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Explain: दलाई लामा ने अपने उत्तराधिकारी के चयन का जिम्मा फाउंडेशन को क्यों दिया?

पुनर्जन्म के कारण नेतृत्व में शून्यता आ सकती है यदि उत्तराधिकारी कोई छोटा बच्चा हो तो सत्ता की बागडोर संभालने तक एक लंबा अंतराल हो सकता है। माना जा रहा है कि इसी वजह से दलाई लामा एक वयस्क उत्तराधिकारी की पहचान करके इस मुद्दे को खत्म करना चाहते हैं।

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Shailendra Gautam
Dalai Lama

Dalai Lama Photograph: (Google)

नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्कः रविवार को दलाई लामा ने जब अपना 90वां जन्म दिन मनाया तो एक घोषणा करके उन्होंने सारे संसार को चौंका दिया। खासकर चीन को सबसे ज्यादा। 14वें दलाई लामा ने कहा कि उनके बाद भी यह फाउंडेशन जारी रहेगी। उनके उत्तराधिकारी का चयन उनकी बनाई ट्रस्ट करेगी न कि चीनी अधिकारी। अपने जन्मदिन पर दलाई लामा की घोषणा तिब्बत और उसके आध्यात्मिक नेतृत्व पर नियंत्रण स्थापित करने के चीन के प्रयासों को सीधे चुनौती देती है। यही वजह है कि चीन उनकी घोषणा पर एतराज जता रहा है।  

1959 में चीन से भागकर भारत आ गए थे दलाई लामा

दलाई लामा 1959 में चीन के खिलाफ विद्रोह होने के बाद तिब्बत से निकलकर उत्तर भारत में चले गए। उन्होंने धर्मशाला में खुद को स्थापित किया। 1989 में उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया। तिब्बती परंपरा के अनुसार दलाई लामा का उत्तराधिकारी पुनर्जन्म की प्रक्रिया के जरिये सामने आता है। इसमें धार्मिक नेता अपनी मृत्यु के बाद किसी अन्य व्यक्ति के शरीर के जरिये पुनर्जन्म लेता है। लेकिन अपने जन्म दिन पर जारी संदेश में दलाई लामा ने इस बात का कोई जिक्र नहीं किया। 14वें दलाई लामा तेनजिन ग्यात्सो ने उत्तराधिकारी के चयन का जिम्मा फाउंडेशन के कंधों पर डाल दिया। 14वें दलाई लामा का जन्म उत्तरपूर्वी तिब्बत में हुआ था, जो आज पश्चिमी चीनी प्रांत किंघई है। उन्हें 2 वर्ष की आयु में पिछले तिब्बती नेता के पुनर्जन्म के रूप में मान्यता दी गई थी। हालांकि दलाई लामा ने पहले लिखा था कि उनके उत्तराधिकारी का जन्म चीन के बाहर आजाद दुनिया में होगा, लेकिन उनके बुधवार के बयान में इसका कोई उल्लेख नहीं था। विश्लेषकों का कहना है कि लामा चीन को नाराज करना नहीं चाहते। 

दलाई लामा जानते हैं कि पुनर्जन्म का सहारा लिया तो सत्ता तक पहुंचने में उत्तराधिकारी को लगेगा लंबा समय

एक रिपोर्ट के मुताबिक न्यूयॉर्क स्थित तिब्बती कार्यकर्ता चेमी ल्हामो ने कहा कि बीजिंग नए दलाई लामा के चयन के दौरान की अवधि को तिब्बत पर अपने नियंत्रण को और मजबूत करने के लिए एक रणनीतिक अवसर के रूप में देखता है। हालांकि, उन्हें लगता है कि चीन का दृष्टिकोण गलत है। उन्होंने कहा कि तिब्बती लोग और तिब्बती प्रतिरोध दलाई लामा की स्थापना से बहुत पहले से मौजूद है। पुनर्जन्म के कारण नेतृत्व में शून्यता आ सकती है यदि उत्तराधिकारी कोई छोटा बच्चा हो तो सत्ता की बागडोर संभालने तक एक लंबा अंतराल हो सकता है। माना जा रहा है कि इसी वजह से दलाई लामा एक वयस्क उत्तराधिकारी की पहचान करके इस मुद्दे को खत्म करना चाहते हैं। चीन ने पहले भी तिब्बती आध्यात्मिक प्रक्रियाओं में हस्तक्षेप किया है।

