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भारत के हीरा - झींगा - कपड़ा और कालीन पर संकट : जानें ट्रंप टैरिफ से कैसे निपटेगी सरकार? | यंग भारत न्यूज Photograph: (Google)
नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क । अमेरिका ने हाल ही में भारत के हीरे, झींगा, कपड़ा और कालीन जैसे प्रमुख निर्यात क्षेत्रों पर टैरिफ बढ़ा दिया है। इस फैसले से इन भारतीय कंपनियों की कमाई पर सीधा असर पड़ने की आशंका है। विशेषज्ञों का मानना है कि इसका प्रभाव न केवल कंपनियों की बैलेंस शीट पर दिखेगा, बल्कि इससे हजारों रोजगार भी प्रभावित हो सकते हैं। आइए जानते हैं कि यह फैसला भारतीय निर्यातकों और अर्थव्यवस्था के लिए कितना खतरनाक हो सकता है।
अमेरिका ने अपने घरेलू उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए एक बार फिर टैरिफ का सहारा लिया है। इस बार, इसका निशाना भारत के वे सेक्टर्स हैं, जिनकी अमेरिका में भारी मांग है। हीरे, जो गुजरात के सूरत से तराशे जाते हैं, अमेरिका के लिए भारत के सबसे बड़े निर्यात उत्पादों में से एक हैं। इसी तरह, आंध्र प्रदेश के झींगा, उत्तर भारत के कालीन और पूरे देश के कपड़ा उद्योग भी बड़े पैमाने पर अमेरिका को निर्यात करते हैं।
इस टैरिफ बढ़ोतरी का मतलब है कि अब भारतीय उत्पाद अमेरिका में महंगे हो जाएंगे। महंगे होने के कारण, अमेरिकी खरीदार दूसरे देशों से आयात करना पसंद कर सकते हैं या फिर स्थानीय उत्पादों की तरफ जा सकते हैं। इसका सीधा नुकसान भारत की उन कंपनियों को होगा, जो अपनी कमाई के लिए अमेरिकी बाजार पर बहुत ज्यादा निर्भर करती हैं।
US tariff hike to hit earnings of diamond, shrimp, textile, and carpet companies
— ANI Digital (@ani_digital) August 12, 2025
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इन सेक्टर्स पर क्या होगा असर?
1. हीरा उद्योग: सूरत का हीरा उद्योग वैश्विक स्तर पर जाना जाता है। यहां से तराशे गए हीरे अमेरिका में बड़ी संख्या में बिकते हैं। टैरिफ बढ़ने से भारतीय हीरे महंगे हो जाएंगे, जिससे इजरायल या चीन जैसे प्रतिस्पर्धियों को फायदा हो सकता है। इससे सूरत में हजारों कारीगरों की नौकरियों पर खतरा मंडरा सकता है।
2. झींगा निर्यात: भारत दुनिया में झींगा का सबसे बड़ा निर्यातक है, जिसका एक बड़ा हिस्सा अमेरिका को जाता है। टैरिफ बढ़ने से भारतीय झींगा की मांग घट सकती है, जिसका असर आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु के तटीय इलाकों में लाखों मछुआरों और प्रसंस्करण इकाइयों पर पड़ेगा।
3. कपड़ा और परिधान: भारतीय कपड़ा उद्योग भी अमेरिका को भारी मात्रा में निर्यात करता है। यह सेक्टर लाखों लोगों को रोजगार देता है। टैरिफ से बांग्लादेश, वियतनाम और चीन जैसे देशों से कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ेगा, जिससे भारतीय निर्यातकों का मार्जिन घट जाएगा।
4. कालीन उद्योग: उत्तर प्रदेश के भदोही और मिर्जापुर जैसे इलाके कालीन उद्योग का गढ़ हैं। यहां से बने हाथ से बुने हुए कालीन दुनिया भर में प्रसिद्ध हैं। टैरिफ बढ़ने से इन कारीगरों के बनाए गए कालीन अमेरिका में महंगे होंगे, जिससे उनकी बिक्री प्रभावित होगी और उनकी आजीविका पर संकट आ सकता है।
सरकार के सामने बड़ी चुनौती
