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कैसे बना India दुनिया का डिजिटल लीडर? जानिए - 'डिजिटल इंडिया' की पूरी कहानी! | यंग भारत न्यूज Photograph: (Google)
नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क ।भारत डिजिटल क्रांति का नया चेहरा बन चुका है! दुनिया अब भारत की ओर उम्मीद भरी निगाहों से देख रही है, जहाँ डिजिटल इंडिया सिर्फ एक सरकारी योजना नहीं, बल्कि एक जन आंदोलन बन गया है। सबसे सस्ता इंटरनेट, किफायती AI हब और दुनिया का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान - यह सब भारत के बढ़ते डिजिटल नेतृत्व की कहानी है।
दस साल पहले, जब भारत ने डिजिटल होने का सपना देखा था, कई लोगों को संदेह था। क्या 140 करोड़ भारतीयों के लिए तकनीक सुलभ हो पाएगी? क्या यह अमीरों और गरीबों के बीच की खाई को और बढ़ाएगी? लेकिन आज, इन सारे सवालों का जवाब भारत ने अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति और समावेशी दृष्टिकोण से दे दिया है। डिजिटल इंडिया सिर्फ एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि एक जन आंदोलन बन चुका है, जिसने हर भारतीय के जीवन को छुआ है।
यह यात्रा इंडिया फर्स्ट से इंडिया फॉर द वर्ल्ड की ओर बढ़ रही है। भारत अब केवल अपने लिए नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के लिए डिजिटल समाधान और नवाचार का केंद्र बन रहा है। यह आत्मनिर्भर भारत के निर्माण की नींव है, और दुनिया को दिखा रहा है कि कैसे तकनीक वास्तव में लोगों को सशक्त कर सकती है।
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क्यों दुनिया भारत की ओर देख रही है?
आज दुनिया की नजरें भारत पर टिकी हैं क्योंकि यहां नवाचार की एक नई लहर उठ रही है। भारत अब सिर्फ तकनीक का उपयोग करने वाला देश नहीं, बल्कि उसे बनाने वाला और नेतृत्व करने वाला देश बन गया है।
1. सबसे सस्ता इंटरनेट और किफायती कंप्यूटिंग हब
क्या आप जानते हैं कि भारत में इंटरनेट दुनिया में सबसे सस्ता है? यह कोई छोटी बात नहीं है! जहां बाकी दुनिया हाई-स्पीड इंटरनेट के लिए मोटी रकम चुकाती है, वहीं भारत ने इसे हर व्यक्ति की पहुंच में ला दिया है।
97 करोड़ से अधिक इंटरनेट कनेक्शन: 2014 में जहां सिर्फ 25 करोड़ इंटरनेट कनेक्शन थे, आज यह संख्या 97 करोड़ के पार जा चुकी है।
42 लाख किलोमीटर ऑप्टिकल फाइबर: यह इतनी लंबी केबल है कि पृथ्वी और चंद्रमा के बीच 11 बार आने-जाने के बराबर है! इसने दूर-दराज के गांवों तक भी इंटरनेट पहुंचा दिया है।
इंटरनेट के साथ-साथ, भारत अब दुनिया का सबसे किफायती कंप्यूटिंग हब भी बन गया है। खासकर AI के क्षेत्र में!
$1.2 बिलियन इंडिया AI मिशन: इस मिशन के तहत भारत ने 34,000 GPUs तक पहुंच सुनिश्चित की है, जिनकी कीमत वैश्विक स्तर पर सबसे कम है- एक डॉलर से भी कम प्रति GPU घंटा।
AI स्किल्स और टैलेंट: भारत में युवाओं के बीच AI स्किल्स और टैलेंट तेजी से बढ़ रहा है। यह दर्शाता है कि भारत भविष्य की तकनीक के लिए खुद को तैयार कर रहा है।
मानवता-पहले AI: भारत "मानवता-पहले AI" की वकालत करता है, जिसका मतलब है कि AI का विकास मानव कल्याण और समावेशी विकास के लिए होना चाहिए। नई दिल्ली डिक्लेरेशन ऑन AI इसका एक प्रमाण है।
AI सेंटर्स ऑफ एक्सीलेंस: देश भर में ऐसे कई सेंटर स्थापित किए जा रहे हैं, जो AI रिसर्च और डेवलपमेंट को बढ़ावा देंगे।
यह सब मिलकर भारत को न सिर्फ एक उपभोक्ता, बल्कि एक उत्पादक और वैश्विक नवाचार भागीदार बना रहा है।
2. दुनिया का सबसे बड़ा स्टार्टअप इकोसिस्टम
भारत अब विश्व के शीर्ष तीन स्टार्टअप इकोसिस्टम में शामिल है, जिसमें 1.8 लाख से अधिक स्टार्टअप हैं। यह सिर्फ एक आंदोलन नहीं, बल्कि एक टेक्नोलॉजी पुनर्जागरण है!
