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GST में बड़ा धमाका! दूध - पनीर - रोटी पर अब जीरो Tax की तैयारी! | यंग भारत न्यूज Photograph: (Google)
नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क । महंगाई से जूझ रहे आम आदमी को जल्द ही बड़ी राहत मिलने की उम्मीद है। GST काउंसिल अपनी अगली बैठक यानि 3 और 4 सितंबर 2025 की बैठक में कई ज़रूरी घरेलू सामानों पर लगने वाले टैक्स को खत्म करने पर विचार कर रही है। जिससे दूध, पनीर, रोटी जैसी चीज़ें 0% GST स्लैब में आ सकती हैं। अगर ऐसा होता है तो करोड़ों परिवारों के बजट में बड़ा बदलाव आएगा और महंगाई की मार थोड़ी कम होगी।
दरअसल, पिछले कुछ सालों में रसोई का खर्च लगातार बढ़ता ही जा रहा है। आटा, दाल, दूध, नीर जैसी रोज़ाना इस्तेमाल होने वाली चीज़ें भी महंगी होती जा रही हैं। ऐसे में आम जनता सरकार से उम्मीद करती है कि उन्हें कुछ राहत मिले।
सूत्रों के हवाले से खुश करने वाली एक खबर आ रही है कि GST काउंसिल कुछ बेहद जरूरी खाने-पीने की चीजों पर लगने वाले टैक्स को हटाने पर विचार कर रही है। इसमें सबसे ऊपर दूध, पनीर और रोटी जैसे उत्पाद हैं, जो हर घर की जरूरत है। ऐसी चीजों को GST काउंसिल जीरो टैक्स के दायरे में लाने की योजना पर काम कर रहा है।
GST टैक्स जीरो हुआ तो कैसे मिलेगी राहत
आम आदमी की थाली पर '0' टैक्स का असर अगर जीएसटी काउंसिल दूध और दूध से बने उत्पादों जैसे पनीर पर जीएसटी हटा देती है, तो इसका सीधा असर कीमतों पर पड़ेगा। मान लीजिए, अभी पनीर पर 5% जीएसटी लगता है। अगर ये हट जाता है, तो पनीर की कीमत तुरंत 5% तक कम हो जाएगी।
इसी तरह, रोटी या आटा जिस पर अभी कुछ राज्यों में टैक्स लगता है, अगर वो भी 0% स्लैब में आता है, तो परिवारों के मासिक खर्च में खासी बचत होगी। यह उन लोगों के लिए एक बड़ी राहत होगी जो अपनी रोजमर्रा की कमाई से घर चलाते हैं।
इस फैसले के पीछे का मकसद साफ है—आम लोगों को महंगाई की मार से बचाना और खाने-पीने की जरूरी चीजों को सस्ता करना। सरकार भी मानती है कि खाद्य पदार्थों पर लगने वाले टैक्स से गरीबों और मध्यम वर्ग पर बोझ बढ़ता है।
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GST स्लैब क्या है और बदलाव क्यों जरूरी?
भारत में GST के तहत फिलहाल कई स्लैब हैं: 0%, 5%, 12%, 18% और 28%। 0% स्लैब में ऐसी चीजें आती हैं जिन पर कोई टैक्स नहीं लगता जैसे कि अनपैक्ड दूध या अनब्रांडेड आटा। लेकिन, अगर इन्हीं चीजों को ब्रांडेड या पैकेट में बेचा जाता है तो उन पर टैक्स लगता है। GST काउंसिल की आने वाली बैठक में इसी अंतर को खत्म करने पर जोर दिया जा सकता है, ताकि पैकेज्ड उत्पादों पर भी टैक्स कम हो या हट जाए।
यह फैसला केवल खाने की चीजों तक सीमित नहीं हो सकता। सूत्रों के मुताबिक, कुछ और भी जरूरी चीजें इस लिस्ट में शामिल हो सकती हैं जैसे कि बच्चों के लिए कुछ खिलौने या कुछ स्टेशनरी का सामान। हालांकि, इसकी आधिकारिक पुष्टि अभी नहीं हुई है।
इस फैसले के लिए राज्यों की सहमति भी जरूरी है। कुछ राज्य राजस्व घाटे की वजह से टैक्स हटाने का विरोध कर सकते हैं, जबकि अन्य राज्य आम जनता को राहत देने के पक्ष में हैं। देखना यह होगा कि इस बैठक में क्या सर्वसम्मति बनती है। अगर यह फैसला लिया जाता है, तो यह देश की अर्थव्यवस्था और आम जनता के लिए एक ऐतिहासिक कदम होगा।
ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा: दूध, पनीर जैसे उत्पादों पर टैक्स हटने से डेयरी उद्योग को बढ़ावा मिलेगा, जिससे किसानों और छोटे व्यापारियों को फायदा होगा।
पहुंच बढ़ेगी: ज़रूरी चीजें सस्ती होने से गरीब परिवारों की उन तक पहुंच आसान होगी।
यह खबर उन लाखों लोगों के लिए एक उम्मीद की किरण है जो हर महीने बढ़ती महंगाई से परेशान हैं। अगर, यह फैसला सही साबित होता है तो यह न केवल लोगों के पैसे बचाएगा बल्कि उनकी थाली में भी खुशियां भी लाएगा।
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