Advertisment

Explainer : भारत ने दी 'नो-फ्लाई जोन' की चेतावनी, USA-China ने भेज दिए जासूसी पोत

भारत के लंबी दूरी के मिसाइल टेस्ट से पहले हिंद महासागर में भू-राजनीतिक उबाल आ गया है। चीन का युआन वांग 5 और अमेरिका का ओशन टाइटन जासूसी जहाज सक्रिय हो गए हैं। भारत ने क्यों जारी किया NOTAM, जानें यूएस चीन में मची खलबली की पूरी कहानी?

author-image
Ajit Kumar Pandey
Explainer : भारत ने दी 'नो-फ्लाई जोन' की चेतावनी, USA-China ने भेज दिए जासूसी पोत | यंग भारत न्यूज

Explainer : भारत ने दी 'नो-फ्लाई जोन' की चेतावनी, USA-China ने भेज दिए जासूसी पोत | यंग भारत न्यूज Photograph: (YBN)

नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क ।भारत के आगामी बैलिस्टिक मिसाइल परीक्षण की आहट से पहले, हिंद महासागर अचानक वैश्विक भू-राजनीतिक अखाड़ा बन गया है। बंगाल की खाड़ी में भारत के 'नो-फ्लाई ज़ोन' की घोषणा होते ही, चीन का 'युआन वांग 5' और अमेरिका का 'ओशन टाइटन' जासूसी जहाज एक्टिव हो गए हैं। ये शक्तिशाली निगरानी पोत, जिन्हें 'अनुसंधान' की आड़ में भेजा जाता है, अब भारत की रक्षा तैयारियों पर करीबी नजर रख रहे हैं, जिससे इस रणनीतिक जलमार्ग में खतरे की घंटी बज गई है। 

आइए Young Bharat News के इस एक्सप्लेनर में समझें कि क्या है इन पोतों का असली मकसद और कैसे यह घटनाक्रम भारत की सुरक्षा के लिए एक नई चुनौती पेश कर रहा है? 

भारत के संभावित लंबी दूरी की मिसाइल परीक्षण से पहले, हिंद महासागर में भू-राजनीतिक तापमान बढ़ गया है। चीन का युआन वांग 5 और अमेरिका का ओशन टाइटन जैसे निगरानी पोत सक्रिय हो गए हैं। भारत द्वारा बंगाल की खाड़ी में जारी NOTAM के बाद इन जहाजों की मौजूदगी, भारत की रणनीतिक क्षमता को ट्रैक करने और महत्वपूर्ण खुफिया जानकारी जुटाने की एक सोची-समझी कोशिश मानी जा रही है। 

मिसाइल की आहट, जासूसों का जमावड़ा  

भारत जल्द ही एक लंबी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल का परीक्षण कर सकता है। लेकिन इस बार नजारा कुछ अलग है। जैसे ही बंगाल की खाड़ी में 'नो-फ्लाई जोन' NOTAM की चेतावनी जारी हुई, वैसे ही दुनिया की दो बड़ी शक्तियां—अमेरिका और चीन—अपने अत्याधुनिक निगरानी जहाजों के साथ हिंद महासागर में उतर आईं। यह घटना महज एक संयोग नहीं, बल्कि भू-राजनीतिक वर्चस्व की एक खुली कहानी है। 

Advertisment

हर राष्ट्र अपने मिसाइल परीक्षण को अपनी सुरक्षा और तकनीकी ताकत का प्रतीक मानता है, लेकिन जब बात भारत की आती है, तो यह दुनिया की महाशक्तियों के लिए 'क्यूरियोसिटी' का विषय बन जाता है। इस बार, यह क्यूरियोसिटी जासूसी जहाजों के रूप में खुलकर सामने आई है। 

चीन का 'युआन वांग 5' 'ड्रैगन' की आंख जो सब देखती है 

Explainer : भारत ने दी 'नो-फ्लाई जोन' की चेतावनी, USA-China ने भेज दिए जासूसी पोत | यंग भारत न्यूज
Explainer : भारत ने दी 'नो-फ्लाई जोन' की चेतावनी, USA-China ने भेज दिए जासूसी पोत | यंग भारत न्यूज Photograph: (Google)

चीनी जासूसी जहाज 'युआन वांग 5' भारत के लिए कोई नया सिरदर्द नहीं है। यह चीन के अंतरिक्ष और मिसाइल ट्रैकिंग सिस्टम का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसे अक्सर 'समुद्री अनुसंधान पोत' बताकर पेश किया जाता है, पर इसकी असलियत कुछ और है। यह जहाज न केवल बैलिस्टिक मिसाइलों को ट्रैक कर सकता है, बल्कि यह मिसाइल की उड़ान के दौरान उसकी गति, सटीकता और तकनीकी मापदंडों की अत्यंत गोपनीय जानकारी भी जुटा सकता है। हाल ही में यह मलेशिया के पोर्ट क्लैंग से रवाना होकर हिंद महासागर में सक्रिय हो गया है। 

Advertisment

ज़रा सोचिए, एक जहाज जो हजारों किलोमीटर दूर से आपके सबसे गोपनीय परीक्षण पर नजर रखे हुए है, इसका मतलब क्या है? यह एक तरह का रणनीतिक ताक-झांक Strategic Snooping है, जिसका सीधा मकसद भारत की रक्षा क्षमताओं की 'कॉपी' बनाना और उन्हें समझने की कोशिश करना है। 

अमेरिका का 'ओशन टाइटन' पश्चिमी तट पर 'सर्विलांस' 

