Advertisment

भारतीय सेना में ‘गुर्जर रेजिमेंट’ के गठन की मांग, दिल्ली हाई कोर्ट ने खारिज की जनहित याचिका

भारतीय सशस्त्र सेना में गुर्जर समुदाय के लिए एक रेजिमेंट के गठन करने की मांग को लेकर दाखिल की गई जनहित याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट ने सुनवाई से इनकार कर दिया है। दिल्ली हाई कोर्ट ने ऐसी मांग के लिए याचिका दाखिल करने पर याचिकाकर्ता को फटकार भी लगाई है।

author-image
YBN News
delhihicourt

delhihicourt Photograph: (ians)

Listen to this article
0.75x 1x 1.5x
00:00 / 00:00

नई दिल्ली, आईएएनएस। भारतीय सशस्त्र सेना में गुर्जर समुदाय के लिए एक रेजिमेंट के गठन करने की मांग को लेकर दाखिल की गई जनहित याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट ने सुनवाई से इनकार कर दिया है। दिल्ली हाई कोर्ट ने ऐसी मांग के लिए याचिका दाखिल करने पर याचिकाकर्ता को फटकार भी लगाई है।

Advertisment

कानून या संविधान के अधिकार

दिल्ली हाई कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए पूछा कि किस कानून या संविधान के अधिकार के तहत इस तरह की याचिका दाखिल की गई है। साथ ही पीठ ने यह भी कहा कि क्या कानून या संविधान में ऐसा कोई अधिकार दिया गया है, जिसके तहत आप सेना में ऐसी रेजिमेंट बनाने की मांग कर रहे हैं।

भारतीय सशस्त्र सेना

Advertisment

दरअसल, दिल्ली हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका दाखिल की गई थी, जिसमें मांग की गई थी कि भारतीय सशस्त्र सेना में गुर्जर समुदाय के लिए एक रेजिमेंट का गठन किया जाए। हालांकि, दिल्ली हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीके उपाध्याय और जस्टिस तुषार राव गेडेला की पीठ ने इस याचिका को खारिज कर दिया। याचिका में कहा गया कि गुर्जर रेजिमेंट के गठन से भारतीय सेना को मजबूती मिलेगी और ऐतिहासिक रूप से योद्धा समुदाय को भर्ती से फायदा होगा।

भारतीय सशस्त्र सेना

याचिका में यह भी कहा गया कि गुर्जर समुदाय जम्मू और कश्मीर, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, पंजाब और उत्तराखंड जैसे रणनीतिक सीमावर्ती क्षेत्रों में रहते हैं, जहां उन्होंने भारत की रक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। गुर्जरों ने 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय रूप से भाग लिया था, जहां उन्होंने मेरठ, बुलंदशहर, मुजफ्फरनगर और राजस्थान सहित कई क्षेत्रों में ब्रिटिश शासन के खिलाफ विद्रोह किया था। ब्रिटिश औपनिवेशिक अभिलेखों में गुर्जर योद्धाओं के ब्रिटिश सेना के खिलाफ आवाज बुलंद करने के सबूत भी हैं।

Advertisment

भारतीय सशस्त्र सेना

इस पर पीठ ने कहा, "किस कानून या संविधान के अधिकार के तहत इस तरह की याचिका दाखिल की गई है। क्या कानून या संविधान में ऐसा कोई अधिकार दिया गया है, जिसके तहत आप सेना में ऐसी रेजिमेंट बनाने की मांग कर रहे हैं।"

हालांकि, बाद में बेंच ने कहा कि उन्हें याचिकाकर्ता के वकील ने बताया है कि वे अपनी याचिका वापस लेना चाहते हैं। इसलिए, याचिका को वापस लेने के आधार पर इसे खारिज किया जाता है।

Advertisment

 

Advertisment
Advertisment