भारत सरकार के लिए यह एक बड़ी चुनौती है। इन टैरिफ का मुकाबला करने के लिए सरकार को न केवल अमेरिका के साथ कूटनीतिक बातचीत करनी होगी, बल्कि इन प्रभावित सेक्टर्स को भी राहत देनी होगी। विशेषज्ञ मानते हैं कि सरकार को इन उद्योगों के लिए सब्सिडी या प्रोत्साहन पैकेज पर विचार करना चाहिए, ताकि वे अपनी लागत कम कर सकें और प्रतिस्पर्धी बने रह सकें।
यह मामला केवल व्यापार का नहीं, बल्कि लाखों भारतीयों की रोजी-रोटी का भी है। अगर सरकार ने जल्द कोई ठोस कदम नहीं उठाया, तो इन सेक्टर्स में भारी मंदी देखने को मिल सकती है।
अमेरिका में भारत के प्रमुख निर्यातों—हीरा, झींगा, कपड़ा और कालीन—का 2023-24 में कुल निर्यात मूल्य लगभग $21.6 बिलियन था। हालांकि, हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत से आयातित वस्तुओं पर 50% तक का नया शुल्क लगाया गया है, जो इन उद्योगों के लिए गंभीर आर्थिक संकट का कारण बन सकता है।
अमेरिका में भारत के प्रमुख निर्यात और उनका कारोबार
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1. हीरा और आभूषण (गहनों सहित)
निर्यात मूल्य (2023-24): लगभग $10 बिलियन (कुल निर्यात का लगभग 30%)
प्रमुख उत्पाद: कट और पॉलिश किए गए हीरे, सोने और चांदी के गहने, लैब-ग्रोव्ड डायमंड्स
निर्यात का हिस्सा: अमेरिका में लगभग 25% हीरा निर्यात से आय होती है
प्रभाव: नए 50% शुल्क के कारण मांग में गिरावट, छोटे निर्माताओं की बंदी, और उत्पादन में कमी की आशंका
2. झींगा (Seafood)
निर्यात मूल्य (2023-24): साल 2024-25 में भारत ने अमेरिका को 2 अरब डॉलर मूल्य के झींगा निर्यात किए।
निर्यात का हिस्सा: अमेरिका में लगभग 48% आय होती है।
प्रभाव: 50% शुल्क और प्रतिस्पर्धी देशों जैसे चिली और कनाडा से कम शुल्क के कारण भारतीय निर्यातकों की स्थिति कमजोर हो सकती है।
3. कपड़ा और वस्त्र (Textiles & Apparel)
निर्यात मूल्य (2023): लगभग $8.4 बिलियन
प्रमुख उत्पाद: होम टेक्सटाइल्स, बेड लिनन, तौलिए, और तैयार परिधान
प्रभाव: अमेरिका में होम टेक्सटाइल्स का लगभग 60% और कालीन का लगभग 50% निर्यात होता है; 50% शुल्क से इन उद्योगों की आय में 50-70% तक की गिरावट आ सकती है।
4. कालीन (Carpets)
निर्यात मूल्य (2023-24): लगभग $1.2 बिलियन।
निर्यात का हिस्सा: अमेरिका में लगभग 50% निर्यात होता है।
प्रभाव: 50% शुल्क के कारण निर्यातकों की आय में 50-70% तक की गिरावट की संभावना है।
प्रभावी तिथि और संभावित परिणाम
नया शुल्क लागू होने की तिथि: 7 अगस्त 2025 को 25% शुल्क लागू किया गया था, और 27 अगस्त 2025 से 50% शुल्क प्रभावी होगा।
संभावित परिणाम
आय में गिरावट: उपरोक्त उद्योगों में 50-70% तक की गिरावट की संभावना है।
रोजगार पर असर: लाखों श्रमिकों की नौकरियों पर संकट मंडरा रहा है।
प्रतिस्पर्धा में कमी: चीन, थाईलैंड, वियतनाम जैसे देशों के मुकाबले भारतीय उत्पाद महंगे हो सकते हैं।
निवेश में कमी: निवेशकों का विश्वास घट सकता है, जिससे विकास की गति धीमी हो सकती है।
भारत के लिए संभावित उपाय
विविधीकरण: नए निर्यात बाजारों की पहचान करना।
मूल्य संवर्धन: उत्पादों की गुणवत्ता और डिज़ाइन में सुधार करना।
सरकारी समर्थन: निर्यातकों के लिए वित्तीय सहायता और नीति समर्थन प्रदान करना।
बाजार विश्लेषण: प्रतिस्पर्धी देशों की नीतियों और शुल्क संरचनाओं का अध्ययन करना।
- आपसी व्यापार (2024-25): $131.84 बिलियन
- भारत से निर्यात (2024-25): $86.51 बिलियन ( 11.6%)
- फार्मा उत्पाद: $8.1 बिलियन
- टेलीकॉम उपकरण: $6.5 बिलियन
- हीरे, क़ीमती पत्थर: $5.3 बिलियन
- पेट्रोलियम उत्पाद: $4.1 बिलियन
