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Photograph: (flle)
नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्कः अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने व्हाइट हाउस कार्मिक कार्यालय के प्रमुख सर्जियो गोर को भारत में अपना राजदूत बनाया है। ट्रम्प के लंबे समय से विश्वासपात्र रहे गोर उन कुछ चुनिंदा सहयोगियों में से हैं जिनकी उनसे सीधी बातचीत है। इस नियुक्ति से नई दिल्ली के लिए एक महत्वपूर्ण संकेत मिलता है। इस संभावना को बल मिलता है कि नई दिल्ली अमेरिकी राष्ट्रपति से सीधे संपर्क कर सके। लेकिन बड़ा सवाल ये है कि गोर क्या ट्रम्प और मोदी को करीब ला पाएंगे। दोनों कभी दोस्त थे पर इस समय संबंध तल्ख हो चुके हैं।
नई दिल्ली में कोई अमेरिकी राजदूत नहीं
पूर्व विदेश सचिव कंवल सिब्बल ने कहा कि दक्षिण और मध्य एशियाई मामलों के लिए विशेष दूत के रूप में गोर की भूमिका भारत और पाकिस्तान को एक साथ जोड़ने का एक नया तरीका है। बाइडेन प्रशासन की तरफ से नियुक्त पूर्व भारतीय राजदूत एरिक गार्सेटी फरवरी में अमेरिका चले गए थे। गोर को सीनेट से हरी झंडी नवंबर में ही मिल सकती है। इतने महीनों से, जब दोनों देश रूस के साथ व्यापार को लेकर एक पेचीदा व्यापार समझौते और टैरिफ पर बातचीत कर रहे हैं, नई दिल्ली में कोई अमेरिकी राजदूत नहीं है।
ट्रम्प के खासमखास हैं गोर
ट्रम्प ने 24 अगस्त को गोर की नियुक्ति की घोषणा की। अमेरिकी राष्ट्रपति के प्रति गोर की वफादारी वाशिंगटन में जगजाहिर है। 38 वर्षीय गोर के चयन को खास बनाने वाली बात यह है कि विदेश नीति या कूटनीति में उनका कोई अनुभव नहीं है। उनकी नियुक्ति पूरी तरह से राष्ट्रपति के प्रति उनकी वफादारी पर निर्भर है।
ताशकंद में जन्मे और फिर अमेरिका आ गए
सर्जियो गोर का जन्म ताशकंद में हुआ था। युवावस्था में वो अपने परिवार के साथ यूरोप के माल्टा चले गए। वो कोस्पिकुआ में पले-बढ़े और डे ला सैले कॉलेज में पढ़े। उसके बाद वो अमेरिका आ गए। ट्रम्प से जुड़े और दोबारा राष्ट्रपति बनने के उनके अभियान को अंजाम तक पहुंचाया। कार्मिक कार्यालय के प्रमुख के रूप में गोर ने नियुक्तियों में आक्रामक रुख अपनाया। उन लोगों को रोक दिया जिन्हें ट्रम्प के लिए खतरनाक माना जाता था। व्हाइट हाउस के भीतर, उन्होंने एक गार्ड के रूप में पहचान बनाई। ट्रम्प या अमेरिका फर्स्ट एजेंडे की आलोचना करने वाले किसी भी व्यक्ति को बाहर रखा गया। इस दृष्टिकोण ने ट्रम्प का गोर पर साथ ही उनके परिवार पर भी भरोसा मजबूत किया।
गोर की खासियत ये है कि वो निष्ठा को हर चीज से ऊपर रखते हैं, इसलिए वो ट्रम्प के सामने खुद को साबित करने के लिए भारत के साथ एक कठिन सौदेबाजी करने की कोशिश कर सकते हैं।
ट्रम्प से कभी भी बात कर सकते हैं गोर
