नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क: भारत के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल अनिल चौहान ने शंगरी-ला डायलॉग में भारत की भूराजनीतिक स्थिति, पाकिस्तान के साथ संबंधों, समुद्री रणनीति और रक्षा आत्मनिर्भरता को लेकर कई अहम बातें कहीं। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि अब भारत पाकिस्तान के साथ "बिना रणनीति" के काम नहीं कर रहा और मौजूदा हालात में अलगाव ही एक बेहतर नीति प्रतीत होती है।
हर बार हमें दुश्मनी का सामना करना पड़ा
भारत ने अतीत में कई बार पाकिस्तान के साथ रिश्ते सुधारने की कोशिश की, लेकिन हर बार हमें दुश्मनी का सामना करना पड़ा। 2014 में पीएम मोदी ने तत्कालीन पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को आमंत्रित कर संबंधों की नई शुरुआत की कोशिश की थी। लेकिन ताली एक हाथ से नहीं बजती। अब हालात को देखते हुए अलगाव की नीति ज्यादा समझदारी भरी लगती है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत अब पाकिस्तान के साथ बिना ठोस रणनीति के कोई संबंध नहीं बनाना चाहता। आज भारत सामाजिक, आर्थिक और मानव विकास के हर पैमाने पर पाकिस्तान से कहीं आगे है, और यह संयोग नहीं, बल्कि भारत की दीर्घकालिक रणनीति का परिणाम है।
हिंद महासागर और सामुद्रिक रणनीति का महत्व
जनरल चौहान ने भारत की भौगोलिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए समुद्री क्षेत्र की रणनीतिक अहमियत पर जोर दिया। हम उत्तर में चीन के साथ तनाव की वजह से सीमित हैं, और पूर्व में म्यांमार की अस्थिरता हमें आगे बढ़ने नहीं देती। ऐसे में दक्षिण दिशा, विशेषकर हिंद महासागर, भारत के लिए रणनीतिक अवसर लेकर आता है। हमारे द्वीपीय क्षेत्र हमें गहराई तक पहुंच देते हैं, जो सुरक्षा के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण हैं। हमें इसका बुद्धिमानी से इस्तेमाल करना होगा। उन्होंने बताया कि उत्तर बंगाल की खाड़ी पर भी भारत की खास नजर है, और हिंद महासागर के उत्तर में कुछ क्षेत्र अब भी सुरक्षा के लिए चुनौती बने हुए हैं।
भारत की अलग स्थिति
जनरल चौहान ने स्पष्ट किया कि भारत मध्य और पश्चिम एशिया से राजनीतिक रूप से जुड़ा जरूर है, लेकिन भू-राजनीतिक तौर पर उनसे अलग खड़ा है। इसलिए समुद्री ताकत भारत की रणनीतिक प्राथमिकता होनी चाहिए। हाल ही में भारत-पाकिस्तान के बीच हुए टकराव में भारत ने स्वदेशी रक्षा प्रणाली का इस्तेमाल किया, जिसमें ‘आकाश मिसाइल सिस्टम’ और अन्य स्वदेशी तकनीकें शामिल थीं। CDS ने बताया कि हमने हालिया संघर्ष में अपने देश में बने हथियारों और तकनीकों का सफल इस्तेमाल किया। अब हमारा लक्ष्य ऐसा नेटवर्क इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करना है, जिससे हम विदेशी वेंडरों पर निर्भर न रहें। हमने मल्टी-सोर्स रडार को एकीकृत किया, जो हमारी वायु सुरक्षा के लिए बेहद कारगर रहा। CDS ने यह भी कहा कि देश में रक्षा क्षेत्र में स्टार्टअप्स, MSMEs और बड़े उद्योगों में निवेश बढ़ रहा है, जिससे भारत तेजी से आत्मनिर्भर रक्षा शक्ति की दिशा में आगे बढ़ रहा है।