- सोना, जेवर: $3.2 बिलियन
- रेडीमेड कपड़े: $2.8 बिलियन
- लोहा, स्टील: $2.7 बिलियन
- अमेरिका से निर्यात (2024-25): $45.33 बिलियन ( 7.44%)
- विनिर्माण निर्यात: लगभग $42 बिलियन (2024 में)
- व्यापार संतुलन: $41.18 बिलियन (भारत के पक्ष में)
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चीन: चीन पर 51% का भारी-भरकम टैरिफ लगा है, जबकि चीन ने अमेरिकी निर्यात पर औसतन 32.6% का शुल्क लगा रखा है।
वियतनाम: वियतनाम फिलहाल इस तूफान से बचने में कामयाब दिख रहा है। जुलाई की शुरुआत में अमेरिका ने वियतनाम की वस्तुओं पर 20% टैरिफ और चीन जैसे देशों से होकर आने वाली शिपमेंट पर 40% शुल्क लगाने की बात कही थी।
इंडोनेशिया: इंडोनेशिया को 19% टैरिफ का सामना करना पड़ रहा है, जो पहले प्रस्तावित 32% से काफी कम है। इसे अमेरिकी बाजार में बिना जवाबी शुल्क के पूरी पहुंच देने का भी वादा किया गया है।
जापान: जापान पर 15% का मामूली टैरिफ लगाया गया है, लेकिन इसके बदले में जापान ने अमेरिकी अर्थव्यवस्था में $550 बिलियन के निवेश का वादा किया है।
मलेशिया और श्रीलंका: मलेशिया को भारत की तरह 25% टैरिफ का सामना करना पड़ रहा है। श्रीलंका पर 30% का भारी शुल्क लगाया गया है, जिससे यह क्षेत्र के सबसे ज्यादा प्रभावित देशों में से एक बन गया है।
फिलीपींस: फिलीपींस के साथ ट्रंप ने एकतरफा सौदा किया है, जिसमें अमेरिकी सामान बिना किसी टैरिफ के फिलीपींस जा सकेंगे, लेकिन फिलीपींस के निर्यात पर 19% शुल्क लगाया गया है।
भारत पर लगा 25% टैरिफ, चीन जितना अधिक नहीं है, लेकिन कई अन्य एशियाई देशों की तुलना में काफी अधिक है, खासकर जब कोई व्यापार समझौता नहीं हुआ है।
अमेरिका के 25% टैरिफ का भारतीय उद्योगों पर असर
स्मार्टफोन: भारत से अमेरिका को निर्यात होने वाले सबसे बड़े उत्पादों में स्मार्टफोन हैं, जिनमें Apple iPhone असेंबली भी शामिल है। वित्त वर्ष 2025 में भारत ने अमेरिका को $24.1 बिलियन के स्मार्टफोन निर्यात किए थे। 25% टैरिफ से यह क्षेत्र सबसे ज्यादा प्रभावित हो सकता है, जिससे भारत में असेंबल किए गए iPhones महंगे हो जाएंगे।
फार्मा उत्पाद: भारत से जेनेरिक दवाओं और संबंधित उत्पादों का अमेरिका को निर्यात लगभग $10 बिलियन है, जो भारत के कुल फार्मा निर्यात का लगभग 31-35% है। अगर इन्हें टैरिफ बढ़ोतरी से छूट नहीं मिलती है, तो अमेरिका में भारतीय दवाओं की कमी और कीमतों में वृद्धि हो सकती है।
टेक्सटाइल: भारत ने वित्त वर्ष 2025 में अमेरिका को लगभग $10.8 बिलियन के परिधान निर्यात किए थे, जो कुल टेक्सटाइल निर्यात का लगभग 28% है। अमेरिका अभी भारतीय टेक्सटाइल पर 10-12% टैरिफ लगाता है, और अतिरिक्त 25% से भारतीय परिधान व्यापारियों को बड़ा झटका लग सकता है।
रत्न और आभूषण: भारत ने वित्त वर्ष 2025 में अमेरिका को लगभग $12 बिलियन के रत्न और आभूषण निर्यात किए थे। चूंकि इन वस्तुओं पर पहले से ही 27% का टैरिफ है, तो अतिरिक्त 25% टैरिफ से व्यापार में मुनाफे का मार्जिन बुरी तरह प्रभावित होगा।
ऑटो पार्ट्स: भारत ने 2024 में अमेरिका को लगभग $2.2 बिलियन के ऑटो पार्ट्स और कंपोनेंट्स निर्यात किए थे। इस क्षेत्र में भी निर्यात प्रभावित होने की आशंका है, जिससे भारत के इंजीनियरिंग गुड्स सेक्टर पर भी असर पड़ेगा।
लोहा-स्टील उद्योग: लोहे और स्टील पर भी अधिक असर पड़ने की संभावना है।
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