दिल्ली, वाईबीएन डेस्क: विश्व बैंककी हालिया रिपोर्ट में भारत की गरीबी रेखा में सुधार दिखाए जाने पर कांग्रेस नेताप्रमोद तिवारी ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि आंकड़ों में जो "सुधार" दिखाया जा रहा है, वह जमीनी हकीकत से बिल्कुल उलट है। तिवारी ने कहा कि गरीबों की स्थिति, विशेषकर बच्चों में कुपोषण के बढ़ते मामले, इस "सुधार" के दावे पर बड़ा सवाल खड़ा करते हैं।
आंकड़े बताते हुए दिखाई सच्चाई
प्रमोद तिवारी ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा, “मोदी सरकार के शासन में कमजोर वर्ग के बच्चों में कुपोषण के मामले सबसे ज्यादा देखे गए हैं।” उन्होंने बताया कि 2015-16 में अनुसूचित जाति (SC) के बच्चों में कुपोषण की दर 60.5% थी, जो 2019-21 में बढ़कर 70.3% तक पहुंच गई। इसी तरह पिछड़ा वर्ग (BC) के बच्चों में कुपोषण के मामले 63.3% से बढ़कर 73.9% हो गए हैं, जबकि अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) में यह आंकड़ा 58.6% से बढ़कर 66% पर पहुंच गया है। तिवारी के अनुसार, इन तीनों प्रमुख सामाजिक समूहों में लगभग 10 से 12 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है, जो चिंताजनक है।
भारत का गरीब अब कुपोषण का हो रहा शिकार
उन्होंने कहा कि भारत का गरीब अब कुपोषण के मामले में और गरीब हो गया है। वह अपने बच्चों का उचित पालन-पोषण करने में असमर्थ है। यह न सिर्फ एक सामाजिक विफलता है, बल्कि सरकार की कार्यप्रणाली पर भी बड़ा सवाल है। कांग्रेस नेता ने जोर देकर कहा कि कुपोषण से जुड़ा यह संकट केवल एक स्वास्थ्य या सामाजिक मुद्दा नहीं है, बल्कि यह सीधे तौर पर सरकार की प्राथमिकताओं और नीतियों पर सवाल खड़ा करता है। World Bank | Congress | bjp