नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्कः कर्नाटक हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस एनवी अंजारिया अब सुप्रीम कोर्ट के जज होंगे। नरेंद्र मोदी सरकार ने कालेजियम की उस सिफारिश को अमली जामा पहना दिया है जिसमें अंजारिया का ट्रांसफर कर्नाटक हाईकोर्ट से सुप्रीम कोर्ट किया गया था। हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के तौर पर अंजारिया ने अपना आखिरी फैसला कांग्रेस की राज्य सरकार के खिलाफ दिया। ये कर्नाटक के सीएम सिद्धरमैया के लिए एक बड़ा झटका रहा। जस्टिस अंजारिया का पैरेंट हाईकोर्ट गुजरात है। यानि वो गुजरात के ही रहने वाले हैं।
सरकार के अहम फैसले को कर दिया खारिज
कर्नाटक हाईकोर्ट ने गुरुवार को कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार के उस फैसले को खारिज कर दिया, जिसमें पब्लिक प्रासीक्यूटर को 2022 हुबली दंगों से जुड़े मामलों सहित 43 आपराधिक मुकदमों को वापस लेने का आदेश दिया गया था। गिरीश भारद्वाज बनाम कर्नाटक के मामले की सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस एनवी अंजारिया और जस्टिस केवी अरविंद की बेंच ने आज वकील गिरीश भारद्वाज की एक जनहित याचिका पर ये फैसला सुनाया। एडवोकेट ने इस मुद्दे पर राज्य सरकार के आदेश की वैधता को चुनौती दी थी। आज हाईकोर्ट में बतौर चीफ जस्टिस एनवी अंजारिया का आखिरी दिन था। ये आखिरी केस उनके सामने सुनवाई के लिए आया तो उन्होंने कहा कि सरकार के जीओ को खारिज कर दिया जाता है। यह घोषित किया जाता है कि आदेश शुरू से ही मान्य होगा।
मामले वापस लेने के लिए निर्देश जारी नहीं कर सकता
गिरीश भारद्वाज ने न्यायालय के समक्ष दायर याचिका में कहा गया है कि सरकार पब्लिक प्रासीक्यूटरों को आपराधिक मामले वापस लेने के लिए निर्देश जारी नहीं कर सकता। उन्होंने बताया कि सीआरपीसी की धारा 321 के तहत ऐसे मामलों में पब्लिक प्रासीक्यूटरों का अंतिम निर्णय होता है। याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए एडवोकेट वेंकटेश दलवई ने सर्वोच्च न्यायालय के निर्णयों का हवाला दिया, जिसमें कहा गया है कि पब्लिक प्रासीक्यूटर के कार्यालय से डाकघर की तरह काम करने की अपेक्षा नहीं की जाती है और सरकार उन पर मामले वापस लेने के लिए दबाव नहीं डाल सकता।
जस्टिस अंजारिया के साथ सुप्रीम कोर्ट को मिले दो और जज
जस्टिस अंजारिया के साथ जस्टिस विजय विश्नोई और जस्टिस अतुल एस चंदूरकर को भी सुप्रीम कोर्ट का जस्टिस बनाया गया ह। जस्टिस विजय विश्नोई राजस्थान हाईकोर्ट के जज हैं वो फिलहाल गुवाहाटी हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस थे जबकि जस्टिस अतुल एस चंदूरकर का पैरेंट हाईकोर्ट बाम्बे रहा है। अंजारिया का पैरेंट हाईकोर्ट गुजरात रहा है। 2011 में वो न्यायपालिका में आए थे। 2024 में उनको कर्नाटक हाईकोर्ट का चीफ जस्टिस बनाया गया था।
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