नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क।
केंद्र सरकार लोगों को गुणवत्तापूर्ण दवाएं सुनिश्चित कराने को लेकर गंभीर है। इसके लिए जरूरत पड़ने पर नियामक मानकों को और सख्त बनाने पर भी जोर दिया जा रहा है। खासतौर पर ऐसी दवाएं, जिनका लोगों नशे के तौर पर इस्तेमाल करते हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव पुण्य सलिल श्रीवास्तव ने कहा है कि राज्य दवा नियामकों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि दवाएं केवल नुस्खों के जरिए ही बेची जाएं, ताकि मादक दवाओं का तस्करी या अन्य किसी प्रकार से अवैध उपयोग न हो।
देश में गुणवत्तापूर्ण दवाएं उपलब्ध हों
नशा मुक्त भारत अभियान के तहत मनोदैहिक दवाओं (Psychotropic Drugs) के अवैध उपयोग से निपटने और राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों की नियामक क्षमताओं को मजबूत करने के लिए सोमवार को राज्य दवा नियामकों के साथ बैठक की अध्यक्षता करते हुए श्रीवास्तव कहा कि देश में केवल गुणवत्तापूर्ण और प्रभावी दवाएं ही उपलब्ध हों, यह सुनिश्चित करने के लिए नियामक मानकों को मजबूत करने की आवश्यकता है।
बैठक के दौरान स्वास्थ्य सचिव ने राज्य दवा नियामकों से यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया कि दवाएं केवल डाक्टरों के नुस्खों के जरिए ही बेची जाएं, ताकि मादक दवाओं का तस्करी या अन्य अवैध उपयोग न हो।
कुछ उत्पादन और निर्यात पर प्रतिबंध की तैयारी
उन्होंने 905 दवा निर्माण और परीक्षण फर्मों के जोखिम-आधारित निरीक्षणों को पूरा करने के लिए केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) और राज्य दवा नियामकों की भी सराहना की, जिसके परिणामस्वरूप अब तक 694 कार्रवाई की गई हैं। उन्होंने दोहराया कि लोगों को गुणवत्तायुक्त दवाएं उपलब्ध करानेके लिए नियमों और मानकों को और सुदृढ़ किए जाने की जरूरत है।
यह बैठक भारत के औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) द्वारा दर्द निवारक दवाओं टैपेंटाडोल और कैरीसोप्रोडोल के सभी संयोजनों के उत्पादन और निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के मद्देनजर हुई है। इन दवाओं के अस्वीकृत मिश्रणों को मुंबई स्थित एक फार्मा कंपनी द्वारा पश्चिम अफ्रीकी देशों में निर्यात किया गया, जिससे वहां मादक पदार्थ संबंधी संकट पैदा हो गया।