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अंबानी परिवार पर संकट : अब ED ने धीरूभाई अंबानी नॉलेज सिटी पर मारा छापा, जानें — क्या है पूरा मामला?

ED ने धीरूभाई अंबानी नॉलेज सिटी पर मारा छापा, अनिल अंबानी की कंपनियों पर 3000 करोड़ के बैंक ऋण धोखाधड़ी का आरोप। क्या ये कार्रवाई अंबानी परिवार के लिए नई मुश्किलें खड़ी करेगी? जांच जारी है।

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Ajit Kumar Pandey
अंबानी परिवार पर संकट : अब ED ने धीरूभाई अंबानी नॉलेज सिटी पर मारा छापा, जानें — क्या है पूरा मामला? | यंग भारत न्यूज

अंबानी परिवार पर संकट : अब ED ने धीरूभाई अंबानी नॉलेज सिटी पर मारा छापा, जानें — क्या है पूरा मामला? | यंग भारत न्यूज Photograph: (Google)

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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क ।ईडी की टीम ने 25 जुलाई 2025 को नवी मुंबई स्थित धीरूभाई अंबानी नॉलेज सिटी (DAKC) में बड़ी कार्रवाई की है। ये छापेमारी अनिल अंबानी की कंपनियों के खिलाफ 3,000 करोड़ रुपये के बैंक ऋण धोखाधड़ी से जुड़े धन शोधन मामले में हुई है। इस अचानक हुई कार्रवाई ने देश के सबसे बड़े औद्योगिक घरानों में से एक को फिर सुर्खियों में ला दिया है।

प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने नवी मुंबई में स्थित धीरूभाई अंबानी नॉलेज सिटी (DAKC) पर बड़ा छापा मारा। इस कार्रवाई ने अनिल अंबानी की कंपनियों से जुड़े 3,000 करोड़ रुपये के कथित बैंक ऋण धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जांच को और तेज कर दिया है। DAKC, जो 56 हेक्टेयर में फैला एक विशाल प्रौद्योगिकी पार्क है, अब ईडी की जांच के केंद्र में आ गया है। इस कार्रवाई ने एक बार फिर अंबानी परिवार को मुश्किलों में डाल दिया है।

यह पहला मौका नहीं है जब रिलायंस समूह की कंपनियां जांच के घेरे में आई हैं। ईडी ने गुरुवार को भी अनिल अंबानी की कंपनियों के खिलाफ कई स्थानों पर छापेमारी की थी। इन छापों का मुख्य मकसद 3,000 करोड़ रुपये के कथित अवैध ऋण डायवर्जन और कुछ अघोषित विदेशी संपत्तियों की जांच करना था। अब सवाल यह है कि क्या यह जांच अनिल अंबानी के लिए नई मुसीबतें खड़ी करेगी और उनके व्यावसायिक साम्राज्य पर इसका क्या असर होगा?

3000 करोड़ रुपये का ऋण धोखाधड़ी: क्या है असली कहानी?

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ईडी सूत्रों के मुताबिक, यह पूरा मामला 2017 से 2019 के बीच यस बैंक द्वारा अंबानी की समूह कंपनियों को दिए गए लगभग 3,000 करोड़ रुपये के ऋण डायवर्जन से जुड़ा है। ये आरोप काफी गंभीर हैं क्योंकि जांच एजेंसी का मानना है कि ऋण दिए जाने से ठीक पहले यस बैंक के प्रमोटरों को उनके व्यवसाय में बड़ी रकम "प्राप्त" हुई थी। ईडी अब इस "रिश्वत" और ऋण के गठजोड़ की गहनता से जांच कर रही है। क्या यह एक सुनियोजित घोटाला था?

जांच के दायरे में रिलायंस पावर और रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर जैसी कंपनियां भी शामिल हैं, हालांकि दोनों कंपनियों ने नियामक फाइलिंग में कहा है कि ईडी की कार्रवाई का उनके व्यावसायिक परिचालन पर "बिल्कुल कोई प्रभाव नहीं" पड़ा है। कंपनियों का कहना है कि ये मीडिया रिपोर्टें रिलायंस कम्युनिकेशंस लिमिटेड (RCom) या रिलायंस होम फाइनेंस लिमिटेड (RHFL) के लेनदेन से संबंधित हैं, जो 10 साल से अधिक पुराने हैं। लेकिन क्या सच में ऐसा है?

ईडी की जांच के प्रमुख बिंदु: किन आरोपों पर कसा शिकंजा?

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ईडी ने अपनी जांच में कई "घोर उल्लंघनों" का पता लगाया है, जिनमें शामिल हैं:

पिछली तारीख के ऋण अनुमोदन ज्ञापन: यानी, ऋण को मंजूरी देने से पहले ही कागजी कार्यवाही पूरी कर ली गई थी।

बैंकों की ऋण नीति का उल्लंघन: नियमों को ताक पर रखकर ऋण स्वीकृत किए गए।

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बिना जांच/ऋण विश्लेषण के निवेश: बिना किसी उचित मूल्यांकन के बड़े निवेश किए गए।

ऋण का डायवर्जन: कथित तौर पर ऋण को कई समूह कंपनियों और "फर्जी" कंपनियों में "हटा" दिया गया।

कमजोर वित्तीय स्थिति वाली संस्थाओं को ऋण: ऐसी कंपनियों को ऋण दिए गए जिनकी वित्तीय स्थिति ठीक नहीं थी।

ये आरोप संकेत देते हैं कि बैंकों, शेयरधारकों, निवेशकों और अन्य सार्वजनिक संस्थानों को धोखा देने की एक "सुनियोजित और सोची-समझी योजना" हो सकती है। यह केवल एक कंपनी का मामला नहीं, बल्कि एक बड़े वित्तीय जाल का हिस्सा प्रतीत होता है।

मामले की जड़ें और आगे की राह

यह धन शोधन का मामला सीबीआई की कम से से कम दो प्राथमिकियों और राष्ट्रीय आवास बैंक, सेबी, राष्ट्रीय वित्तीय रिपोर्टिंग प्राधिकरण (NFRA) तथा बैंक ऑफ बड़ौदा द्वारा ईडी के साथ साझा की गई रिपोर्टों से जुड़ा है। यानी, यह मामला कई एजेंसियों के रडार पर रहा है।

अनिल अंबानी के लिए यह एक बड़ी चुनौती है क्योंकि ईडी की कार्रवाई उनके पहले से ही मुश्किल में फंसे समूह के लिए और दबाव बढ़ा सकती है। धीरूभाई अंबानी नॉलेज सिटी पर छापा मारना ईडी की गंभीरता को दर्शाता है। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि यह जांच किस दिशा में जाती है और क्या अनिल अंबानी इन गंभीर आरोपों से बाहर निकल पाएंगे।

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