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Explainer: आ गया भारत का युद्धपोत 'INS अंड्रोथ', दुश्मन के दिलों में क्यों बैठा खौफ? | यंग भारत न्यूज Photograph: (YBN)
नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क ।भारतीय नौसेना को आज उसका 'समंदर का शिकारी' मिल गया है: INS एंड्रोथ। यह स्वदेशी युद्धपोत उथले पानी में दुश्मन की पनडुब्बियों का काल है। 77 मीटर लंबा यह जंगी जहाज़ न सिर्फ़ भारत की तटीय सुरक्षा को अभेद्य बनाएगा, बल्कि 'आत्मनिर्भर भारत' की समुद्री शक्ति का नया प्रतीक बनकर दुश्मनों के दिलों में खौफ पैदा करेगा।
भारतीय नौसेना के बेड़े में आज एक नया, लेकिन बेहद घातक और फुर्तीला शिकारी शामिल हो गया है। इसका नाम है आईएनएस एंड्रोथ (INS Androth)। यह सिर्फ एक युद्धपोत नहीं, बल्कि भारत की समुद्री रणनीति में गेम-चेंजर साबित होने वाला एक 'साइलेंट किलर' है। इसे दूसरे पनडुब्बी रोधी उथले पानी का युद्धक जहाज (ASW-SWC) के रूप में नौसेना को सौंपा गया है।
यह उस द्वीप के नाम पर रखा गया है, जिसने सदियों से हमारे पश्चिमी तट की रक्षा की है— लक्षद्वीप का एंड्रोथ द्वीप। नाम में इतिहास है, और इरादों में भविष्य। यह जंगी जहाज़ दिखाता है कि भारत अब सिर्फ़ अपनी सुरक्षा नहीं, बल्कि समुद्री प्रभुत्व की ओर एक निर्णायक छलांग लगा रहा है।
लेकिन क्यों इसे 'समंदर का शिकारी' कहा जा रहा है और क्या हैं इसकी वो ख़ासियतें जो दुश्मन देशों की नींद उड़ाने के लिए काफ़ी हैं? आइए इस शक्तिशाली स्वदेशी युद्धपोत की सात सबसे बड़ी शक्तियों को विस्तार से समझते हैं।
INS एंड्रोथ की 7 महा-खासियतें जो इसे बनाती हैं 'अजेय'
INS एंड्रोथ को गार्डस रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (GRSE) लिमिटेड, कोलकाता द्वारा पूरी तरह स्वदेशी रूप से बनाया गया है। यह लगभग 1500 टन वजनी और 77 मीटर लंबा है। इसकी डिज़ाइनिंग, हथियार और सेंसर इसे उथले पानी के युद्धक्षेत्र का बेताज बादशाह बनाते हैं।
1. पनडुब्बी रोधी युद्ध (ASW) का महारथी
INS एंड्रोथ का मुख्य उद्देश्य ही पनडुब्बियों का शिकार करना है। यह ASW-SWC वर्ग का जहाज़ है, जिसे विशेष रूप से तटीय और उथले जल क्षेत्रों (Shallow Water) में ऑपरेशन के लिए डिज़ाइन किया गया है। बड़े युद्धपोत इन क्षेत्रों में पनडुब्बियों को ट्रैक करने में अक्सर चूक जाते हैं, लेकिन एंड्रोथ की कॉम्पैक्ट डिज़ाइन और उन्नत तकनीक इसे यहाँ सबसे प्रभावी शिकारी बनाती है।
2. स्वदेशीकरण का गौरव: 'आत्मनिर्भर भारत' का प्रतीक
यह युद्धपोत 'आत्मनिर्भर भारत' मिशन का एक ज्वलंत उदाहरण है। इसमें 80% से अधिक स्वदेशी सामग्री का उपयोग किया गया है। इसका मतलब है कि भारत के इंजीनियरों, वैज्ञानिकों और उद्योगों ने मिलकर इसे रिकॉर्ड समय में तैयार किया है। यह हमारे देश के भीतर जटिल सैन्य प्लेटफॉर्म बनाने की क्षमता को साबित करता है। यह दिखाता है कि रक्षा के क्षेत्र में हम अब दूसरों पर निर्भर नहीं हैं।
3. उन्नत सेंसर और हथियार प्रणाली
'समंदर का शिकारी' यूँ ही नहीं कहा जाता। यह अत्याधुनिक सेंसर, हथियार और प्रणोदन प्रणाली से लैस है।
