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Nepal से ब्राजील तक : जब देश की संसद में घुसे प्रदर्शनकारी

नेपाल में भ्रष्टाचार और सोशल मीडिया प्रतिबंध के खिलाफ शुरू हुआ जन-आंदोलन हिंसक हो गया। प्रदर्शनकारियों ने संसद भवन में घुसपैठ की। अमेरिका, ब्राजील, श्रीलंका, इराक और बांग्लादेश समेत कई देशों में भी जनता ने संसद पर धावा बोला है।

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Ajit Kumar Pandey
Nepal से ब्राजील तक : जब देश की संसद में घुसे प्रदर्शनकारी | यंग भारत न्यूज

Nepal से ब्राजील तक : जब देश की संसद में घुसे प्रदर्शनकारी | यंग भारत न्यूज Photograph: (IANS)

नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क ।नेपाल में भ्रष्टाचार और सोशल मीडिया पर प्रतिबंध के खिलाफ शुरू हुआ प्रदर्शन अचानक हिंसक हो गया और हालात इतने बिगड़े कि प्रदर्शनकारी सीधे संसद भवन के भीतर घुस गए। इस झड़प में 19 लोगों की मौत और कई घायल होने की खबर है। नेपाल के इतिहास में यह पहली बार है जब संसद पर इस तरह का हमला हुआ। 

समाचार एजेंसी आईएएनएस के अनुसार, यह घटना अभूतपूर्व जरूर है लेकिन विश्व राजनीति में संसद भवनों पर हमले और कब्ज़े की कोशिशें पहले भी कई देशों में देखने को मिली हैं। अमेरिका में 2021 का कैपिटल हिल हमला, ब्राजील में 2023 में संसद पर धावा, श्रीलंका में 2022 में जनता का राष्ट्रपति भवन और संसद पर कब्जा, इराक में संसद पर कब्जे की कोशिश, बांग्लादेश में 2024 में हिंसक छात्र आंदोलन- ये सभी घटनाएं इस बात का प्रमाण हैं कि जब जनता का असंतोष सीमा पार कर जाता है, तो लोकतंत्र की सबसे अहम संस्था भी भीड़ के गुस्से से अछूती नहीं रह पाती। 

इन घटनाओं ने यह भी साबित किया है कि आर्थिक संकट, भ्रष्टाचार, चुनावी धांधली या फिर सोशल मीडिया पर नियंत्रण जैसे मुद्दे सीधे जनता की भावनाओं से जुड़े होते हैं। जब सरकारें जनता की आवाज़ को अनसुना करती हैं, तो लोग सड़कों पर उतरकर लोकतंत्र की नींव को चुनौती देने से भी नहीं हिचकते। नेपाल की ताज़ा स्थिति इसी वैश्विक प्रवृत्ति की एक नई कड़ी है, जो लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं की नाजुकता को उजागर करती है।

ऐसे भड़क उठी हिंसा, फिर हुई जमकर तोड़फोड़

नेपाल में भ्रष्टाचार और सोशल मीडिया पर प्रतिबंध के खिलाफ जेन-जी के नेतृत्व वाले प्रदर्शन ने सोमवार को बड़ा रूप ले लिया। राजधानी काठमांडू समेत कई शहरों में हुए इस विरोध-प्रदर्शन में हिंसा भड़क गई, जिसमें 19 लोगों की मौत हो गई और दर्जनों लोग घायल हुए। स्थिति उस समय नियंत्रण से बाहर हो गई, जब प्रदर्शनकारी नेपाल की संसद भवन के भीतर घुस गए।  

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संसद परिसर में घुसे युवाओं ने नारेबाजी के साथ तोड़फोड़ भी की। इसके बाद हालात बिगड़ते देख सुरक्षा बलों ने फायरिंग की। नेपाल में संसद पर इस तरह का हमला अभूतपूर्व माना जा रहा है, हालांकि विश्व राजनीति में यह कोई नई घटना नहीं है। इससे पहले भी कई देशों में इस तरह की स्थिति देखने को मिली है।

इन देशों में भी हुए बड़े जन आंदोलन 

अमेरिका : साल 2021 में डोनाल्ड ट्रंप की चुनावी हार के बाद उनके समर्थक वाशिंगटन डीसी स्थित कैपिटल हिल में घुस गए थे। जानकारी के अनुसार, ट्रंप के एक सोशल मीडिया पोस्ट से भड़के समर्थकों ने संसद पर कब्जा करने की कोशिश की, जिसके बाद कई लोगों की मौत हुई। इस घटना के बाद ट्रंप और उनके समर्थकों के सोशल मीडिया अकाउंट भी बंद कर दिए गए थे।

ब्राजील : साल 2023 में इसी तरह की स्थिति ब्राजील में भी देखने को मिली थी। चुनावी धांधली के आरोप लगाते हुए पूर्व राष्ट्रपति जायर बोल्सोनारो के समर्थकों ने संसद भवन में घुसपैठ कर ली थी। इस दौरान हजारों की संख्या में प्रदर्शनकारियों ने कई घंटों तक संसद में हंगामा मचाया था, जिसके बाद बल प्रयोग कर उन्हें बाहर निकाला गया था।

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श्रीलंका : साल 2022 में राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे के खिलाफ एक बड़ा प्रदर्शन देखने को मिला था। आर्थिक तंगी समेत कई अन्य मुद्दों को लेकर देश की जनता सड़कों पर उतर गई थी और हालात बेकाबू हो गए थे। प्रदर्शनकारियों ने संसद भवन और प्रधानमंत्री आवास में घुसकर घंटों तक हंगामा और तोड़फोड़ की थी। इसके साथ ही प्रदर्शनकारियों ने सरकारी इमारतों से महंगी चीजें लूट ली थीं।

इराक : साल 2022 में ही इराक में भी श्रीलंका की तरह स्थिति देखने को मिली थी। बगदाद में शिया नेता मुक्तदा अल सदर के समर्थक प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार का विरोध कर रहे थे। गुस्साए लोगों ने संसद भवन पर कब्जा कर लिया और कई दिनों तक वहां डटे रहे।

बांग्लादेश : भारत के पड़ोसी देश बांग्लादेश में भी अगस्त 2024 में हिंसक प्रदर्शन हुए थे। छात्रों के एक गुट ने शेख हसीना सरकार को सत्ता से हटाने के लिए राजधानी ढाका समेत कई जिलों में प्रदर्शन किया था। इस दौरान हिंसा भी हुई थी। हिंसक प्रदर्शन को देखते हुए शेख हसीना को देश छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा था। 

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दूसरी तरफ, मुहम्मद युनूस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार गठित की गई। इसके बाद भी वहां से लगातार हिंसा की खबरें आ रही हैं। खासकर धर्म के आधार पर हिंदुओं को लगातार निशाना बनाया जा रहा है। यहां तक कि अवामी लीग ने अंतरिम सरकार पर जनता से किए गए वादे से मुकरने और देश में हिंसा को रोकने में विफल रहने का आरोप लगाया है।

इन सबके अलावा, हांगकांग और जॉर्जिया में भी जनता सरकार के खिलाफ संसद भवन में घुसकर हंगामा कर चुकी है।

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