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Explainer : क्या India में विदेशी घुसपैठिए कर रहे मतदान? जानिए - चुनावी नियमों की हकीकत

पाक नागरिक ओसामा के वोट डालने के दावे ने ECI के नियमों पर सवाल उठाए हैं। भारत में वोटर ID सिर्फ भारतीयों के लिए है। फॉर्म 6 भरते समय नागरिकता की झूठी घोषणा करने पर 1 साल तक की जेल है। जानें वैरिफिकेशन नियम और ऑनलाइन अप्लाई का सही तरीका।

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Ajit Kumar Pandey
Explainer : क्या India में विदेशी घुसपैठिए कर रहे मतदान? जानिए - चुनावी नियमों की हकीकत | यंग भारत न्यूज

Explainer : क्या India में विदेशी घुसपैठिए कर रहे मतदान? जानिए - चुनावी नियमों की हकीकत | यंग भारत न्यूज Photograph: (YBN)

नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क । क्या भारत का नागरिक न होने पर भी कोई वोट डाल सकता है? पाकिस्तानी और बांग्लादेशी घुसपैठियों द्वारा भारत में मतदान करने के सनसनीखेज दावों ने देश के चुनावी नियमों पर सवाल खड़े कर दिए हैं। साथ ही आरोप कुछ राजनीतिक दलों पर भी उठाए जा रहे हैं कि वे अपने राजनीतिक फायदे के लिए घुसपैठियों को अपरोक्ष रूप से सपोर्ट कर रहे हैं। यही कारण है कि चुनाव आयोग को सख्त होना पड़ा और SIR के माध्यम से भारतीय मतदाताओं की पहचान करने की योजना पर पूरे देश में काम करने ऐलान भी कर दिया है।

Young Bharat News का यह एक्सप्लेनर बताएगा कि भारत में एक आम आदमी कैसे मतदाता पहचान पत्र के लिए आवेदन करता है और चुनाव आयोग ECI के वे कौन से सख्त नियम हैं जो सुनिश्चित करते हैं कि केवल भारतीय नागरिकों को ही वोट देने का अधिकार मिले और इस प्रक्रिया में कहां चूक हो सकती है। 

क्या भारत में घुसपैठिए भी बन रहे मतदाता?  

देश के लोकतंत्र की बुनियाद यानी वोट का अधिकार सिर्फ भारतीय नागरिकों के लिए है। लेकिन, क्या आप जानते हैं कि आपके पड़ोस में कोई ऐसा व्यक्ति भी हो सकता है जो भारत का नागरिक न हो फिर भी गर्व से अपना वोट डालता हो? 

जम्मू-कश्मीर के बारामूला में ओसामा नाम के एक व्यक्ति ने दावा किया कि वह पाकिस्तानी नागरिक होने के बावजूद भारत में वोट डालता रहा है। यह अकेला मामला नहीं है। पहलगाम में आतंकी हमले के बाद जब पाकिस्तानी नागरिकों को देश छोड़ने का आदेश दिया गया था, तब भी कई लोगों ने भारत के ज़रूरी दस्तावेज़, यहां तक कि वोटर कार्ड होने का दावा किया। यह दावा सिर्फ एक व्यक्ति का बयान नहीं है यह हमारे चुनावी सिस्टम की विश्वसनीयता पर एक गहरा प्रश्नचिह्न लगाता है। 

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अगर यह सच है, तो इसका मतलब है कि वोटर लिस्ट में ऐसे लोग शामिल हैं जिन्हें इसका कोई अधिकार नहीं है। तो सवाल यह है एक विदेशी नागरिक आखिर भारत में मतदाता पहचान पत्र Voter ID Card बनवा कैसे सकता है, जबकि नियम इसकी सख़्ती से मनाही करते हैं? 

वोटर ID नियम संविधान क्या कहता है और कौन है वोट देने का असली हकदार? 

भारत का संविधान, जो हमारे लोकतंत्र की आत्मा है, स्पष्ट रूप से मताधिकार को परिभाषित करता है। संविधान और नागरिकता का अटूट बंधन अनुच्छेद 326 यह कहता है कि 18 वर्ष या उससे अधिक आयु के हर भारतीय नागरिक को लोकसभा और विधानसभा चुनावों में मतदान करने का अधिकार है। सबसे बड़ा नियम अगर कोई व्यक्ति भारत का नागरिक नहीं है तो उसे वोट देने का अधिकार नहीं है और न ही उसका मतदाता पहचान पत्र बनाया जा सकता है। 

