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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्कः क्या भारत का एप्पल की मैन्युफेक्चरिंग यूनिट को स्वदेश लाने का अथक प्रयास विफल होने जा रहा है? यह सवाल ट्रंप के अड़ियल रुख के बाद सामने आया है। ट्रंप ने पहले टिम कुक के बारे में मुखरता से बात की थी। अब उन्होंने अमेरिका में बेचे जाने वाले लेकिन बाहर निर्मित सभी आईफोन पर 25 फीसदी का टैरिफ लगाने की घोषणा करके बम गिरा दिया है। एप्पल चीफ के साथ अपनी बातचीत में ट्रंप ने 15 मई को कहा था कि हमें इसमें कोई दिलचस्पी नहीं है कि आप भारत में एप्पल का निर्माण करें, भारत खुद अपना ख्याल रख सकता है। DonaldTrump
भारतीय स्थितियां टिम कुक के मुफीद
भारत इस तथ्य से कुछ हद तक राहत महसूस कर सकता है कि उत्पादन लाइनों को चालू करना उतना आसान नहीं है जितना कि आयात शुल्क कम करवाना। और जैसा कि कुक ने अतीत में समझाया था कि उनकी कंपनी की चीन में उपस्थिति कम श्रम लागत के कारण नहीं थी, बल्कि कुशल जनशक्ति के कारण थी जो कई फुटबॉल स्टेडियमों को भर सकती है। Apple के प्रमुख ने इसकी तुलना अमेरिका से की थी, जहां ऐसे प्रतिभाशाली लोग मुश्किल से एक कॉन्फ़्रेंस रूम भर सकते हैं।
चीन पर निर्भरता कम करना चाहता है एप्पल
इसके अलावा, Apple ने बाजार और विनिर्माण दोनों के दृष्टिकोण से भारत में अपना व्यवसाय स्थापित करने के लिए महत्वपूर्ण समय और पैसा खर्च किया। जब Apple चीन पर अपनी अत्यधिक निर्भरता को कम करना चाहता था तो उत्पादन कम शुरू हुआ, लेकिन धीरे-धीरे भारत एक महत्वपूर्ण मैन्युफेक्चरिंग बह के रूप में उभरा।
भारतीय बाजार में है बहुत सारा दम
इसी तरह भारत एक महत्वपूर्ण बाजार है। इस तथ्य को कोई और नहीं बल्कि खुद टिम कुक ने स्वीकार किया है, जिसने 2023 में मुंबई और दिल्ली में अपना पहला ब्रिक-एंड-मोर्टार आउटलेट खोला। जो बात इसे खास बनाती है वह यह है कि यह कदम Apple के जापान में अपना पहला विदेशी स्टोर बनाने के दो दशक बाद उठाया गया।
Apple का मैन्युफेक्चरिंग पार्टनर तेलंगाना में जमा
भारत अब वैश्विक iPhones का 20 फीसदी उत्पादन करता है, जिसमें 40 मिलियन यूनिट का उत्पादन होता है, जिसकी कीमत 2025 में 22 बिलियन डॉलर से अधिक होगी। Apple का मैन्युफेक्चरिंग पार्टनर Foxconn अब तेलंगाना में AirPods भी बना रहा है और भारत और चीन में एक साथ iPhone 17 Pro मॉडल का उत्पादन करेगा।
ट्रंप के बयान का पहलू भी एप्पल के लिए राहत
सिक्के का दूसरा पहलू ये भी है कि ट्रंप ने स्पष्ट किया है कि उन्हें भारतीय बाजार के लिए भारत में Apple द्वारा iPhones के उत्पादन से कोई समस्या नहीं है। वह नहीं चाहते कि कंपनी अमेरिकी उपभोक्ताओं के लिए जो डिवाइस बनाए वो भारत में तैयार हो। राष्ट्रपति ने जोर देकर कहा कि यह केवल अमेरिका में ही किया जाना चाहिए। उन्होंने हाल ही में Apple द्वारा अगले चार वर्षों में अमेरिका में 500 बिलियन डॉलर खर्च करने के वादे का हवाला दिया, जिसमें सर्वर के लिए चिप्स का उत्पादन करने के लिए ह्यूस्टन में एक प्लांट भी शामिल है।
