नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्कः पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट के जजों के लिए हरियाणा ने बेहतरीन सौगात दी है। बीजेपी की नायब सिंह सैनी सरकार ने रिटायर्ड चीफ जस्टिसेज, जस्टिसेज या उनके जीवनसाथियों को घरेलू नौकर और ड्राइवर रखने के लिए 45 हजार से लेकर 50 हजार रुपये प्रति माह देने का फैसला किया है। फोन, इंटरनेट, सिक्योरिटी और घरेलू दफ्तर के लिए 15 हजार रुपये दिए जाएंगे। ये नए लाभ उन सभी लाभों के अतिरिक्त हैं जो रिटायर्ड जजेस को पहले से ही हासिल हैं। cm haryana | Judiciary | Indian Judiciary
नौकर, दफ्तर और सुरक्षा के लिए मिलेगी रकम
हरियाणा के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने आधिकारिक तौर पर नियमों के एक नए सेट को अधिसूचित किया। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 231 के साथ-साथ अनुच्छेद 229 के माध्यम से ये शक्तियां राज्यपाल को दी गई हैं। जिसके तहत लाभ प्रदान किए गए हैं। आदेश कहता है कि सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश या न्यायाधीश या उनके पति या पत्नी हाईकोर्ट के खर्च पर नौकर, ड्राइवर, सेक्रेट्री, सिक्योरिटी और टेलीफोन सुविधा की सेवाएं प्राप्त करने के हकदार होंगे, लेकिन केवल तभी जब वो किसी अन्य हाईकोर्ट से ऐसी सेवाएं प्राप्त नहीं कर रहे हों। रिटायर्ड जज या उनके पति या पत्नी अपने मन मुताबिक से नौकर और ड्राइवर का चयन कर सकते हैं।
रिटायर्ड जज को 45 तो रिटायर्ड चीफ जस्टिस को मिलेंगे 50 हजार
नए नियमों के तहत सेवानिवृत्त न्यायाधीश या पति/पत्नी को 45 हजार रुपये प्रति माह और सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश या उनके पति/पत्नी को 50 हजार रुपये प्रति माह की राशि सरकार हर माह मुहैया कराएगी। जजेस या उनके पति/पत्नी हाईकोर्ट की अंतिम ग्रेड सेवा में कार्यरत अधिकतम दो कर्मचारियों को अपने पास भेजने का अनुरोध रजिस्ट्रार से कर सकते हैं, जिनमें से एक ड्राइवर हो सकता है। अगर कोई कर्मचारी हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को लिखित रूप में सेवानिवृत्त जजेस या उनके पति/पत्नी की नौकरी में भेजने का अनुरोध करता है और ऐसा जजेस को ठीक लगता हैं तो उन्हें काम करने के लिए भेजा जा सकता है।
हाईकोर्ट का मुलाजिम मांगा तो कटेंगे 50 प्रतिशत
नोटिफिकेशन में शर्त भी लगाई गई है। इसके मुताबिक अगर रिटायर्ड जजेस को हाईकोर्ट कर्मचारी उपलब्ध कराता है तो सेवानिवृत्त जजेस या उनका परिवार नियम-7 में निर्धारित पूरा पैसा पाने के हकदार नहीं हैं। रिटायर्ड जजों को हाईकोर्ट के मुलाजिम उपलब्ध कराने का फैसला चीफ जस्टिस लेंगे। मुलाजिमों की उपलब्धता भी इसका पैमाना होगी। ऐसी स्थिति में नियम-7 में दर्ज रकम का 50 फीसदी नहीं मिलेगा। यह लाभ तब भी नहीं दिया जाएगा जब सेवानिवृत्त जज या उनके पति या पत्नी ने कोई अन्य आधिकारिक पद संभाला हो जहां पहले से ही ऐसी सेवाएं दी जा रही हों।
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