सोनार (Sonar): इसमें एडवांस हल-माउंटेड और परिवर्तनीय गहराई वाले सोनार (Variable Depth Sonar) लगे हैं, जो पानी के भीतर छिपी दुश्मन पनडुब्बियों को अचूकता से पहचान सकते हैं।
हथियार (Weapons): यह विनाशकारी टॉरपीडो, माइन और नजदीकी पनडुब्बी रोधी हथियारों (Close-in ASW Weapons) से लैस है। एक बार लक्ष्य निर्धारित होने पर, दुश्मन का बचना नामुमकिन है।
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4. तटीय सुरक्षा का अभेद्य कवच
भारत के विशाल समुद्री तट की सुरक्षा एक बड़ी चुनौती है। तस्करी, घुसपैठ और समुद्री डकैती जैसे खतरों से निपटने के लिए INS एंड्रोथ एक अग्रिम पंक्ति का प्रहरी बनेगा। यह तटीय जल में प्रवेश कर दुश्मन की हर गतिविधि पर बारीक नज़र रखेगा और उन्हें बेअसर करेगा। यह हमारी समग्र समुद्री सुरक्षा ग्रिड को कई गुना मजबूत करता है।
5. रणनीतिक नामकरण: एंड्रोथ द्वीप से जुड़ा इतिहास
इस जहाज़ का नाम केंद्र शासित प्रदेश लक्षद्वीप के एंड्रोथ द्वीप के नाम पर रखा गया है। यह द्वीप ऐतिहासिक रूप से भारत के पश्चिमी समुद्री तट का एक महत्वपूर्ण संरक्षक रहा है। यह मध्य-पूर्व और अफ्रीका से आने वाले हमारे व्यापारिक और ऊर्जा मार्गों पर निगरानी रखता है। जहाज़ का यह नामकरण प्रतीकात्मक रूप से द्वीप की प्रहरी भूमिका को युद्धपोत के मिशन से जोड़ता है: भारत के जलक्षेत्र और महत्वपूर्ण समुद्री मार्गों की रक्षा करना।
6. मल्टी-लेयर ASW ग्रिड को मज़बूती
भारतीय नौसेना की पनडुब्बी रोधी युद्ध की क्षमता एक मल्टी-लेयर ग्रिड पर काम करती है। INS एंड्रोथ इस ग्रिड को और भी सघन बनाता है। यह बड़े विध्वंसक (Destroyers), फ्रिगेट (Frigates) और समुद्री गश्ती विमानों (MPA) के साथ मिलकर काम करेगा। यह एक 'जाल' बिछाता है जहाँ कोई भी दुश्मन पनडुब्बी सुरक्षित महसूस नहीं कर सकती। यह तटीय क्षेत्रों में पानी के भीतर के क्षेत्र में हमारा प्रभुत्व स्थापित करता है।
7. कम समय में निर्माण की मिसाल
आईएनएस एंड्रोथ का निर्माण भारत के जहाज निर्माण उद्योग की परिपक्वता और संकल्प को दर्शाता है। चुनौतीपूर्ण समय-सीमा के भीतर इस तरह के जटिल, अत्याधुनिक प्लेटफॉर्म को डिज़ाइन करना, विकसित करना और वितरित करना हमारे तकनीकी कौशल का प्रमाण है। यह दुनिया को बताता है कि भारत अपनी रक्षा ज़रूरतों को तेज़ी से पूरा करने में सक्षम है।
समुद्री शक्ति का नया संकल्प
आईएनएस एंड्रोथ का नौसेना में शामिल होना केवल एक नया जहाज़ नहीं है, बल्कि यह भारत की बढ़ती समुद्री क्षमता और राष्ट्रीय हितों की रक्षा के उसके अटूट संकल्प की पुष्टि है। हाल ही में शामिल हुए 'अर्नाला', 'निस्तार', 'उदयगिरि', 'नीलगिरि' और अब 'एंड्रोथ' जैसे युद्धपोत यह दर्शाते हैं कि नौसेना स्वदेशी डिज़ाइन और निर्माण के ज़रिए आत्मनिर्भरता की भावना को पूरी तरह से अपना रही है।
यह कॉम्पैक्ट, लेकिन घातक युद्ध-मशीन दुश्मनों के मन में डर पैदा करने के लिए काफी है, खासकर उथले पानी में। यह युद्धपोत अब एक रणनीतिक समुद्री संकल्प का प्रतीक और राष्ट्रीय गौरव का स्रोत बनकर हमेशा हमारे तटों की निगरानी करता रहेगा। INS एंड्रोथ भारत के लिए एक नया अध्याय है, समंदर में हमारी शक्ति अजेय होती जा रही है।
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