यह आधारभूत नियम है जिससे कोई समझौता नहीं किया जा सकता। यहीं पर जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 की धारा 16 का महत्व बढ़ जाता है। यह धारा उन कारणों को विस्तार से बताती है जिनके चलते किसी व्यक्ति को मतदाता सूची में शामिल होने के लिए अयोग्य घोषित किया जा सकता है। 

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वोटर लिस्ट से अयोग्य होने के तीन प्रमुख कारण 

1- नागरिकता का अभाव: यदि व्यक्ति 'भारत का नागरिक नहीं है'। 

2- मानसिक अस्वस्थता: यदि वह 'विक्षिप्त दिमाग का है और किसी सक्षम न्यायालय द्वारा ऐसा घोषित किया गया है'। 

3- चुनावी अपराध: यदि वह 'भ्रष्ट आचरण और अन्य अपराधों' के कारण वोट देने से अस्थायी रूप से अयोग्य ठहराया गया है। 

वोटर बनने का पहला कदम फॉर्म 6 और नागरिकता की 'घोषणा' 

नए मतदाताओं के लिए वोटर लिस्ट में रजिस्टर होने की प्रक्रिया फॉर्म 6 से शुरू होती है, जिसे भारत का चुनाव आयोग ECI जारी करता है। यह वह चाबी है जो आपको वोटिंग बूथ तक ले जाती है, लेकिन यहीं पर भरोसे और सत्यापन की सबसे बड़ी चुनौती सामने आती है। 

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फॉर्म 6 यकीन और जुर्माने की कहानी 

ज़रूरी दस्तावेज़ आवेदक को आयु प्रमाण और पते के प्रमाण की सेल्फ-अटेस्टेड स्वयं-सत्यापित प्रतियां देनी होती हैं। सबसे बड़ा पेंच ध्यान देने वाली बात यह है कि आवेदक को नागरिकता का प्रमाण प्रस्तुत करने की आवश्यकता नहीं होती। घोषणा का महत्व फॉर्म में एक कॉलम नागरिकता की घोषणा का होता है, जिस पर आवेदक को हस्ताक्षर करना होता है। यह एक कानूनी घोषणा भी है। 

यह चेतावनी है यदि यह घोषणा झूठी पाई जाती है तो आवेदक को जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 31 के अनुसार कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है। इसमें एक वर्ष तक की कैद या जुर्माना या दोनों का प्रावधान है। 

यह प्रावधान दिखाता है कि चुनाव आयोग नागरिकता के मुद्दे को कितनी गंभीरता से लेता है, लेकिन प्रक्रिया में यह शुरुआती घोषणा ही नागरिकता का मुख्य आधार बन जाती है। 

वैरिफिकेशन का चक्रव्यूह ERO और BLO की ज़िम्मेदारी क्या है? 

एक बार जब आप फॉर्म 6 जमा कर देते हैं तो असली काम शुरू होता है निर्वाचन पंजीकरण अधिकारी ERO और बूथ लेवल ऑफिसर BLO का। यही वह जगह है जहां ओसामा जैसे लोगों को पकड़ा जाना चाहिए था। 

ERO और BLO आपकी नागरिकता के पहरेदार 

दावों की जांच: ERO को आवेदक के सभी दावों की जांच करनी होती है। ज़रूरत पड़ने पर सुनवाई के लिए नोटिस भी जारी होता है। 

फील्ड वैरिफिकेशन: ERO द्वारा नियुक्त BLO आवेदक के पते पर जाकर भौतिक सत्यापन करते हैं। इनका काम दावे और आपत्तियां एकत्र करना है। 

नागरिकता निर्धारण का नियम: ECI मैनुअल के अनुसार, ERO की यह सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी है कि कोई भी अयोग्य व्यक्ति वोटर लिस्ट में न जोड़ा जाए। 

आखिर यह चूक कहां होती है? 

अक्सर, यदि किसी नए आवेदन पर कोई आपत्ति दर्ज नहीं होती है तो नागरिकता की गहन जांच नहीं होती है। ERO को "खुद को संतुष्ट करना होगा कि आवेदक, अन्य बातों के साथ-साथ, भारत का नागरिक है", लेकिन यह संतुष्टि कई बार केवल फॉर्म की घोषणा और पते के प्रमाण पर आधारित हो जाती है। 

प्रमाण का दायित्व किस पर है असली बोझ? 