Explainer : भारत ने दी 'नो-फ्लाई जोन' की चेतावनी, USA-China ने भेज दिए जासूसी पोत | यंग भारत न्यूज
Explainer : भारत ने दी 'नो-फ्लाई जोन' की चेतावनी, USA-China ने भेज दिए जासूसी पोत | यंग भारत न्यूज Photograph: (Google)

सिर्फ चीन ही नहीं, अमेरिका भी पीछे नहीं है। अमेरिकी जासूसी और सर्वेक्षण जहाज 'ओशन टाइटन' भारत के पश्चिमी तट के पास गश्त करता दिखाई दिया है। भले ही अमेरिका इसे समुद्री अनुसंधान पोत कहता हो, लेकिन इसके अत्याधुनिक डीजल-इलेक्ट्रिक इंजन और सर्वेक्षण उपकरण इसे एक ताकतवर खुफिया जानकारी जुटाने वाला मंच बनाते हैं। 

Advertisment

रक्षा विशेषज्ञ मानते हैं कि 'ओशन टाइटन' दोहरे उद्देश्य से भेजा गया है- पहला, भारत के मिसाइल परीक्षण से उत्पन्न होने वाले डेटा और तकनीकी हस्ताक्षर Technical Signature को रिकॉर्ड करना और दूसरा, हिंद महासागर में चीनी गतिविधियों पर 'काउंटर-सर्विलांस' करना। यह घटना साफ दिखाती है कि हिंद महासागर अब शीत युद्ध के एक नए चरण का केंद्र बन चुका है। 

क्या ट्रैक करते हैं ये जासूसी जहाज? 

ये जहाज सिर्फ समुद्री यात्रा नहीं कर रहे हैं, बल्कि ये एक हाई-प्रोफाइल साइबर और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध Cyber and Electronic Warfare लड़ रहे हैं। इनके मुख्य लक्ष्य क्या होते हैं, आइए समझते हैं लक्ष्य 

विवरणमिसाइल का डेटा 
मिसाइल की लॉन्चिंगमिसाइल की लॉन्चिंग से लेकर अंतिम बिंदु तक की पूरी उड़ान प्रोफ़ाइल, गति, ईंधन खपत और मार्गदर्शन प्रणाली के डेटा को इंटरसेप्ट करना।
टेलीमेट्री ट्रैकिंगमिसाइल से निकलने वाले तकनीकी संकेतों Telemetry Signals को रिकॉर्ड करना, जिससे मिसाइल की आंतरिक कार्यप्रणाली समझी जा सके। 
सेंसर की जानकारीमिसाइल परीक्षण के दौरान भारत के राडार और अन्य निगरानी प्रणालियों द्वारा उपयोग किए जा रहे फ्रीक्वेंसी और तरंगों की पहचान करना। 
भारत की प्रतिक्रियाआपात स्थिति में भारत की नौसेना और वायु सेना की प्रतिक्रिया समय Response Time और तैयारियों का आकलन करना।

यह सारा डेटा इन महाशक्तियों को भारत की रणनीतिक भेद्यता Strategic Vulnerabilities को समझने और भविष्य में इसे बेअसर करने की योजना बनाने में मदद करता है। NOTAM मिसाइल टेस्ट की टाइमलाइन और रेंज का इशारा भारत द्वारा जारी NOTAM Notice To Airmen एक ठोस संकेत है कि परीक्षण जल्द ही होने वाला है। 

इस नोटिस में 3550 किलोमीटर के दायरे को 'नो-फ्लाई जोन' घोषित किया गया है, जो इस बात की पुष्टि करता है कि भारत एक लंबी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल LRBM का परीक्षण करने की तैयारी में है। संभावित तारीखें 15 से 17 अक्टूबर के बीच। 

मिसाइल का अनुमान: यह मिसाइल भारत की आत्मनिर्भरता और निवारक क्षमता Deterrence Capability को एक नई ऊंचाई देगी। 

भारत के लिए यह मिसाइल परीक्षण सिर्फ एक तकनीकी उपलब्धि नहीं, बल्कि अपनी सुरक्षा संप्रभुता को बनाए रखने का एक गंभीर प्रयास है। लेकिन, इस प्रयास के बीच अमेरिका और चीन के जासूसी जहाजों की मौजूदगी, भारत के लिए समुद्री सुरक्षा और खुफिया जानकारी की सुरक्षा को एक नई चुनौती देती है। 

भारत को अब न सिर्फ अपनी मिसाइल तकनीक को दुनिया से छिपाना है, बल्कि हिंद महासागर में हो रही इस अदृश्य जासूसी की 'जंग' से भी निपटना होगा। 

भारत के लिए चुनौती  

यह घटना स्पष्ट रूप से रेखांकित करती है कि भारत एक ऐसे रणनीतिक क्षेत्र में है जहां हर चाल पर वैश्विक निगाहें टिकी हुई हैं। भारत को अपनी समुद्री संपत्ति की सुरक्षा के लिए काउंटर-सर्विलांस और इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर क्षमता को और मजबूत करना होगा। 

किसी भी जासूसी पोत को भारतीय जल क्षेत्र के करीब आने से रोकना और उनकी ट्रैकिंग क्षमताओं को बाधित करना समय की मांग है। यह 'जंग' केवल पानी पर नहीं, बल्कि सूचना और प्रभुत्व की है और इस जंग में भारत को हर हाल में अपनी गोपनीयता और संप्रभुता को सुरक्षित रखना होगा। 

 India Missile Test | Spy Ships Alert | Indo Pacific Rivalry | Geopolitical Stir 

India Missile Test Spy Ships Alert Indo Pacific Rivalry Geopolitical Stir
Advertisment
Advertisment