अमेरिका के लिए चीन ज्यादा बढ़ा खतरा
हालांकि ट्रंप का रुख देखने के बाद कई तरह के सवाल उठने शुरू हो गए हैं। क्या ट्रंप की धमकी भारत के मेक-इन-इंडिया को परास्त कर देगी? या भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग के उदय के लिए एक गंभीर खतरा पैदा करेगी? या यह एक और दबाव की रणनीति है या केवल बयानबाजी? लेकिन जानकारों का कहना है कि ट्रंप भारत को निशाना बनाने की कोशिश शुरू से कर रहे हैं। लेकिन एप्पल के मामले में वो एक सीमा से ज्यादा दबाव नहीं डालेंगे क्योंकि भारत से कहीं बढ़ा खतरा चीन है।
टैरिफ डील का सिरदर्द
यह घटनाक्रम ऐसे समय में हुआ है जब ट्रंप ने व्यापार वार्ता के बीच में ही यह कहते हुए तीखी प्रतिक्रिया दी थी कि भारत शून्य टैरिफ देने के लिए तैयार है! पिछले सप्ताह कतर में एक कार्यक्रम में बोलते हुए उन्होंने कहा था कि भारत ने हमें एक डील की पेशकश की है, जिसमें वो मूल रूप से हमसे कोई टैरिफ नहीं वसूलने के लिए तैयार हैं। उन्होंने इस बारे में और अधिक जानकारी नहीं दी, जबकि भारत सरकार ने भी इसे बिना शर्त खारिज नहीं किया। रिपोर्टों से पता चलता है कि दिल्ली ने वास्तव में आयात की एक निश्चित मात्रा तक पारस्परिक आधार पर ऑटो कंपोनेंट और फार्मास्यूटिकल्स जैसे कुछ सामानों पर शून्य टैरिफ का प्रस्ताव रखा था।
टैरिफ वार में चीन के नक्शेकदम पर चला भारत
ट्रंप की यह टिप्पणी भारत के स्टील और एल्युमीनियम पर उच्च अमेरिकी शुल्कों के जवाब में जवाबी टैरिफ लगाने की धमकी देने के कुछ दिनों बाद आई है, जिससे संकेत मिलता है कि दिल्ली अपनी व्यापार वार्ता में एक मुखर दृष्टिकोण अपना सकता है। भारत का सख्त रुख पिछले सप्ताह अमेरिका-चीन व्यापार सौदे के सफल होने के तुरंत बाद आया है, जहां बीजिंग किसी भी और कम शुल्क पर सहमत हुए बिना पिछले शुल्कों को बहाल करने में कामयाब रहा।
अमेरिका भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार
भारत और पाकिस्तान के बीच चार दिनों के सैन्य संघर्ष के बाद हुए युद्ध विराम को कराने के पीछे ट्रंप ने ट्रेड डील का जिक्र किया था। वैसे देखा जाए तो व्हाइट हाउस में लौटने के बाद से ट्रंप दोनों देशों के बीच व्यापार असंतुलन के बारे में खुले तौर पर बातें कर रहे हैं। 2024 में अमेरिका का भारत के साथ 45.7 बिलियन डॉलर का व्यापार घाटा था। अमेरिका भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है, जबकि भारत अमेरिका का 10वां सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है। लंबे समय से यह शिकायत करते हुए कि भारत के टैरिफ बहुत अधिक हैं ट्रंप ने 26 फीसदी के पारस्परिक टैरिफ लगाने का वादा किया है। हालांकि ये सारी प्रक्रिया फिलहाल ठंडे बस्ते में जा चुकी है।
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