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Explainer : पहली बार सिक्के पर भारत माता की तस्वीर, नीचे लिखे संदेश के क्या हैं मायने? | यंग भारत न्यूज Photograph: (YBN)
नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क । 100 रुपये के एक स्मारक सिक्के पर भारत माता की भव्य छवि अंकित हुई है, जिसे प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ RSS के शताब्दी वर्ष पर जारी किया। इस ऐतिहासिक कदम ने देशभर में एक नई चर्चा छेड़ दी है।
Young Bharat News के इस एक्सप्लेनर में समझिए, क्यों यह सिक्का और उस पर उकेरा गया बोधवाक्य इतना खास है। क्यों ख़ास है ये सिक्का? यह सिक्का महज़ एक मुद्रा नहीं बल्कि राष्ट्र के प्रति परम समर्पण का एक गहन संदेश- 'राष्ट्राय स्वाहा, इदं राष्ट्राय इदं न मम' - लिए हुए हैं। इसके मायने क्या हैं?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ RSS के शताब्दी वर्ष के अवसर पर बुधवार (2 अक्टूबर 2025) को जारी किया गया। यह 100/- रुपये का स्मारक सिक्का भारतीय इतिहास में एक नया पन्ना जोड़ गया है। यह पहली बार है जब आज़ाद भारत की किसी भी मुद्रा या सिक्के पर भारत माता की छवि को आधिकारिक रूप से जगह मिली है।
यह घटना केवल प्रतीकात्मक नहीं बल्कि वैचारिक और राष्ट्रीय गौरव के दृष्टिकोण से असाधारण महत्व रखती है। अबतक भारतीय सिक्कों पर अशोक स्तंभ, महात्मा गांधी, विभिन्न महापुरुषों और ऐतिहासिक इमारतों की तस्वीरें दिखती रही हैं, लेकिन भारत माता, जो कि राष्ट्र को मातृ रूप में पूजने की भारतीय अवधारणा का सबसे बड़ा प्रतीक है, पहली बार मुद्रा का हिस्सा बनीं हैं।
सिक्के पर बनी भारत माता की छवि का गूढ़ अर्थ वरद मुद्रा और सिंह
इस विशेष स्मारक सिक्के की डिज़ाइन बेहद सोच-समझकर तैयार की गई है, जो अपने आप में एक शक्तिशाली कहानी कहती है। सिक्के के एक तरफ हमेशा की तरह भारत का राष्ट्रीय प्रतीक अशोक स्तंभ और सत्यमेव जयते अंकित है, जबकि दूसरी तरफ का दृश्य बिल्कुल अनूठा है भव्य भारत माता। सिक्के पर भारत माता को सिंह शेर पर आसीन, वरद मुद्रा में दिखाया गया है।
सिंह शक्ति, संप्रभुता और निडरता का प्रतीक है। यह संदेश देता है कि राष्ट्र केवल पूजनीय नहीं, बल्कि अपनी रक्षा के लिए शक्तिशाली भी है। वरद मुद्रा हथेली बाहर की ओर, नीचे की तरफ मुड़ी हुई बौद्ध और हिंदू कला में वरदान देने या इच्छाएं पूरी करने का प्रतीक है। यह दर्शाता है कि भारत माता अपने संतानों पर आशीर्वाद बरसा रही हैं और उन्हें समृद्धि दे रही हैं।
समर्पण का भाव भारत माता के समक्ष
RSS के स्वयंसेवकों को नमन की मुद्रा में भक्ति और समर्पण के साथ नतमस्तक दिखाया गया है। यह दृश्य सीधे तौर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के राष्ट्र प्रथम के मूल मंत्र और अहं से वयं तक की उनकी वैचारिक यात्रा को दर्शाता है। यह एक स्पष्ट संदेश है कि व्यक्तिगत हित से ऊपर राष्ट्रहित को रखा जाए। इन चिह्नों का एक साथ आना केवल संयोग नहीं, बल्कि राष्ट्रवाद और निःस्वार्थ सेवा के सिद्धांत को एक अमिट रूप देना है।
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'राष्ट्राय स्वाहा , इदं राष्ट्राय इदं न मम'
सिक्के का सबसे बड़ा संदेश सिक्के पर उत्कीर्ण किया गया बोधवाक्य इस पूरे स्मारक का हृदय है। यह संस्कृत का एक श्लोक है, जिसे अक्सर यज्ञ के दौरान दोहराया जाता है और यह RSS के मूल दर्शन का निचोड़ है।
"राष्ट्राय स्वाहा, इदं राष्ट्राय इदं न मम" इसका सीधा अर्थ है 'राष्ट्राय स्वाहा' सब कुछ राष्ट्र के लिए समर्पित है। स्वाहा का अर्थ है पूर्ण आहुति 'इदं राष्ट्राय' यह सब कुछ राष्ट्र का है। 'इदं न मम' यह मेरा नहीं है।
क्यों इतना शक्तिशाली है यह बोधवाक्य निःस्वार्थ सेवा
यह स्वयंसेवकों और हर भारतीय नागरिक को व्यक्तिगत स्वार्थ को त्यागकर राष्ट्र सेवा को सर्वोच्च प्राथमिकता देने का आह्वान करता है। यह याद दिलाता है कि जीवन का हर कर्म, हर संसाधन और हर सफलता राष्ट्र की संपत्ति है, किसी व्यक्ति विशेष की नहीं।
यज्ञ की भावना 'स्वाहा' शब्द यज्ञ से आता है। इसका अर्थ है कि राष्ट्र के लिए किया गया समर्पण पवित्र अग्नि में आहुति देने जैसा है, जिसमें बदले में कुछ भी पाने की इच्छा नहीं होती। यह शुद्धतम देशभक्ति का प्रतीक है।
वैचारिक छाप: इस बोधवाक्य को सिक्के पर उकेरकर, इसे एक स्थायी और आधिकारिक पहचान दी गई है। यह संघ की विचारधारा को सीधे तौर पर भारतीय मुद्रा के इतिहास से जोड़ता है।
दार्शनिक गहराई: यह केवल एक नारा नहीं, बल्कि भारतीय दर्शन की उस गहरायी को दर्शाता है जहां व्यक्ति 'अहं' मैं के भाव से ऊपर उठकर 'वयं' हम/राष्ट्र के सामूहिक कल्याण में अपना जीवन लगा देता है।
यह संदेश आज के युग में भी उतना ही प्रासंगिक है, जब हर व्यक्ति निजी लाभ के पीछे भागता है। यह सिक्का उस सोच को चुनौती देता है और 'राष्ट्र प्रथम' के सिद्धांत को स्थापित करता है।
स्मारक सिक्का बनाम चलन का सिक्का क्या आप इससे खरीदारी कर सकते हैं? अक्सर लोग भ्रमित हो जाते हैं कि क्या यह 100/- रुपये का सिक्का आम लेन-देन में इस्तेमाल होगा। इसका जवाब है नहीं, यह एक स्मारक सिक्का Commemorative Coin है।
क्या होता है स्मारक सिक्का?
