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चुनाव आयोग का जबरदस्त पलटवार : 'सबूत है तो दो — वरना वोटर्स और चुनाव कर्मियों को चोर मत बोलो' | यंग भारत न्यूज Photograph: (Google)
नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क । आज गुरूवार 14 अगस्त 2025 को वोट चोरी के आरोपों पर चुनाव आयोग (ECI) ने कड़ा रुख अपनाया है। आयोग ने कहा है कि भारत के पहले चुनाव (1951-52) से ही 'एक व्यक्ति, एक वोट' का कानून है। अगर किसी के पास किसी भी चुनाव में किसी व्यक्ति द्वारा दो बार वोट डालने का सबूत है, तो उसे लिखित हलफनामे के साथ चुनाव आयोग को सौंपना चाहिए।
चुनाव आयोग ने मतदाताओं को 'चोर' कहने की प्रवृत्ति पर नाराजगी जताई है। आयोग का कहना है कि 'वोट चोरी' जैसे शब्दों का इस्तेमाल कर एक झूठी कहानी गढ़ने की कोशिश हो रही है। यह न केवल करोड़ों भारतीय मतदाताओं पर सीधा हमला है, बल्कि लाखों चुनाव कर्मियों की ईमानदारी पर भी एक गंभीर वार है। आयोग का यह बयान उन सभी आरोपों का करारा जवाब है, जो अक्सर चुनावी प्रक्रिया पर सवाल उठाते हैं।
क्या है 'एक व्यक्ति, एक वोट' का कानून?
यह कानून भारत के संविधान और जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसके अनुसार, हर पात्र नागरिक को केवल एक वोट देने का अधिकार है। यह सुनिश्चित करने के लिए, चुनाव आयोग मतदाता सूची को लगातार अपडेट करता रहता है। फर्जी वोटिंग को रोकने के लिए मतदान केंद्रों पर कड़ी सुरक्षा और पहचान प्रक्रिया का पालन किया जाता है।
Election Commission of India says that the law for “One Person One Vote” has been in existence since the first election of India in 1951-1952. If anyone has any proof of any person actually voting twice in any election, it should be shared with ECI with a written affidavit…
— ANI (@ANI) August 14, 2025
चुनाव आयोग ने क्या कहा?
स्पष्ट चुनौती: आयोग ने कहा कि अगर किसी के पास 'वोट चोरी' का सबूत है तो उसे लिखित हलफनामे के साथ पेश करे।
सम्मान की अपील: मतदाताओं को 'चोर' कहना बंद करें, यह लोकतंत्र के लिए हानिकारक है।
कर्मचारियों का बचाव: चुनाव प्रक्रिया में लगे लाखों कर्मचारियों की ईमानदारी पर सवाल न उठाएं।
क्यों उठ रहे हैं 'वोट चोरी' के आरोप?
चुनाव के बाद अक्सर कुछ राजनीतिक दल या व्यक्ति चुनावी प्रक्रिया पर सवाल उठाते हैं। कई बार ये आरोप ईवीएम (EVM) में गड़बड़ी या फर्जी वोटिंग से जुड़े होते हैं। सोशल मीडिया पर भी ऐसे दावे तेज़ी से फैलते हैं। लेकिन चुनाव आयोग का मानना है कि इन आरोपों का कोई पुख्ता सबूत नहीं दिया जाता।
चुनाव आयोग की चुनौती के मायने
यह पहली बार नहीं है जब चुनाव आयोग को इस तरह के आरोपों का सामना करना पड़ा है। लेकिन इस बार का बयान काफी कड़ा और सीधा है। आयोग ने स्पष्ट कर दिया है कि वह बिना सबूत के लगाए जाने वाले आरोपों को अब और बर्दाश्त नहीं करेगा। यह बयान उन सभी लोगों को एक चेतावनी भी है जो चुनावी प्रक्रिया की विश्वसनीयता को कमजोर करने का प्रयास करते हैं।
मतदाताओं और चुनाव कर्मियों का सम्मान
चुनाव आयोग ने अपने बयान में मतदाताओं और चुनाव कर्मियों के सम्मान की बात पर जोर दिया है। लाखों की संख्या में चुनाव कर्मी अपनी जान जोखिम में डालकर निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करते हैं। उनके प्रयासों को बिना किसी सबूत के संदिग्ध बताना न केवल गलत है बल्कि उनके मनोबल को भी तोड़ता है। यह बयान लोकतंत्र की नींव को मजबूत करने के लिए आयोग की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
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