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अस्सी के दशक में 9 लाख का फोन बिल, ऐसे फंसे CJ कि सामने आया देश का पहला महाभियोग

जस्टिस यशवंत वर्मा पहले शख्स नहीं हैं जिन पर करप्शन का आरोप लगा। जूडिशिरी में करप्शन पहले भी दिखाई दे चुका है। एक चीफ जस्टिस तो अपने फोन के बिल को लेकर ऐसे फंसे कि उनको हटाने के लिए संसद के दोनों सदनों को बैठना पड़ गया।

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Shailendra Gautam
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कोर्ट की डीएम को चेतावनी Photograph: (YBN)

प्रस्ताव गिरा क्योंकि बहुमत नहीं जुट था सका

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जस्टिस वी रामास्वामी तेज तर्रार जज के तौर पर मशहूर थे। 1989 से 1994 तक वो सु्प्रीम कोर्ट आफ इंडिया में कार्यरत रहे। उससे पहले वो पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रहे थे। वो भारत के इतिहास में पहले ऐसे जज रहे जिनके खिलाफ संसद में महाभियोग चलाया गया। हालांकि प्रस्ताव फेल हो गया क्योंकि बहुमत नहीं जुट सका। 

जस्टिस रामास्वामी पहली बार तब फंसे जब उनके फोन का बिल सामने आया। 80 के दशक में उनके आवास पर लगे सरकारी फोन का बिल 9.1 लाख रुपये का था। इसे लेकर बातें उठनी शुरू हो गईं। मामला थम जाता लेकिन चीफ जस्टिस ने एक ऐसा काम किया जिससे उनकी गर्दन फंस गई। उन्होंने सरकारी फंड से फोन का बिल भरवा दिया। 

सरकारी फंड से भुगतान कराकर खुद फंसा ली गर्दन

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80 के दशक में सरकारी फोन का बिल 9 लाख से ज्यादा होना हैरत भरा था। ये रकम तब काफी बड़ी मानी जाती थी। जाहिर है कि फोन का बेजा इस्तेमाल किया गया था। लेकिन रामास्वामी ने सरकारी फंड से बिल भरवाकर बर्र के छत्ते में ऐसा हाथ डाला जो उनके करियर पर ऐतिहासिक दाग लगा गया। वो भारत के पहले ऐसे जज थे जिनके खिलाफ महाभियोग चलाया गया। 

फोन के बिल का भुगतान सरकारी फंड से कराया गया तो तत्कालीन चीफ जस्टिस आफ इंडिया की भवें भी तन गईं। उन्होंने इन हाउस कमेटी का गठन किया। कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि चीफ जस्टिस रहते रामास्वामी ने हाईकोर्ट के लिए फर्नीचर खरीदा था। जो भुगतान हुआ वो बाजार भाव से बहुत ज्यादा था। इतना ही नहीं उन्होंने इस बिल में अपने घर के लिए भी कारपेट और फर्नीचर का इंतजाम कर लिया।

108 सांसदों ने पेश किया था लोकसभा में महाभियोग का प्रस्ताव

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रिपोर्ट के आधार पर चीफ जस्टिस आफ इंडिया ने उनको हटाने का फैसला किया। उनसे कहा गया कि वो इस्तीफा दें। नहीं माने तो सरकार के पास सारा मामला भेजा गया। 9वीं लोकसभा में उनके खिलाफ 108 सांसद महाभियोग का प्रस्ताव लेकर आए। ये संसद में पहली बार था जब किसी जस्टिस को हटाने के लिए सांसद जुटे। जस्टिस पीबी सावंत की अगुवाई में एक जांच कमेटी बनाई गई जिसने आरोपों की पुष्टि की। 

करप्ट होने के बावजूद आन बान शान से हुए थे रिटायर

हालांकि रामास्वामी के खिलाफ लाया गया प्रस्ताव बहुमत के अभाव में गिर गया। ये वाकया 1993 का है। जस्टिस रामास्वामी आन बान शान से 1994 में रिटायर हुए। उस समय वो सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस थे। तमाम जद्दोजहद के बाद भी वो अपना कार्यकाल पूरा कर ही ले गए।  

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Chief Justice, Punjab & Haryana High Court, Impeachment

India Judiciary Justice yashwant verma
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