नए विचारों का केंद्र: भारत में हर दिन नए स्टार्टअप उभर रहे हैं, जो विभिन्न क्षेत्रों में समस्याओं का समाधान कर रहे हैं।
युवा शक्ति: यह युवा उद्यमियों की ऊर्जा और रचनात्मकता का परिणाम है, जो भारत को आगे बढ़ा रहे हैं।
यह दर्शाता है कि भारत में उद्यमशीलता और नवाचार का एक मजबूत माहौल है, जो वैश्विक स्तर पर ध्यान आकर्षित कर रहा है।
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3. डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (DPI) की वैश्विक सफलता
भारत का डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (DPI) अब दुनिया के लिए एक मिसाल बन गया है। आधार, कोविन, डिजिलॉकर, फास्टैग, पीएम-वानी, और वन नेशन वन सब्सक्रिप्शन जैसे प्लेटफॉर्म सिर्फ भारत में ही नहीं, बल्कि वैश्विक स्तर पर अध्ययन और अपनाए जा रहे हैं।
कोविन: टीकाकरण का महानायक
कोविन ने दुनिया के सबसे बड़े टीकाकरण अभियान को संभव बनाया, जिससे 220 करोड़ QR-सत्यापित सर्टिफिकेट जारी हुए। यह दर्शाता है कि कैसे डिजिटल तकनीक एक विशाल आबादी तक स्वास्थ्य सेवाओं को पहुंचाने में मदद कर सकती है।
डिजिलॉकर: दस्तावेजों का डिजिटल खजाना
54 करोड़ उपयोगकर्ताओं के साथ डिजिलॉकर 775 करोड़ से अधिक दस्तावेजों को सुरक्षित और निर्बाध तरीके से होस्ट कर रहा है। सोचिए, अब आपको अपने महत्वपूर्ण दस्तावेज हर जगह ले जाने की जरूरत नहीं है, वे आपके फोन में सुरक्षित हैं!
UPI: रियल-टाइम भुगतान का बादशाह
UPI ने भारत में डिजिटल भुगतान को क्रांति ला दी है। विश्व में होने वाले कुल रियल-टाइम डिजिटल ट्रांजेक्शन में से लगभग आधे भारत में होते हैं, और UPI सालाना 100 अरब से अधिक लेन-देन करता है। इसने छोटे से छोटे दुकानदार से लेकर बड़े व्यवसाय तक, सभी को डिजिटल भुगतान की सुविधा दी है।
डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT): बिचौलियों का अंत
DBT के माध्यम से 44 लाख करोड़ रुपये से अधिक की राशि सीधे नागरिकों के खातों में हस्तांतरित की गई है। इसने बिचौलियों की भूमिका को समाप्त कर दिया और 3.48 लाख करोड़ रुपये की लीकेज को रोका। यह दिखाता है कि कैसे पारदर्शिता और जवाबदेही के साथ सरकारी योजनाओं का लाभ सीधे जरूरतमंदों तक पहुंच सकता है।
स्वामित्व योजना - भूमि विवादों का समाधान
स्वामित्व जैसी योजनाओं ने 2.4 करोड़ से अधिक प्रॉपर्टी कार्ड्स जारी किए हैं और 6.47 लाख गांवों को मैप किया है। इससे वर्षों से चली आ रही भूमि संबंधी अनिश्चितता का अंत हुआ है, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा मिला है।
इन DPIs ने न केवल भारत में जीवन को आसान बनाया है, बल्कि अन्य विकासशील देशों के लिए भी एक मॉडल प्रदान किया है।
4. ओएनडीसी और जीईएम: छोटे व्यवसायों के लिए बड़ा बाजार
भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था अब छोटे और मध्यम उद्यमों (MSMEs) और छोटे उद्यमियों को अभूतपूर्व तरीके से सशक्त कर रही है।
ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स (ONDC): नए अवसरों का द्वार
कल्पना कीजिए, बनारसी बुनकर या नगालैंड के बांस शिल्पी अब बिना किसी बिचौलिये के पूरे देश के ग्राहकों तक पहुंच सकते हैं! ओएनडीसी एक क्रांतिकारी प्लेटफॉर्म है जो विक्रेताओं और खरीदारों के लिए एक विशाल बाजार खोलता है। हाल ही में, ओएनडीसी ने 20 करोड़ लेन-देन का आंकड़ा पार किया है, जिसमें पिछले 10 करोड़ सिर्फ छह महीनों में हुए हैं। यह दर्शाता है कि कैसे यह प्लेटफॉर्म छोटे व्यवसायों को सशक्त बना रहा है।
गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस (GeM): सरकार को बेचो, कमाओ!
