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बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे द्वारा CIA दस्तावेज़ों के आधार पर कांग्रेस पर लगाए गए रूसी फंडिंग के गंभीर आरोप | यंग भारत न्यूज Photograph: (GOogle)
नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क ।एक सनसनीखेज आरोप ने भारतीय राजनीति में भूचाल ला दिया है! बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने CIA के एक 'अवर्गीकृत' दस्तावेज का हवाला देते हुए दावा किया है कि कांग्रेस के 150 से अधिक सांसद सोवियत रूस से फंडेड थे। क्या यह भारत की संप्रभुता पर सबसे बड़ा हमला था? आगे जानिए इस खुलासे की पूरी सच्चाई!
भारतीय राजनीति में एक बार फिर पुराने पन्नों से भूचाल आ गया है। बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने एक ऐसे दावे से हड़कंप मचा दिया है, जो अगर सच निकला, तो कांग्रेस पार्टी के इतिहास पर एक गहरा धब्बा लगा देगा। दुबे ने अमेरिकी खुफिया एजेंसी CIA के एक अवर्गीकृत (unclassified) दस्तावेज़ का हवाला दिया है, जो 2011 में जारी हुआ था। इसमें दावा किया गया है कि सोवियत रूस ने भारतीय राजनीति में बड़े पैमाने पर हस्तक्षेप किया था और कांग्रेस के कई नेताओं को अपनी मुट्ठी में रखा था।
"...Around that time, 1100 people from Russian intelligence agencies were in India, keeping bureaucrats, business organisations, communist parties, and opinion makers in their pockets, shaping India’s policies along with information? Congress candidate Subhadra Joshi took 5 lakh… pic.twitter.com/1nM3FiNJq3
— ANI (@ANI) June 30, 2025
150 से अधिक कांग्रेस सांसद, रूस के 'एजेंट' होने का आरोप!
सोचिए, अगर ये आरोप सही हैं तो भारत जैसे लोकतांत्रिक देश के लिए कितनी शर्म की बात होगी। निशिकांत दुबे के ट्वीट के मुताबिक, CIA के दस्तावेज में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि दिवंगत कांग्रेस नेता एच.के.एल. भगत के नेतृत्व में 150 से भी अधिक कांग्रेस सांसदों को सोवियत रूस से पैसा मिला था। क्या इसका मतलब यह है कि ये सांसद भारत के नहीं, बल्कि रूस के एजेंट के तौर पर काम कर रहे थे? ये सवाल सीधे-सीधे हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा और लोकतांत्रिक मूल्यों पर चोट करते हैं।
पत्रकार भी थे शामिल? 16,000 'मैनेज्ड' ख़बरें!
यह आरोप सिर्फ नेताओं तक सीमित नहीं है, बल्कि पत्रकारिता के पेशे पर भी गंभीर सवाल उठाता है। दुबे ने दावा किया है कि पत्रकारों का एक समूह भी रूस के एजेंट के रूप में काम कर रहा था। सबसे चौंकाने वाली बात तो यह है कि उस दौर में रूस ने कुल 16,000 समाचार लेख प्रकाशित करवाए थे! क्या इन लेखों के माध्यम से भारत की राय को एक खास दिशा में मोड़ने की कोशिश की जा रही थी? क्या हमारी खबरें भी 'मैनेज्ड' थीं? यह बेहद गंभीर आरोप है और इसकी गहन जांच की जानी चाहिए।
1100 रूसी खुफिया अधिकारी भारत में, क्या कर रहे थे?
दस्तावेज में एक और हैरान करने वाला दावा है। उस समय लगभग 1100 रूसी खुफिया अधिकारी भारत में मौजूद थे। दुबे के अनुसार, ये अधिकारी नौकरशाहों, व्यावसायिक संगठनों और कम्युनिस्ट पार्टियों के साथ मिलकर भारत की नीतियों को प्रभावित कर रहे थे और सूचनाओं को भी नियंत्रित कर रहे थे। क्या इसका मतलब है कि भारत की संप्रभुता के साथ खिलवाड़ हो रहा था और हमारी अपनी नीतियां किसी और के इशारे पर बन रही थीं?
सुभद्रा जोशी और जर्मन सरकार से फंडिंग का आरोप
निशिकांत दुबे ने कांग्रेस नेता सुभद्रा जोशी का भी जिक्र किया है। उनके मुताबिक, सुभद्रा जोशी ने चुनाव के नाम पर जर्मन सरकार से 5 लाख रुपये लिए थे। चुनाव हारने के बाद वह इंडो-जर्मन फोरम की अध्यक्ष बन गईं। ये आरोप बताते हैं कि विदेशी ताकतों का भारत की राजनीति में किस कदर दखल था। दुबे ने सीधे-सीधे सवाल उठाया है कि "क्या यह देश है या गुलामों, एजेंटों और दलालों की कठपुतली?"
कांग्रेस को देना होगा जवाब! जांच की मांग क्यों?
ये आरोप किसी एक व्यक्ति पर नहीं, बल्कि एक पूरी पार्टी पर हैं। कांग्रेस को इन गंभीर आरोपों का जवाब देना होगा। क्या उस समय सचमुच ऐसा हुआ था? क्या विदेशी फंडिंग ने भारत की लोकतांत्रिक प्रक्रिया को प्रभावित किया था? निशिकांत दुबे ने कांग्रेस से साफ-साफ पूछा है कि क्या इन आरोपों पर आज जांच होनी चाहिए या नहीं?
ये खुलासे अगर प्रमाणित होते हैं, तो भारतीय राजनीति में एक ऐतिहासिक मोड़ साबित हो सकते हैं। यह सिर्फ अतीत का मामला नहीं, बल्कि भविष्य के लिए एक सबक है कि कैसे हमें बाहरी हस्तक्षेप से अपने देश की रक्षा करनी है।
आपका नजरिया इस खबर पर क्या है? क्या आपको लगता है कि इन आरोपों की गहन जांच होनी चाहिए? नीचे कमेंट कर अपनी राय जरूर साझा करें।
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