नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क।
JPC (संयुक्त संसदीय समिति) में जमकर हंगामा हुआ है। वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 पर संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की दिल्ली में बैठक चल रही है। सुबह 11 बजे बैठक शुरू होते ही हंगामा शुरू हो गया। विपक्षी सदस्यों ने आरोप लगाया कि उन्हें मसौदे में प्रस्तावित बदलावों पर शोध करने के लिए पर्याप्त समय नहीं दिया जा रहा है। आपको बता दें कि वक्फ संशोधन अधिनियम के लिए जेपीसी का गठन किया गया है। इसकी बैठक के दौरान हुए हंगामे के बाद भारतीय जनता पार्टी के सांसद निशिकांत दुबे ने कहा:
'मैंने विपक्ष को कभी नहीं रोका। आज तक जब भी कोई बैठक हुई, मुझे बोलने का मौका नहीं दिया गया। आज जिस तरह से बदसलूकी की गई, वह किसी भी तरह से स्वीकार्य नहीं है।'
क्या था मामला?
वक्फ संशोधन विधेयक की समीक्षा कर रही संसदीय समिति ने राजस्थान, कर्नाटक और मध्य प्रदेश समेत कई राज्यों द्वारा दिए गए वक्फ संपत्तियों के ब्यौरे को असंतोषजनक पाया था। इस मामले पर इस समिति के अध्यक्ष और भाजपा सांसद जगदयंपीश पाल ने कहा, सभी राज्यों के प्रतिनिधियों को अपना जवाब देने के लिए 15 दिन का समय दिया गया है। जरूरत पड़ने पर इस मामले में सभी को दोबारा बुलाया जाएगा। समिति ने राज्यों से वक्फ संपत्तियों के पंजीकरण, उनकी प्रकृति (उपयोगकर्ता द्वारा वक्फ या विलेख द्वारा वक्फ), इन संपत्तियों से होने वाली आय और उनकी प्रकृति में बदलाव की संभावना पर विस्तृत जानकारी मांगी है।
विवाद बढ़ता गया
बता दें कि वक्फ संशोधन अधिनियम 8 अगस्त 2024 को संसद में पेश किए जाने के बाद ही इस समिति का गठन किया गया था। इस संशोधन विधेयक के पारित होते ही विपक्ष ने सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि यह विधेयक मुस्लिम समुदाय के अधिकारों का हनन है। वहीं, भाजपा का कहना है कि यह विधेयक वक्फ के कामकाज को और सही और पारदर्शी बनाएगा और उन्हें जवाबदेह भी बनाएगा।
विपक्ष ने मांग की थी कि बैठक गणतंत्र दिवस के बाद हो
विपक्ष की ओर से लोकसभा में डीएमके के मुख्य सचेतक ए राजा ने 24 और 25 जनवरी की बैठक स्थगित करने की मांग की है। जगदंबिका पाल को लिखे पत्र में राजा ने कहा-
"कहने की जरूरत नहीं है कि जेपीसी का पटना, कोलकाता और लखनऊ का दौरा 21 जनवरी को ही पूरा हो गया था। अजीब बात यह है कि जेपीसी की अगली बैठक की तारीखों की घोषणा किए बिना जल्दबाजी में कार्यक्रम तय कर दिया गया, जबकि जेपीसी पहले से ही दौरे पर थी।"