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बाघों का घर : जिम कार्बेट की 89वीं वर्षगांठ आज, जानें जंगल की अमर कहानी | यंग भारत न्यूज Photograph: (Google)
नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क । उत्तराखंड की शांत वादियों में बसा, भारत का गौरव जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क आज 8 अगस्त 2025 को 89 साल का हो गया है। साल 1936 अगस्त 8 तारीख को स्थापित हुआ यह पार्क सिर्फ एक वन्यजीव अभ्यारण्य नहीं, बल्कि बाघ संरक्षण का इतिहास है। प्रोजेक्ट टाइगर की जन्मभूमि और एशियाई मुख्य भूमि का पहला नेशनल पार्क, कॉर्बेट की कहानी साहस, संघर्ष और प्रकृति के साथ सह-अस्तित्व की अनूठी मिसाल है। यह लेख आपको भारत के सबसे पुराने राष्ट्रीय उद्यान की अद्भुत यात्रा पर ले जाएगा, जहां हर पत्ता एक कहानी सुनाता है।
उत्तराखंड के नैनीताल और पौड़ी गढ़वाल जिले में फैला जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क 8 अगस्त 2025 को अपनी 89वीं वर्षगांठ मना रहा है। 1936 में हैली नेशनल पार्क के रूप में स्थापित हुआ यह पार्क भारत ही नहीं, बल्कि एशियाई मुख्य भूमि का पहला राष्ट्रीय उद्यान है। इसे बाघों के घर के तौर पर जाना जाता है, जहां बाघों की सबसे ज्यादा आबादी पाई जाती है। आज जब दुनिया में वन्यजीव संरक्षण पर बहस छिड़ी है, ऐसे में कॉर्बेट का सफल मॉडल एक प्रेरणा है।
बाघों के संरक्षण की अनूठी मिसाल
जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क की पहचान उसके बाघों से है। 1973 में जब भारत सरकार ने प्रोजेक्ट टाइगर की शुरुआत की, तो कॉर्बेट उन नौ टाइगर रिजर्व में से एक था, जिन्हें इस पहल के लिए चुना गया। आज, यह पार्क बाघों के सफल संरक्षण का वैश्विक प्रतीक बन चुका है। कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के निदेशक डॉ. साकेत बडोला के अनुसार, नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक, इस रिजर्व में लगभग 260 बाघ निवास करते हैं, जो भारत में सबसे अधिक है। यह संख्या न सिर्फ पार्क की सफलता बताती है, बल्कि इस बात का प्रमाण है कि सही संरक्षण प्रयासों से वन्यजीवों को बचाया जा सकता है।
VIDEO | India’s first national park, Jim Corbett National Park, has turned 89 today. Established on August 8, 1936, as Hailey National Park, it was the first of its kind not just in India, but in mainland Asia.
— Press Trust of India (@PTI_News) August 8, 2025
On this anniversary, Dr. Saket Badola, Director of Corbett… pic.twitter.com/jA0dQP9ZlU
कॉर्बेट: बाघों से कहीं बढ़कर
हालांकि, कॉर्बेट नेशनल पार्क सिर्फ बाघों का घर नहीं है। यह जैव विविधता का खजाना है। यहां बाघों के अलावा, तेंदुए, हाथी, घड़ियाल और हिरण की कई प्रजातियां पाई जाती हैं। पार्क की जैव विविधता 600 से अधिक पौधों की प्रजातियों, 580 पक्षियों की प्रजातियों और कई सरीसृपों और स्तनधारियों से समृद्ध है। यह एक ऐसा पारिस्थितिकी तंत्र है, जहां जीवन का हर रंग मौजूद है।
कॉर्बेट की विरासत और भविष्य की योजनाएं
जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क के 89 साल पूरे होने का जश्न भले ही सादगी से मनाया जा रहा हो, लेकिन अगले साल 90वीं वर्षगांठ की तैयारी अभी से शुरू हो चुकी है। डॉ. बडोला ने बताया कि अगले साल का जश्न एक भव्य समारोह होगा, जिसमें संरक्षण के प्रति नई प्रतिबद्धताएं, सामुदायिक जुड़ाव और पारदर्शिता पर जोर दिया जाएगा। यह पार्क की विरासत को आगे बढ़ाने और भविष्य की चुनौतियों का सामना करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा।
यह सिर्फ एक नेशनल पार्क की कहानी नहीं, बल्कि उस संकल्प की कहानी है जो जिम कॉर्बेट नामक एक शिकारी से संरक्षणवादी बने व्यक्ति ने लिया था। यह कहानी है उस भारत की, जो अपने प्राकृतिक खजानों को सहेजने के लिए प्रतिबद्ध है।
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