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आजकल सोशल मीडिया (social media) का नशा हर उम्र के लोगों पर चढ़ा हुआ है। बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक, सभी सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर रहे हैं। बच्चों के सोशल मीडिया इस्तेमाल करने पर कई बार चिंता भी जताई गई। कई देशों में नाबालिग बच्चों के सोशल मीडिया इस्तेमाल करने पर प्रतिबंध है। भारत में भी कई लोग 13 साल से कम उम्र के बच्चों के सोशल मीडिया इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाने की मांग कर रहे हैं। इसे लेकर एक जनहित याचिका दायर की गई थी, जिस पर सुप्रीम कोर्ट (supreme court) ने कहा है कि इस पर संसद को कानून बनाने को कहा जाये।
सुप्रीम कोर्ट ने 13 साल से कम उम्र के बच्चों के सोशल मीडिया इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाने वाली याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया। न्यायमूर्ति बी. आर. गवई और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए वकील से कहा, ‘‘यह नीतिगत मामला है, आप संसद से कानून बनाने के लिए कहें।’’ पीठ ने कहा, ‘‘हम मौजूदा याचिका पर विचार करने के इच्छुक नहीं हैं, क्योंकि राहत नीतिगत दायरे में आती है।’’ याचिका का निपटारा करते हुए पीठ ने याचिकाकर्ता को प्राधिकरण के समक्ष अभ्यावेदन करने की छूट प्रदान की। पीठ ने कहा कि अगर ऐसा कोई अभ्यावेदन किया जाता है, तो उस पर आठ सप्ताह के भीतर कानून के अनुसार विचार किया जाना चाहिए।
आपको बता दें कि दुनिया के अलग-अलग देशों में सोशल मीडिया के इस्तेमाल को लेकर अलग-अलग नियम और प्रतिबंध हैं। ऑस्ट्रेलिया में 16 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स का इस्तेमाल करने पर बैन है। फ्रांस में 15 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिए माता-पिता की परमिशन लेना जरूरी है। जर्मनी में 13 से 16 वर्ष के बच्चों को सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने के लिए माता-पिता की परमिशन की आवश्यकता होती है। अमेरिका में भी 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के सोशल मीडिया इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाने के लिए विचार किया जा रहा है।
आपको बता दें कि‘जेप फांउंडेशन’ ने इसे लेकर याचिका दायर की थी। इस याचिका में सुप्रीम कोर्ट से केंद्र और अन्य को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर बच्चों की पहुंच को विनियमित करने के लिए बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण जैसी मजबूत आयु सत्यापन प्रणाली की शुरुआत को अनिवार्य करने के लिए निर्देश देने की अपील की गई है। अधिवक्ता मोहिनी प्रिया के माध्यम से दायर याचिका में बाल सुरक्षा नियमों का पालन करने में विफल रहने वाले सोशल मीडिया मंच के लिए सख्त दंड लागू करने का भी अनुरोध किया गया है।