरकार ने चुनावी बॉन्ड और राजनीतिक छापों के माध्यम से कर प्रशासन का राजनीतिकरण कर दिया है। रमेश ने यह भी कहा कि देश में यह संदेश फैल गया है कि अगर कोई व्यक्ति या कंपनी भाजपा को भारी चंदा देती है, तो उस पर की गई किसी भी कर चोरी को नजरअंदाज किया जा सकता है। उन्होंने इसे आर्थिक अन्याय और कर प्रणाली में असमानता की ओर बढ़ते खतरनाक संकेत बताया।
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