नए आवेदक पर ECI मैनुअल स्पष्ट करता है कि नागरिकता के प्रमाण का दायित्व शुरू में उस आवेदक पर होता है जो पहली बार नाम जुड़वाने के लिए आवेदन करता है। आपत्ति दर्ज होने पर यदि किसी आवेदक के खिलाफ नागरिक न होने की आपत्ति दर्ज होती है तो प्रमाण प्रदान करने का दायित्व आपत्तिकर्ता पर होता है। लेकिन ERO, उस स्थिति में संबंधित व्यक्ति से यह प्रमाण दिखाने की मांग कर सकता है कि वह भारत का नागरिक है। 

यह प्रक्रिया एक कानूनी पेंच में उलझ जाती है जहां बिना आपत्ति के केवल कागज़ी कार्यवाही पर भरोसा कर लिया जाता है। 

विशेष मामलों में प्रवासी और विवाहित महिलाओं के लिए नियम 

भारत में लाखों लोग रोज़गार या विवाह के कारण एक जगह से दूसरी जगह जाते हैं। चुनाव आयोग ने ऐसे विशेष मामलों के लिए भी नियम बनाए हैं ताकि कोई भी असली नागरिक वोट के अधिकार से वंचित न रहे। 

प्रवासियों का पंजीकरण दो जिलों की जांच 

जिम्मेदार ERO भारत के अन्य हिस्सों से आए प्रवासियों माइग्रेंट्स के मामले में स्थानीय ERO को उस जिले के DEO जिला निर्वाचन अधिकारी से जांच करनी होती है जहां से दावेदार आए हैं। यह सुनिश्चित करता है कि व्यक्ति ने पुरानी जगह की वोटर लिस्ट से नाम कटवाया हो और वह नागरिक है। 

विवाहित महिलाओं के लिए आसानी दस्तावेजी सबूत 

जिन विवाहित महिलाओं ने पता बदल लिया है वे नागरिकता के दस्तावेजी साक्ष्य प्रस्तुत नहीं कर पाती हैं, ऐसे में ERO पति के वोटर के रूप में पंजीकृत होने के प्रमाण पर भरोसा कर सकता है। अतिरिक्त प्रमाण विवाह के प्रमाण या दोनों गांवों शादी से पहले और बाद के मुखिया द्वारा जारी किए गए प्रमाणपत्रों पर भी भरोसा किया जा सकता है। 

यह नियम लचीलापन दिखाता है ताकि महिलाओं को अनावश्यक परेशानी न हो। 

स्टेप-बाय-स्टेप गाइड ऑनलाइन, वोटर कार्ड के लिए अप्लाई कैसे करें? 

यदि आप 18 वर्ष के हो चुके हैं और भारतीय नागरिक हैं तो वोटर कार्ड बनवाना बहुत आसान है। यह प्रक्रिया ऑनलाइन ही पूरी की जा सकती है। 

ऑफिशियल वेबसाइट: चुनाव आयोग की वेबसाइट https//voters.eci.gov.in/ पर जाएं और 'Electors' पर क्लिक करें। लॉग-इन/साइन-अप अपना मोबाइल नंबर, पासवर्ड और कैप्चा डालकर लॉग-इन करें या नया अकाउंट बनाने के लिए 'Sign-Up' करें। 

फॉर्म 6 भरें : 'Fill Form 6' पर क्लिक करें। डिटेल्स भरें अपने राज्य, जिला, विधानसभा, नाम, पता और आधार नंबर जैसी सभी डिटेल्स सही-सही भरें। 

दस्तावेज़ अपलोड: पहचान और पते के प्रमाण के लिए सेल्फ-अटेस्टेड आधार कार्ड की फोटो अपलोड करें। सबमिट करें कैप्चा कोड डालकर 'Preview Submit' पर क्लिक करें। 

अंतिम चरण वैरिफिकेशन और कार्ड की डिलीवरी 

रेफरेंस नंबर सबमिट करने के बाद एक रेफरेंस नंबर मिलेगा। इसे सहेज कर रखें, क्योंकि इसी से स्टेटस ट्रैक होता है। बहु-स्तरीय वैरिफिकेशन ERO और BLO द्वारा आपके आवेदन को अलग-अलग लेवल पर वैरिफाई किया जाएगा। कार्ड वितरण वैरिफिकेशन पूरा होने के बाद, आपका ऑनलाइन वोटर आईडी कार्ड जनरेट हो जाएगा और कुछ दिनों बाद फिजिकल कार्ड आपके पते पर भेज दिया जाएगा। 

ओसामा जैसे दावों से स्पष्ट है कि प्रक्रिया में मानवीय भूल या जानबूझकर की गई धोखाधड़ी की गुंजाइश है। इसीलिए, एक नागरिक के रूप में हमारी भी ज़िम्मेदारी है कि हम वोटर लिस्ट पर नज़र रखें और किसी भी संदिग्ध मामले पर तुरंत आपत्ति दर्ज कराएं। 

लोकतंत्र की शुद्धता बनाए रखने के लिए यह जागरूकता बेहद ज़रूरी है।

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