ट्रम्प के पूर्व मुख्य रणनीतिकार स्टीव बैनन ने पोलिटिको को बताया कि गोर को क्यों चुना गया। उनका मानना है कि चीफ ऑफ स्टाफ सूसी वाइल्स के अलावा सर्जियो ही एकमात्र ऐसे व्यक्ति हैं जिन्हें राष्ट्रपति से किसी भी समय, दिन हो या रात, मिलने की सुविधा है। उन्हें भारतीय नीतिगत मुद्दों की गहरी जानकारी नहीं है, लेकिन यह व्यक्ति जल्दी समझ जाता है। न केवल राष्ट्रपति तक उसकी पहुंच है, बल्कि उसे उन पर अनोखा भरोसा भी है। राष्ट्रपति इस व्यक्ति पर भरोसा करते हैं। यही वजह है कि ट्रम्प के टैरिफ को लेकर भारत-अमेरिका संबंधों में तनाव के समय गोर का चयन विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। वाशिंगटन को उम्मीद है कि बातचीत को गंभीरता से लिया जाएगा।
गोर की नियुक्ति मोदी सरकार के लिए कड़ा संदेश
अमेरिकी थिंकटैंक का मानना है कि राष्ट्रपति अपने बेहद करीबी एक दूत को भेजकर मोदी सरकार को एक शक्तिशाली संकेत दे रहे हैं। सर्जियो एक स्पष्ट संकेत है कि बातचीत गंभीर होनी चाहिए और सभी संदेश राष्ट्रपति की ओर से आने चाहिए। लेकिन कुछ लोग भारत और पाकिस्तान को एक साथ जोड़ने के प्रति आगाह कर रहे हैं। उनका कहना है कि यह पहली बार है कि भारत में एक अमेरिकी राजदूत दक्षिण और मध्य एशियाई मामलों के लिए एक विशेष दूत भी है। इसका मतलब है कि वह इस क्षेत्र में अन्य अमेरिकी राजदूतों के साथ परामर्श और समन्वय करेगा ताकि एक नजरिया विकसित किया जा सके। यह भारत और पाकिस्तान को एक साथ जोड़ने का एक नया रूप है।
ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन में अध्ययन और विदेश नीति के उपाध्यक्ष हर्ष वी पंत ने द न्यू यॉर्क टाइम्स को बताया- लंबे समय के बाद भारत के लिए कुछ अच्छी खबर आई है। राजदूत की भूमिकाएं कठिन दौर से गुजर रहे रिश्तों में महत्वपूर्ण होती हैं। यह और भी अच्छी बात है कि ट्रम्प उनकी बात सुनते हैं।
गोर के इन रुखों को लेकर अनिश्चितताएं बनी
- यह स्पष्ट नहीं है कि भारतीय वस्तुओं पर 50% के भारी शुल्क या भारत-पाकिस्तान संबंधों के नाजुक मुद्दे पर उनका क्या रुख है।
- ट्रम्प ने बार-बार दोनों पड़ोसियों के बीच युद्धविराम की मध्यस्थता के प्रयासों का श्रेय लिया है, हालांकि नई दिल्ली ने इन दावों को दृढ़ता से खारिज कर दिया है। इस संवेदनशील विषय पर गोर का दृष्टिकोण एक दूत के रूप में उनकी प्रभावशीलता को आकार देगा।
- दक्षिण और मध्य एशियाई मामलों के विशेष दूत के रूप में गोर की दोहरी भूमिका अमेरिकी राजदूत के रूप में उनकी भूमिका को भी अनिश्चित स्थिति में डाल देती है।
- इस भूमिका में, वह भारत, मालदीव, नेपाल, श्रीलंका, पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान, भूटान, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उज्बेकिस्तान के साथ अमेरिका के संबंधों की देखरेख करेंगे।
- उनकी नियुक्ति के लिए अभी भी सीनेट की मंजूरी की आवश्यकता है, जिससे उनके नई दिल्ली आगमन में देरी हो सकती है।
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