जीईएम आम नागरिक को सरकार के सभी विभागों को सामान और सेवाएं बेचने की सुविधा देता है। इससे न केवल आम आदमी को एक विशाल बाजार मिलता है, बल्कि सरकार की भी बचत होती है। जीईएम ने 50 दिनों में एक लाख करोड़ रुपये का GMV (Gross Merchandise Value) पार किया है, जिसमें 22 लाख विक्रेता शामिल हैं। इनमें से 1.8 लाख से अधिक महिला-संचालित MSMEs हैं, जिन्होंने 46,000 करोड़ रुपये की आपूर्ति की है। यह महिला उद्यमियों और छोटे व्यवसायों के लिए एक गेम चेंजर है।
ये प्लेटफॉर्म न केवल आर्थिक विकास को बढ़ावा दे रहे हैं, बल्कि लाखों लोगों के लिए नए अवसर भी पैदा कर रहे हैं।
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5. 5G रोलआउट: गति और पहुंच का नया मानक
भारत का 5G रोलआउट विश्व में सबसे तेज रोलआउट्स में से एक है। मात्र दो वर्षों में 4.81 लाख बेस स्टेशन स्थापित किए गए हैं।
अभूतपूर्व गति: हाई-स्पीड इंटरनेट अब शहरी केंद्रों से लेकर गलवान, सियाचिन और लद्दाख जैसी अग्रिम सैन्य चौकियों तक पहुंच चुका है।
कनेक्टिविटी में क्रांति: यह न केवल शहरों में बल्कि दूरदराज के क्षेत्रों में भी कनेक्टिविटी में क्रांति ला रहा है, जिससे शिक्षा, स्वास्थ्य और अन्य सेवाओं तक पहुंच आसान हो रही है।
यह दर्शाता है कि भारत कितनी तेजी से नई तकनीक को अपना रहा है और उसे दूरदराज के क्षेत्रों तक पहुंचा रहा है।
डिजिटल इंडिया: एक समावेशी दृष्टिकोण का परिणाम
जहां दशकों तक यह संदेह किया गया कि भारतीय तकनीक का उपयोग कर पाएंगे या नहीं, हमने उस सोच को बदला और भारतीयों की तकनीक उपयोग करने की क्षमता पर विश्वास किया। जहां दशकों तक सिर्फ यह सोचा गया कि तकनीक का उपयोग अमीर और गरीब के बीच की खाई को और गहरा करेगा, हमने उस मानसिकता को बदला और तकनीक के माध्यम से उस खाई को खत्म किया।
जब नीयत सही होती है, तो नवाचार वंचितों को सशक्त करता है। जब दृष्टिकोण समावेशी होता है, तो तकनीक हाशिये पर खड़े लोगों के जीवन में परिवर्तन लाती है। यही विश्वास डिजिटल इंडिया की नींव बना – एक ऐसा मिशन, जो सभी के लिए पहुंच को लोकतांत्रिक (आसान) बनाने, समावेशी डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर बनाने और अवसरों को उपलब्ध कराने के लिए शुरू हुआ।
आज, इस प्रश्न का उत्तर डेटा और डैशबोर्ड में नहीं, बल्कि 140 करोड़ भारतीयों के जीवन के माध्यम से दिया जा चुका है। शासन से लेकर शिक्षा, लेन-देन व निर्माण तक, डिजिटल इंडिया हर जगह है।
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आगे क्या? भारत का वैश्विक डिजिटल नेतृत्व का सपना
भारत अब डिजिटल गवर्नेंस से आगे बढ़कर वैश्विक डिजिटल नेतृत्व की ओर बढ़ रहा है। हम ऐसे समाधान बना रहे हैं जो वास्तव में मायने रखते हैं, और ऐसी तकनीक के साथ नेतृत्व कर रहे हैं जो एकजुट करती है, समावेशी बनाती है और उत्थान करती है।
हम सभी इनोवेटर्स, एंटरप्रेन्योर्स, और ड्रीमर्स से कहना चाहते हैं कि दुनिया अगली डिजिटल क्रांति के लिए भारत की ओर देख रही है। आइए, हम वह बनाएं, जो सशक्त बनाता है। आइए, हम ऐसे हल निकालें, जो वास्तव में मायने रखते हों। आइए, हम उस तकनीक के साथ नेतृत्व करें, जो एकजुट करती है, समावेशी बनाती है और उत्थान करती है।
भारत का अगला दशक और भी अधिक परिवर्तनकारी होगा। जिस तरह से हमने पिछले दस वर्षों में डिजिटल परिदृश्य को बदला है, उससे यह स्पष्ट है कि हम भविष्य की चुनौतियों का सामना करने और उन्हें अवसरों में बदलने के लिए पूरी तरह तैयार हैं।
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