Advertisment

Cyber अपराधों के तूफान ने बढ़ाई चिंता, क्या कहती है NCRB की ताजा रिपोर्ट?

NCRB की 'क्राइम इन इंडिया 2023' रिपोर्ट भारत में अपराध के परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण बदलाव को दर्शाती है। रिपोर्ट के अनुसार, कुल अपराधों की संख्या 2022 के मुकाबले 7.2 प्रतिशत बढ़कर 62.4 लाख तक पहुंच गई। जानें हर पांच सेकेंड में कितने अपराध हुए दर्ज?

author-image
Ajit Kumar Pandey
Cyber अपराधों के तूफान ने बढ़ाई चिंता, क्या कहती है NCRB की ताजा रिपोर्ट? | यंग भारत न्यूज

Cyber अपराधों के तूफान ने बढ़ाई चिंता, क्या कहती है NCRB की ताजा रिपोर्ट? | यंग भारत न्यूज Photograph: (X.com)

नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क ।भारत की अपराधी दुनिया में एक अजीबोगरीब संतुलन उभर रहा है। एक तरफ पारंपरिक हिंसा के प्रतीक हत्याओं की संख्या में मामूली गिरावट दर्ज की गई है, वहीं दूसरी ओर डिजिटल दुनिया का काला चेहरा साइबर अपराधों के रूप में तेजी से फैल रहा है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की एक रिपोर्ट 'क्राइम इन इंडिया 2023' ने इन बदलावों को उजागर किया है, जो न केवल कानून प्रवर्तन एजेंसियों के लिए चुनौती है, बल्कि समाज के हर वर्ग के लिए एक चेतावनी का संकेत भी। 

समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार, NCRB की रिपोर्ट में साल 2023 में कुल अपराधों की संख्या 2022 के मुकाबले 7.2 प्रतिशत बढ़कर 62.4 लाख तक पहुंच गई। हर पांच सेकंड में एक अपराध दर्ज होने की यह सच्चाई बताती है कि अपराध की गति रुकने का नाम नहीं ले रही। लेकिन सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि जहां शारीरिक हिंसा जैसे हत्या के मामले थोड़े पीछे हटे हैं, वहीं साइबर अपराधों में 31.2 प्रतिशत की उछाल ने पूरे सिस्टम को हिलाकर रख दिया है। 

अनुसूचित जनजाति समुदायों के खिलाफ अपराधों में 28.8 प्रतिशत की वृद्धि ने सामाजिक न्याय की नींव को हिला दिया है। यह रिपोर्ट न केवल आंकड़ों का संग्रह है, बल्कि एक दर्पण है जो दिखाता है कि भारत का अपराध परिदृश्य कैसे डिजिटल युग की गिरफ्त में आ रहा है। आइए, इन आंकड़ों की गहराई में उतरें और समझें कि ये संख्या क्या संदेश दे रही हैं। 

Advertisment

हत्याओं में गिरावट: पारंपरिक हिंसा पर लगाम या छिपी सच्चाई? 

NCRB की रिपोर्ट में हत्या के मामलों को लेकर एक सकारात्मक संकेत मिला है। 2022 में जहां 28,522 हत्याएं दर्ज की गई थीं, वहीं 2023 में यह संख्या घटकर 27,721 रह गई। यानी 2.8 प्रतिशत की कमी। प्रति लाख आबादी पर हत्या की दर भी 2.0 से घटकर 1.9 हो गई। 

यह आंकड़ा बताता है कि पुलिस की सक्रियता और सामुदायिक जागरूकता के प्रयासों का कुछ असर दिख रहा है। लेकिन, क्या यह गिरावट वास्तविक है? विशेषज्ञों का मानना है कि यह केवल सतही लग रही है। NCRB के अनुसार, हत्याओं का प्रमुख कारण 'विवाद' रहा, जिसमें 9,209 मामले शामिल हैं। इसके बाद 'व्यक्तिगत प्रतिशोध या दुश्मनी' से जुड़े 3,458 मामले और 'लाभ' के लिए की गई 1,890 हत्याएं। 

ये आंकड़े दर्शाते हैं कि पारिवारिक झगड़े, संपत्ति विवाद और आर्थिक लालच अभी भी हिंसा के मूल स्रोत बने हुए हैं। दिल्ली विश्वविद्यालय के अपराधशास्त्र विशेषज्ञ प्रोफेसर राजेश कुमार बताते हैं, "हत्या के मामलों में कमी का श्रेय बेहतर फॉरेंसिक जांच और सीसीटीवी कवरेज को दिया जा सकता है, लेकिन ग्रामीण इलाकों में रिपोर्टिंग की कमी एक बड़ी समस्या है। कई मामले तो दर्ज ही नहीं होते।" 

Advertisment

प्रोफेसर राजेश कुमार की यह टिप्पणी रिपोर्ट के उस हिस्से से मेल खाती है जहां कहा गया है कि महानगरों में अपराध दर की गणना 2011 की जनगणना पर आधारित है, जो पुरानी हो चुकी है। इसके अलावा, रिपोर्ट में साधारण चोट के 21.3 प्रतिशत मामलों का उल्लेख है, जो बताता है कि छोटी-मोटी हिंसा अभी भी व्यापक है। 

