नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क: जलवायु संकट और पारिस्थितिक असंतुलन से जूझती दुनिया के लिए भारत से एक प्रेरणादायक खबर सामने आई है। सद्गुरु द्वारा शुरू किया गया कावेरी कॉलिंग अभियान, जो दक्षिण भारत की जीवनदायिनी कावेरी नदी के पुनर्जीवन और मिट्टी संरक्षण को समर्पित है, ने वर्ष 2024-25 में 1.36 करोड़ पौधों का वृक्षारोपण कर एक नया कीर्तिमान रच दिया है। इस वर्ष की उपलब्धियों के साथ अब तक कुल 12.2 करोड़ पेड़ इस जन-आंदोलन के अंतर्गत लगाए जा चुके हैं।
किसानों को मिल रहा है स्थायी कृषि का सहारा
कावेरी कॉलिंग अभियान केवल पर्यावरण का ही नहीं, बल्कि किसानों के जीवन का भी कायाकल्प कर रहा है। अब तक 2.38 लाख से अधिक किसानों ने इस पहल के अंतर्गत वृक्ष आधारित कृषि (Agroforestry) को अपनाया है। इससे न केवल उनकी आय में बढ़ोतरी हुई है, बल्कि सूखे और जलवायु परिवर्तन जैसी समस्याओं से लड़ने में भी उन्हें मदद मिली है। पेड़ आधारित खेती में जल की आवश्यकता कम होती है, मिट्टी की उर्वरता बनी रहती है, और दीर्घकालीन आर्थिक स्थायित्व मिलता है। यही कारण है कि यह आंदोलन अब महज़ एक पर्यावरणीय पहल नहीं, बल्कि ग्रामीण आर्थिक सुधार का मॉडल बन चुका है।
दुनिया की सबसे बड़ी नर्सरी में 85 लाख पौधों की क्षमता
तमिलनाडु के कुड्डालोर ज़िले में स्थित एक नर्सरी इस अभियान का गर्व का केंद्र बन गई है। यह दुनिया की सबसे बड़ी एकल-साइट पौध नर्सरियों में से एक है और सबसे अनोखी बात यह है कि यह पूरी तरह से 160 महिलाओं द्वारा चलाई जा रही है। यह नर्सरी हर साल 85 लाख पौधों का उत्पादन करने में सक्षम है। इन महिलाओं का योगदान न केवल पर्यावरण की रक्षा में महत्वपूर्ण है, बल्कि यह महिला सशक्तिकरण की भी एक प्रेरणादायक मिसाल बन चुका है।
मिट्टी को समृद्ध बनाना
इस अभियान के प्रेरणास्रोत सद्गुरु (SG) ने कहा कि अभी, धरती और आने वाली पीढ़ियों के लिए सबसे बड़ी सेवा जो कोई भी कर सकता है, वह है मिट्टी को समृद्ध बनाना। इन 160 महिलाओं में से हर एक को बधाई और आशीर्वाद, जो खुशी-खुशी वह कर रही हैं जिसकी आज धरती पर सबसे ज़्यादा ज़रूरत है। उन्होंने वैश्विक नीति निर्माताओं से अपील की कि वे SaveSoil जैसे अभियानों को नीति के स्तर पर समर्थन दें, ताकि मिट्टी की रक्षा, खाद्य सुरक्षा और जल संरक्षण के लिए स्थायी उपाय किए जा सकें।
वैश्विक नीति निर्माण की माग
आंदोलन अब एक वैश्विक अभियान बन चुका है, जिसे 193 देशों में समर्थन मिला है। कावेरी कॉलिंग जैसे अभियान दिखाते हैं कि जब समुदाय, किसान और नेतृत्व एक साथ आते हैं, तो स्थायी बदलाव संभव है। लेकिन इसे और मजबूत करने के लिए जरूरी है कि सरकारें और अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं इसे नीति निर्माण, वित्तीय सहायता और प्रशिक्षण कार्यक्रमों से सहयोग दें।