/young-bharat-news/media/media_files/2025/02/15/9esFHY0DneJkX1j2IuCC.jpg)
Photograph: (file)
नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क।
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने आयकर विधेयक, 2025 पर विचार करने के लिए 31 सदस्यीय प्रवर समिति का गठन किया। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद बयजंत पांडा को इस समिति का अध्यक्ष बनाया गया है। लोकसभा बुलेटिन के अनुसार, इस समिति में भाजपा के 14, कांग्रेस के छह, समाजवादी पार्टी (सपा) के दो, तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी), द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक), तेलगु देशम पार्टी (तेदेपा), जनता दल-यूनाइटेड (जदयू), शिवसेना-उद्धव बालासाहेब ठाकरे (शिवसेना-उबाठा) और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी-शरदचंद्र पवार (राकांपा एसपी) के एक-एक सदस्यों को शामिल किया गया है।
भाजपा की ओर से पांडा, निशिकांत दुबे, जगदीश शेट्टार,
कुछ अन्य छोटे दलों को भी इस महत्वपूर्व समिति का हिस्सा बनाया गया है। समिति में भाजपा की ओर से पांडा के अलावा निशिकांत दुबे, जगदीश शेट्टार, सुधीर गुप्ता, पीपी चौधरी और नवीन जिंदल समेत 14 नेताओं को जगह दी गई है। वहीं, कांग्रेस की तरफ से दीपेंद्र हुड्डा, अमर सिंह समेत छह सांसद इस समिति में शामिल किए गए हैं। सपा से लालजी वर्मा और प्रिया सरोज तथा तृणमूल कांग्रेस से महुआ मोइत्रा को समिति में जगह दी गई है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बृहस्पतिवार को लोकसभा में आयकर विधेयक, 2025 पेश किया था और बिरला से इसे प्रवर समिति के विचार के लिए भेजने का आग्रह किया था।
बिल कानूनी भाषा को भी सरल बनाएगा
विधेयक, जो आयकर अधिनियम, 1961 की जगह लेगा, का उद्देश्य भारत की कर प्रणाली को सरल और आधुनिक बनाना है। यह कानूनी भाषा को भी सरल बनाएगा, ताकि करदाता प्रावधानों को आसानी से समझ सकें। विधेयक के अंतर्गत नये कर नहीं लगाए जाएंगे। इसके बजाय, यह विधेयक कर कानूनों को सरल बनाने, कानूनी जटिलताओं को कम करने और करदाताओं के लिए अनुपालन को आसान बनाने पर ध्यान केंद्रित करेगा। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार 13 फरवरी को इनकम टैक्स बिल, 2025 को संसद के निचले सदन लोकसभा में पेश किया. विधेयक को सदन पलट रखते ही ध्वनिमत से पारित कर दिया गया. हालांकि, बाद में वित्त मंत्री सीतारमण के अनुरोध पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने विधेयक को संसद की सलेक्ट समिति को भेज दिया है. अब यह समिति इस विधेयक के प्रत्येक क्लॉज की बारीकी से समीक्षा करेगी. राष्ट्रपति से मंजूरी मिलने के बाद यह विधेयक आयकर अधिनियम, 1961 की जगह लेगा