दंगों से जुड़े 1,707 मामले (कुल का 13.2 प्रतिशत) और बलात्कार के 1,189 मामले (9.2 प्रतिशत) अनुसूचित जनजाति समुदाय के संदर्भ में चिंताजनक हैं। कुल मिलाकर, हत्याओं की गिरावट एक छोटी जीत है, लेकिन अपराध की जड़ें अभी भी गहरी हैं। 

Cyber अपराधों के तूफान ने बढ़ाई चिंता, क्या कहती है NCRB की ताजा रिपोर्ट? | यंग भारत न्यूज
Cyber अपराधों के तूफान ने बढ़ाई चिंता, क्या कहती है NCRB की ताजा रिपोर्ट? | यंग भारत न्यूज Photograph: (Google)
Advertisment

साइबर अपराधों का उफान: डिजिटल भारत की काली परछाईं 

अगर हत्याओं की गिरावट ने थोड़ी राहत दी है, तो साइबर अपराधों की बाढ़ ने सबको चिंतित कर दिया है। NCRB रिपोर्ट के मुताबिक, 2023 में साइबर अपराधों के 86,420 मामले दर्ज किए गए, जो 2022 के 65,893 मामलों से 31.2 प्रतिशत अधिक हैं। प्रति लाख आबादी पर साइबर अपराध दर 4.8 से बढ़कर 6.2 प्रतिशत हो गई। हर घंटे औसतन 10 साइबर अपराध दर्ज हो रहे थे- यह संख्या डिजिटल दुनिया की असुरक्षा को उजागर करती है। साइबर फ्रॉड, ऑनलाइन धोखाधड़ी, हैकिंग और डेटा चोरी जैसे अपराधों ने मध्यम वर्ग को सबसे ज्यादा निशाना बनाया है। 

NCRB की रिपोर्ट में उल्लेख है कि अधिकांश मामले वित्तीय धोखाधड़ी से जुड़े थे, जहां लोग फर्जी ऐप्स या लिंक्स के जरिए ठगे गए। साइबर सेल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, "पैंडेमी के बाद स्मार्टफोन यूजर्स की संख्या दोगुनी हो गई, लेकिन जागरूकता नहीं बढ़ी। अब तो बच्चे से लेकर बुजुर्ग तक शिकार हो रहे हैं।" यह वृद्धि केवल आंकड़ों तक सीमित नहीं है। इसका असर अर्थव्यवस्था पर भी पड़ रहा है। 

भारतीय रिजर्व बैंक के अनुमान के अनुसार, साइबर फ्रॉड से 2023 में अरबों रुपये का नुकसान हुआ। NCRB की रिपोर्ट सुझाव देती है कि साइबर क्राइम पोर्टल की स्थापना और त्वरित रिपोर्टिंग सिस्टम को मजबूत करने की जरूरत है। लेकिन सवाल यह है कि क्या मौजूदा कानून जैसे आईटी एक्ट 2000 पर्याप्त हैं? 

साइबर विशेषज्ञों का कहना है कि नई तकनीकों जैसे AI-जनरेटेड डीपफेक से निपटने के लिए कानूनी ढांचा अपडेट होना चाहिए। 

एक दिल दहला देने वाली मिसाल है मुंबई की एक युवती जिसे ऑनलाइन डेटिंग ऐप के जरिए ब्लैकमेल किया गया। ऐसे हजारों मामले अनदेखे रह जाते हैं। साइबर अपराधों की यह लहर न केवल व्यक्तिगत सुरक्षा को खतरे में डाल रही है, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी खतरा बन रही है।

अनुसूचित जनजातियों पर बढ़ते अत्याचार: सामाजिक न्याय की परीक्षा 

NCRB की रिपोर्ट का सबसे दर्दनाक अध्याय है अनुसूचित जनजाति समुदायों के खिलाफ अपराधों का। 2022 में 10,064 मामलों से बढ़कर 2023 में 12,960 मामले दर्ज हुए- 28.8 प्रतिशत की उछाल। प्रति लाख आबादी पर अपराध दर 9.6 से 12.4 हो गई। यह आंकड़ा संविधान के अनुच्छेद 46 का उल्लंघन करता प्रतीत होता है, जो आदिवासी समुदायों की सुरक्षा की गारंटी देता है। 

NCRB रिपोर्ट में बताया गया है कि एसटी के खिलाफ अपराधों में साधारण चोट के मामले सबसे ज्यादा (21.3 प्रतिशत) हैं, उसके बाद दंगे (13.2 प्रतिशत) और बलात्कार (9.2 प्रतिशत)। ये आंकड़े मुख्य रूप से झारखंड, ओडिशा और मध्य प्रदेश जैसे आदिवासी बहुल राज्यों से आ रहे हैं। भूमि विवाद, वन संसाधनों पर कब्जा और सांस्कृतिक संघर्ष इन अपराधों के पीछे प्रमुख कारण हैं। 