स्मारक सिक्के किसी विशेष ऐतिहासिक घटना, वर्षगांठ या किसी महान व्यक्ति के सम्मान में जारी किए जाते हैं। इनका उद्देश्य किसी ख़ास मौके को यादगार बनाना होता है।
चलन में क्यों नहीं?
ये सिक्के सीमित संख्या में जारी होते हैं और मुख्य रूप से संग्रहणीय वस्तु Collector's Item होते हैं। इनका बाज़ारी मूल्य Face Value 100/- रुपये होने के बावजूद, ये आम लेन-देन के लिए नहीं होते हैं। इनका वास्तविक मूल्य अक्सर अंकित मूल्य से अधिक होता है क्योंकि, ये विशेष धातुओं जैसे शुद्ध चांदी के हो सकते हैं और इनका संग्रह मूल्य बहुत अधिक होता है।
अन्य स्मारक सिक्के इससे पहले भी भारत सरकार ने कई मौकों पर 100/- रुपये के स्मारक सिक्के जारी किए हैं, जैसे रवीन्द्रनाथ टैगोर की 150वीं जयंती, अटल बिहारी वाजपेयी की जन्मशताब्दी आदि।
यह सिक्का भी उसी परंपरा का हिस्सा है, लेकिन इस पर भारत माता की तस्वीर इसे अभूतपूर्व बना देती है।
RSS के शताब्दी समारोह का महत्व और पीएम मोदी का संदेश
प्रधानमंत्री मोदी ने दिल्ली के डॉ. अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर में आयोजित RSS के शताब्दी समारोह में यह सिक्का और एक विशेष डाक टिकट भी जारी किया।
डाक टिकट: इस विशेष डाक टिकट पर साल 1963 की गणतंत्र दिवस परेड में हिस्सा लेते RSS स्वयंसेवकों की एक ऐतिहासिक तस्वीर छपी है। यह भी संघ के राष्ट्र निर्माण में योगदान को आधिकारिक पहचान देने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
पीएम मोदी का बयान
प्रधानमंत्री ने इसे स्वतंत्र भारत के इतिहास में अत्यंत गौरवपूर्ण और ऐतिहासिक क्षण बताया। उन्होंने कहा कि यह सिक्का भारत माता और RSS की एक सदी लंबी सेवा और समर्पण की यात्रा का सम्मान है। उन्होंने संघ की सबसे बड़ी शक्ति उसके स्वयंसेवकों को बताया, जो हमेशा व्यक्तिगत हित से ऊपर राष्ट्रहित को रखते हैं।
यह पूरा आयोजन RSS के सामाजिक समरसता, त्याग, अनुशासन और राष्ट्र प्रथम के सिद्धांत को देश के पटल पर एक मज़बूत और आधिकारिक मुहर लगाता है। यह उन सभी स्वयंसेवकों के लिए गौरव का पल है जिन्होंने निःस्वार्थ भाव से राष्ट्र सेवा की है।
एक सिक्का, अनेक आयाम
यह 100/- रुपये का स्मारक सिक्का केवल धातु का एक टुकड़ा नहीं है। यह राष्ट्रभक्ति, निःस्वार्थ सेवा और भारतीय संस्कृति के मातृ-शक्ति के रूप में राष्ट्र के प्रति समर्पण का एक अमिट प्रतीक है। 'राष्ट्राय स्वाहा, इदं राष्ट्राय इदं न मम' का संदेश केवल RSS के लिए नहीं, बल्कि हर उस भारतीय के लिए एक जीवन दर्शन है जो राष्ट्र को सर्वोच्च मानता है।
भारत माता की तस्वीर का पहली बार मुद्रा पर आना एक ऐतिहासिक वैचारिक स्वीकृति का संकेत है जो आने वाले समय में देश की राजनीति और सामाजिक विमर्श पर एक गहरी छाप छोड़ेगा।
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