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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्कः सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को भारत के अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी सिर झुकाए खड़े थे। वो अदालत से कह रहे थे कि भारत सरकार एक हद तक जा सकती है और हम उस हद तक पहुंच चुके हैं। भारत सरकार के सबसे बड़े वकील ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि केरल की नर्स निमिषा प्रिया की यमन में 16 जुलाई को होने वाली फांसी को रोकने के लिए सबकुछ किया जा चुका है। निमिषा को 2017 में एक स्थानीय व्यवसायी की हत्या के जुर्म में फांसी दी जानी है। अटॉर्नी जनरल ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि पलक्कड़ की 38 वर्षीय नर्स को बचाने के लिए की गई कोशिशों का अभी तक कारगर नतीजा नहीं निकला है। अब स्थिति भारत सरकार के नियंत्रण से बाहर होती जा रही है। सुप्रीम कोर्ट ने सेव निमिषा प्रिया इंटरनेशनल एक्शन काउंसिल की याचिका पर सरकार से जवाब मांगा था।
सरकार का जवाब सुनकर सुप्रीम कोर्ट ने भी खड़े किए हाथ
अदालत ने कहा कि हम किसी विदेशी राष्ट्र के संबंध में यह आदेश कैसे पारित कर सकते हैं? इसका पालन कौन करेगा? जस्टिस विक्रम नाथ और संदीप मेहता की बेंच ने मामले की सुनवाई 18 जुलाई तक के लिए स्थगित कर दी, लेकिन सभी पक्षों से कहा कि वो अंतरिम घटनाक्रम से उसे अवगत कराएं।
क्या कारण हैं जो सरकार इतनी ज्यादा बेबस हो गई
निमिषा प्रिया को बचाने में सरकार बेबस क्यों हो रही है। इस सवाल का जवाब यमन की राजनीति में छिपा है। हूतियों के विद्रोही समूह ने यमन के कुछ हिस्सों पर कब्जा कर रखा है, जिसमें राजधानी सना भी शामिल है। निमिषा प्रिया वहीं एक अपराधी हैं यह मुद्दा इस तथ्य से और जटिल हो जाता है कि भारत के हूतियों के साथ औपचारिक राजनयिक संबंध नहीं हैं। अटॉर्नी जनरल ने कहा कि भारत ने यमन के अधिकारियों को मनाने के लिए वहां के एक प्रभावशाली शेख से संपर्क किया है। सरकार को एक अनौपचारिक संदेश मिला है कि फांसी स्थगित कर दी जाएगी, लेकिन हमें नहीं पता कि यह काम करेगा या नहीं। सुप्रीम कोर्ट को बताया गया कि फांसी स्थगित करने का अंतिम अनुरोध सोमवार सुबह 10.30 बजे भी भेजा गया था, लेकिन अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं मिली है। हूती हमारी बात भी नहीं सुन रहे हैं।
हूतियों के शरिया कानून में निमिषा की जान बचाने का रास्ता
जो हूती नियंत्रित यमन में लागू इस्लामी न्यायशास्त्र शरिया कानून के तहत दोषी ठहराए जाने के बाद भी पीड़ित परिवार हत्यारे को माफ कर सकता है। यानी, अगर आर्थिक मुआवजा यानि ब्लड मनी पीड़ित परिवार स्वीकार कर ले तो निमिषा की फांसी टल सकती है। सेव निमिषा प्रिया संगठन ने अदालत को बताया कि प्रिया का परिवार पीड़ित परिवार के संपर्क में है। उसने एक बड़ी रकम का इंतजाम किया है। लेकिन पीड़ित परिवार और हूती अधिकारियों ने इसे लेने से इनकार कर दिया है। अटॉर्नी जनरल ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि हूती कहते हैं कि यह सम्मान का सवाल है। हमें नहीं पता कि निमिषा का परिवार अपने लक्ष्य को हासिल कर पाएगा या नहीं।
निमिषा को क्यों दी गई है फांसी की सजा
निमिषा प्रिया के खिलाफ ये मामला उसके सहयोगी और यमन के नागरिक तलाल अब्दो महदी की हत्या का है। महदी की प्रताड़ना से तंग आकर प्रिया ने अपना पासपोर्ट वापस पाने के लिए उसे बेहोशी का इंजेक्शन लगाया। उसे घातक ओवरडोज हो गया। उसे 2020 में सना की एक निचली अदालत ने मौत की सजा सुनाई थी। तीन साल बाद हूती प्रशासन की सर्वोच्च न्यायिक परिषद ने सजा को बरकरार रखा था। उनकी मां प्रेमा कुमारी पिछले एक साल से सना में क्षमादान की कोशिश कर रही हैं। निमिषा 2008 में एक खाड़ी देश यमन चली गईं थीं। अपना क्लिनिक शुरू करने से पहले उसने कई अस्पतालों में काम किया। यमन में व्यवसाय करने के लिए एक लोकल साझेदार का होना अनिवार्य होता है। अब्दी उनका साझेदार बन गया था। निमिषा का कहना है कि बाद में अब्दी ने उसके साथ दुर्व्यवहार करना शुरू कर दिया था।
2011 में हुई थी निमिषा की शादी, एक बेटी भी है
2011 में उसकी शादी एक मलयाली से हुई। उसकी एक बेटी है। हालांकि तीन साल बाद आर्थिक तंगी के कारण पति और बेटी भारत लौट आए लेकिन निमिषा वहीं रह गई। इस बीच यमन में सना पर हूतियों का कब्जा हो गया। तब से यह हूतियों के शासन में है। भारत सरकार ने फिलहाल यमन जाने पर रोक लगा रखी है। पिछले साल दिसंबर में जब उसकी मां हूती विद्रोहियों के कब्जे वाले यमन क्षेत्र की यात्रा करना चाहती थी, तब उनको यात्रा पर लगे प्रतिबंध से छूट पाने के लिए दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाज़ा खटखटाना पड़ा था। उसके बाद वो सना गईं और जेल में बंद बेटी से मिलीं। trendig news | modi government | kerala not present in content
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