सामाजिक कार्यकर्ता और आदिवासी अधिकारों की पैरोकार ममता कहती हैं, "ये आंकड़े केवल संख्या नहीं, बल्कि समुदाय की पीड़ा का प्रतिबिंब हैं। विकास के नाम पर विस्थापन हो रहा है, और न्याय की पहुंच दूर है।" 

NCRB के अनुसार, 2011 की जनगणना पर आधारित ये दरें वास्तविकता से मेल नहीं खा रही, क्योंकि आदिवासी आबादी में वृद्धि हुई है। फिर भी, रिपोर्ट का यह हिस्सा सरकार को मजबूर करता है कि पोस्को एक्ट और एस/एसटी एक्ट के कार्यान्वयन को सख्ती से सुनिश्चित किया जाए। 

एक हालिया घटना छत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र की है, जहां आदिवासी महिलाओं पर हमले बढ़े हैं। ऐसे मामलों में देरी से न्याय मिलना सामाजिक तनाव को और भड़का रहा है। यह वृद्धि न केवल मानवाधिकारों का उल्लंघन है, बल्कि लोकतंत्र की नींव को कमजोर कर रही है। 

Cyber अपराधों के तूफान ने बढ़ाई चिंता, क्या कहती है NCRB की ताजा रिपोर्ट? | यंग भारत न्यूज
Cyber अपराधों के तूफान ने बढ़ाई चिंता, क्या कहती है NCRB की ताजा रिपोर्ट? | यंग भारत न्यूज Photograph: (Google)

महिलाओं के खिलाफ अपराध: मामूली वृद्धि, गहरी चिंता 

महिलाओं की सुरक्षा के मोर्चे पर NCRB रिपोर्ट एक मिश्रित संदेश देती है। 2022 के 4.45 लाख मामलों से बढ़कर 2023 में 4,48,211 मामले दर्ज हुए- केवल 0.4 प्रतिशत की वृद्धि। लेकिन यह 'मामूली' लगने वाली संख्या वास्तव में एक चेतावनी है। 

घरेलू हिंसा, यौन उत्पीड़न और दहेज हत्या जैसे अपराध अभी भी प्रमुख हैं। NCRB की रिपोर्ट में बलात्कार के कुल मामलों का उल्लेख है, लेकिन एसटी संदर्भ में 1,189 मामले विशेष रूप से चिंताजनक हैं। राष्ट्रीय स्तर पर, महिलाओं के खिलाफ अपराध दर 66.4 प्रति लाख से बढ़कर 66.6 हो गई। 

महिला आयोग की पूर्व सदस्य और कानूनी विशेषज्ञ डॉ. इंदिरा कहती हैं, "NCRB के आंकड़े सतह पर हैं। वास्तविक संख्या दोगुनी हो सकती है, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में। निर्भया फंड का उपयोग बढ़ाने और फास्ट-ट्रैक कोर्ट्स को मजबूत करने की जरूरत है।" यह वृद्धि लिंग असमानता की गहरी जड़ों को इंगित करती है, जहां शिक्षा और आर्थिक स्वावलंबन ही समाधान का रास्ता हैं। 

NCRB रिपोर्ट के निहितार्थ: क्या है आगे का रास्ता? 

NCRB की यह रिपोर्ट साल 2023 के अपराध परिदृश्य को एक कठोर आईना दिखाती है। हत्याओं में कमी एक सकारात्मक कदम है, लेकिन साइबर अपराधों और ST अत्याचारों की वृद्धि नई चुनौतियां पैदा कर रही है। कुल अपराधों में 7.2 प्रतिशत की बढ़ोतरी बताती है कि कानून व्यवस्था पर दबाव बढ़ रहा है। 

सरकार को अब डिजिटल साक्षरता अभियान चलाने, आदिवासी क्षेत्रों में पुलिस स्टेशनों की संख्या बढ़ाने और महिलाओं के लिए एकीकृत हेल्पलाइन सिस्टम विकसित करने पर फोकस करना होगा। NCRB के महानिदेशक ने रिपोर्ट जारी करते हुए कहा, "ये आंकड़े हमें दिशा दिखाते हैं। डेटा-ड्रिवन अप्रोच से ही अपराधों पर अंकुश लगेगा।" समाज को भी जागरूक होना होगा। स्कूलों से लेकर कार्यालयों तक साइबर सुरक्षा की ट्रेनिंग अनिवार्य हो। 

नोट: यह रिपोर्ट पूरी तरह मूल विश्लेषण और विशेषज्ञ अंतर्दृष्टि पर आधारित है। स्रोत: NCRB 'क्राइम इन इंडिया 2023'।

NCRB Report 2023 | Crime Surge India | Cyber Crime Boom | Every 5 Seconds

Every 5 Seconds Cyber Crime Boom Crime Surge India NCRB Report 2023
Advertisment
Advertisment