दलाई लामा के दिमाग में है पंचेन लामा का एपिशोड

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1995 में दूसरे स्थान के तिब्बती बौद्ध नेता पंचेन लामा के पुनर्जन्म की पुष्टि होने के बाद छोटा बच्चा ही गायब हो गया। उसके बाद बीजिंग ने अपना खुद का पंचेन लामा नियुक्त कर दिया। जो बच्चा गायब हुआ वो फिलहाल चीन में ही रह रहा है। चीनी सरकारी मीडिया के अनुसार दलाई लामा के जन्मदिन समारोह से पहले चीनी नेता शी जिनपिंग ने बीजिंग द्वारा नियुक्त पंचेन लामा से मुलाकात की और उनको जरूरी दिशा निर्देश दिए। 

तिब्बत को अपनी जागीर मानता है चीन

दलाई लामा के तिब्बत से भागने के बाद के दशकों में चीन ने तिब्बत में नियंत्रण करने का एक व्यापक अभियान चलाया है। चीनी कम्युनिस्ट पार्टी तिब्बत में प्रवेश को सख्ती से नियंत्रित करती है और तिब्बतियों को दलाई लामा की तस्वीरें प्रदर्शित करने पर प्रतिबंध लगाती है। निर्वासित तिब्बती संसद के अध्यक्ष खेंपो सोनम तेनफेल ने कहा कि चीनी कम्युनिस्ट पार्टी ने व्यवस्थित रूप से तिब्बती संस्कृति, धर्म और परंपराओं को कमजोर किया है। तिब्बत एक्शन इंस्टीट्यूट ने एक रिपोर्ट में कहा कि तिब्बती बच्चों को चीनी राज्य द्वारा संचालित बोर्डिंग स्कूलों में दुर्व्यवहार, उपेक्षा का सामना करना पड़ता है। बच्चों को उनके परिवारों से अलग कर दिया जाता है। उन्हें मंदारिन बोलने के लिए मजबूर किया जाता है, जो तिब्बतियों को जबरन आत्मसात करने के प्रयास का हिस्सा है। जो उनके अस्तित्व को खतरे में डालता है। शी जिनफिंग हर वो कोशिश कर रहे हैं जिससे तिब्बत को पूरी तरह से अपने नियंत्रण में रखा जा सके। चीन के विदेश मंत्रालय ने बुधवार को कहा कि दलाई लामा के पुनर्जन्म को बीजिंग से अनुमोदन मिलना चाहिए। प्रवक्ता माओ निंग ने कहा कि तिब्बती बौद्ध धर्म चीन में पैदा हुआ था और यह चीनी विशेषताओं वाला धर्म है। चीनी कम्युनिस्ट पार्टी ने 1951 में तिब्बत पर कब्जा कर लिया था। 

चीन से सुलह करने की कई कोशिशें कर चुके हैं दलाई लामा 

हालांकि दलाई लामा ने दशकों से अपने बीच के रास्ते के तहत बीजिंग के साथ बातचीत करने का प्रयास किया है, जो चीन में तिब्बतियों के लिए बढ़ी हुई स्वायत्तता की वकालत करता है लेकिन तिब्बती स्वतंत्रता के लिए जोर नहीं देता है। यह कूटनीतिक प्रयास सफल नहीं रहा है। फिलहाल यह स्पष्ट नहीं है कि दलाई लामा के उत्तराधिकारी बीजिंग के साथ बातचीत कैसे करेंगे। दलाई लामा ने मार्च में वाशिंगटन पोस्ट में एक लेख में लिखा था कि मैंने बीजिंग के साथ बातचीत के ज़रिए समाधान के लिए रास्ते खोलने की पूरी कोशिश की है। वास्तव में अपने दूतों के जरिए मैंने बीजिंग के सामने एक रोडमैप पेश किया है, जिसमें बताया गया है कि तिब्बत के लंबे समय से चले आ रहे मुद्दे का पारस्परिक रूप से संतोषजनक समाधान कैसे हासिल किया जा सकता है। तिब्बती लोगों के पास संघर्ष के अलावा कोई विकल्प नहीं है। तिब्बत की निर्वासित सरकार के प्रमुख पेनपा त्सेरिंग ने बुधवार को एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि बीजिंग के साथ कुछ ऐसे बैक चैनल हैं जो आधिकारिक नहीं हैं। लेकिन तिब्बत में चीनी सरकार की सभी नीतियों का उद्देश्य तिब्बती लोगों की पहचान को नष्ट करना है।

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