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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क | राजस्व खुफिया निदेशालय (DRI) ने ब्रांडेड लक्जरी फर्नीचर के आयात में भारी सीमा शुल्क चोरी के एक बड़े मामले का भंडाफोड़ किया है। इस प्रकरण में फर्जी दस्तावेजों और गलत घोषणाओं के जरिए करीब 30 करोड़ रुपये की कर चोरी की गई, जिसे अंजाम देने के आरोप में तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
फर्जी कंपनियों के नाम से बिल
वित्त मंत्रालय द्वारा जारी बयान के अनुसार, जांच में सामने आया है कि एक लाभार्थी व्यापारी, नामी यूरोपीय और इतालवी ब्रांड्स से लक्जरी फर्नीचर आयात कर रहा था, लेकिन इन उत्पादों के बिल फर्जी कंपनियों के नाम से दुबई जैसे टैक्स हेवन में तैयार किए जा रहे थे। वहीं, सिंगापुर में स्थित एक बिचौलिए की मदद से नकली आयातकों के नाम पर जाली बिल तैयार किए जाते थे, जिनमें फर्नीचर को "नॉन-ब्रांडेड" बताकर उसकी कीमत काफी कम बताई जाती थी।
मूल्य वास्तविक कीमत से 70% से 90% तक कम
इन दस्तावेजों के आधार पर कस्टम विभाग से मंजूरी ली जाती थी और इसके बाद माल एक स्थानीय बिचौलिए के जरिए दिखावे के लाभार्थी को सौंपा जाता था, जबकि असली सामान सीधे ग्राहक तक पहुंचा दिया जाता था। प्रारंभिक जांच में यह भी सामने आया है कि फर्नीचर का मूल्य वास्तविक कीमत से 70% से 90% तक कम दर्शाया गया था, जिससे अनुमानित 30 करोड़ रुपये की सीमा शुल्क चोरी हुई।
मिलीभगत कर इस पूरी साजिश को दिया अंजाम
डीआरआई ने खुफिया जानकारी के आधार पर कई स्थानों पर छापेमारी की, जिनमें कारोबारी कार्यालय, गोदाम, फ्रेट कंपनियों के कार्यालय, सीमा शुल्क ब्रोकर और संबंधित संस्थाएं शामिल थीं। जांच से यह भी स्पष्ट हुआ कि नकली आयातक, स्थानीय बिचौलिया और लाभार्थी व्यापारी आपस में मिलीभगत कर इस पूरी साजिश को अंजाम दे रहे थे।
गौरतलब है कि इससे पहले मई 2025 में भी डीआरआई ने इसी तरह की एक कार्यप्रणाली का पर्दाफाश किया था, जिसमें मुखौटा कंपनियों का इस्तेमाल कर लक्जरी फर्नीचर के आयात का मूल्यांकन कम किया गया था और उसमें भी 20 करोड़ रुपये से ज्यादा की कर चोरी हुई थी। उस मामले में भी तीन लोगों की गिरफ्तारी हुई थी।