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रक्षा संबंधी संसदीय समिति ने कई परियोजनाओं का लिया जायजा, जानें बैठक में क्या-क्या हुआ?

संसदीय समिति ने DRDO के बेंगलुरु मुख्यालय का दौरा कर एयरोनॉटिकल परियोजनाओं की समीक्षा की। यह दौरा भारत के रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता और पारदर्शिता लाने के लिए महत्वपूर्ण है। इससे DRDO पर रक्षा कार्यक्रमों को समय पर पूरा करने का दबाव बढ़ेगा।

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Ajit Kumar Pandey
रक्षा संबंधी संसदीय समिति ने कई परियोजनाओं का लिया जायजा, जानें बैठक में क्या-क्या हुआ? | यंग भारत न्यूज

रक्षा संबंधी संसदीय समिति ने कई परियोजनाओं का लिया जायजा, जानें बैठक में क्या-क्या हुआ? | यंग भारत न्यूज Photograph: (Google)

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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क । भारत के रक्षा क्षेत्र में एक बड़ी हलचल सामने आई है। रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) के लिए यह सप्ताह बेहद महत्वपूर्ण रहा। संसदीय स्थायी समिति (SCoD) के सदस्यों ने DRDO के बेंगलुरु स्थित मुख्यालय का दौरा किया और कई बड़े रक्षा कार्यक्रमों की समीक्षा की। इस दौरे के दौरान जो जानकारी सामने आई है, वह देश की सुरक्षा और रक्षा आत्मनिर्भरता के लिए एक नई उम्मीद जगाती है।

भारत की रक्षा प्रणाली में आत्मनिर्भरता की ओर एक बड़ा कदम उठाया गया है। हाल ही में, रक्षा मामलों की संसदीय स्थायी समिति (SCoD) ने बेंगलुरु में DRDO के विभिन्न केंद्रों का दो दिवसीय दौरा किया। इस दौरे का मुख्य उद्देश्य चल रहे महत्वपूर्ण रक्षा कार्यक्रमों और परियोजनाओं की मौजूदा स्थिति का जायजा लेना था। समिति के अध्यक्ष राधा मोहन सिंह के नेतृत्व में सदस्यों ने DRDO के शीर्ष अधिकारियों के साथ गहन चर्चा की।

इस बैठक में, रक्षा अनुसंधान और विकास विभाग के सचिव और DRDO के अध्यक्ष ने समिति को एयरोनॉटिकल सिस्टम और टेक्नोलॉजी में हो रहे नवीनतम विकास और तकनीकी प्रगति के बारे में विस्तार से जानकारी दी। यह दौरा इसलिए भी अहम है, क्योंकि यह सीधे तौर पर भारत की वायुसेना की ताकत और भविष्य की हवाई सुरक्षा से जुड़ा है।

क्या है इस दौरे का मतलब?

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रक्षा क्षेत्र के जानकारों का मानना है कि संसदीय समिति का यह दौरा केवल एक औपचारिकता नहीं था, बल्कि यह भारत के रक्षा तंत्र में पारदर्शिता और जवाबदेही लाने का एक प्रयास है। समिति के सदस्य न केवल मौजूदा परियोजनाओं की प्रगति जानना चाहते थे, बल्कि यह भी समझना चाहते थे कि इन परियोजनाओं में कौन सी चुनौतियां आ रही हैं और उन्हें कैसे दूर किया जा सकता है।

DRDO की नई उड़ान: एयरोनॉटिकल टेक्नोलॉजी पर विशेष ध्यान देना यह संकेत देता है कि भारत अब अपने लड़ाकू विमान, ड्रोन और अन्य हवाई प्रणालियों के विकास पर तेजी से काम कर रहा है।

आत्मनिर्भरता की राह: इस बैठक से यह भी साफ हुआ कि DRDO विदेशी निर्भरता को कम करने और स्वदेशी तकनीक को मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध है।

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तेजी से काम करने का दबाव: समिति की तरफ से किए गए इस निरीक्षण से DRDO पर परियोजनाओं को समय पर पूरा करने का दबाव बढ़ेगा, जिससे देश की सुरक्षा जरूरतों को जल्द से जल्द पूरा किया जा सकेगा।

यह दौरा DRDO के लिए एक महत्वपूर्ण समीक्षा थी, जिसके बाद यह उम्मीद की जा रही है कि आने वाले समय में भारत को अपने ही देश में बनी हुई अत्याधुनिक रक्षा प्रणालियां मिलेंगी। यह देश की सुरक्षा के लिए एक बड़ा मील का पत्थर साबित हो सकता है।

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