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अंतरिक्ष में India का 'स्पेस घर'! ये है ISRO का गगनयान मिशन में जिंदगी बसाने का पहला मॉडल

ISRO ने भारत के अपने अंतरिक्ष स्टेशन (BAS) का मॉडल पेश किया है, जिसका पहला मॉड्यूल 2028 तक लॉन्च होगा। 10 टन वजनी यह स्वदेशी मॉड्यूल अंतरिक्ष में 450 किमी की ऊंचाई पर स्थापित होगा, जो भारत को ऑर्बिटल लेबोरेटरी वाले चुनिंदा देशों में शामिल कर देगा।

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Ajit Kumar Pandey
अंतरिक्ष में India का 'स्पेस घर'! ये है ISRO का गगन में जिंदगी बसाने का पहला मॉडल | यंग भारत न्यूज

अंतरिक्ष में India का 'स्पेस घर'! ये है ISRO का गगनयान मिशन में जिंदगी बसाने का पहला मॉडल | यंग भारत न्यूज Photograph: (Google)

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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क । भारत का अंतरिक्ष में अपना घर बनाने का सपना सच होने जा रहा है! भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने भारत के अपने अंतरिक्ष स्टेशन का मॉडल पेश कर दिया है। इसे भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (BAS) नाम दिया गया है, जिसका पहला मॉड्यूल 2028 तक अंतरिक्ष में होगा। यह भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम में एक नया अध्याय है, जो देश को उन चुनिंदा देशों की कतार में खड़ा कर देगा, जिनके पास अपनी ऑर्बिटल लेबोरेटरी है।

यह सिर्फ एक स्टेशन नहीं, बल्कि अंतरिक्ष में भारत की महत्वाकांक्षा का प्रतीक है। ISRO ने दिल्ली में आयोजित राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस समारोह में BAS-01 मॉड्यूल का मॉडल पेश किया, जिसने सबको चौंका दिया। यह 10 टन का मॉडल 450 किलोमीटर की ऊंचाई पर पृथ्वी की निचली कक्षा में स्थापित किया जाएगा। इस ऐतिहासिक कदम के साथ भारत उन देशों की सूची में शामिल हो जाएगा, जिनके पास अंतरिक्ष में अपनी प्रयोगशाला है। फिलहाल सिर्फ अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) और चीन का तियांगोंग अंतरिक्ष स्टेशन ही अंतरिक्ष में मौजूद हैं।

क्यों खास है यह अंतरिक्ष स्टेशन?

भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन को किसी भी विदेशी तकनीक की मदद के बिना, पूरी तरह से 'मेड इन इंडिया' बनाया जा रहा है। इसका हर हिस्सा स्वदेशी होगा, जिसमें सबसे महत्वपूर्ण है पर्यावरण नियंत्रण और लाइफ सपोर्ट सिस्टम (ECLSS)। यह सुनिश्चित करेगा कि अंतरिक्ष यात्री लंबे समय तक सुरक्षित और आरामदायक माहौल में रह सकें।

अंतरिक्ष में India का 'स्पेस घर'! ये है ISRO का गगन में जिंदगी बसाने का पहला मॉडल | यंग भारत न्यूज
अंतरिक्ष में India का 'स्पेस घर'! ये है ISRO का गगनयान मिशन में जिंदगी बसाने का पहला मॉडल | यंग भारत न्यूज Photograph: (Google)

ये हैं BAS की खूबियां

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10 टन वजनी मॉड्यूल: यह पहला मॉड्यूल है, जिसे LVM-3 रॉकेट से लॉन्च किया जाएगा।

450 किलोमीटर की ऊंचाई: यह पृथ्वी की निचली कक्षा में स्थापित होगा।

स्वदेशी तकनीक: इसमें भारतीय डॉकिंग सिस्टम, बर्थिंग मैकेनिज्म और ऑटोमेटिक हैच सिस्टम जैसी तकनीकें शामिल होंगी।

वैज्ञानिक अनुसंधान का केंद्र: यह माइक्रोग्रैविटी रिसर्च, जीवन विज्ञान और चिकित्सा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण खोजों को संभव बनाएगा।

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इस स्टेशन में रेडिएशन, थर्मल और मेटियोरॉइड से बचाव की व्यवस्था भी होगी। यह स्टेशन ना सिर्फ वैज्ञानिकों के लिए बल्कि भविष्य में अंतरिक्ष पर्यटन के लिए भी एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है।

अंतरिक्ष यात्रियों के लिए एक नई दुनिया

यह अंतरिक्ष स्टेशन भारत के गगनयान मिशन को एक नई दिशा देगा। यहां भारतीय अंतरिक्ष यात्री अंतरिक्ष में लंबे समय तक रहने की ट्रेनिंग ले सकेंगे और वहां के माहौल का अध्ययन कर सकेंगे। यह अंतरिक्ष में मानव स्वास्थ्य पर माइक्रोग्रैविटी के प्रभावों को समझने का एक बड़ा अवसर प्रदान करेगा। यह स्टेशन भविष्य के इंटरप्लेनेटरी एक्सप्लोरेशन (अंतरग्रहीय खोजों) के लिए भी रास्ता खोलेगा।

भारत की योजना 2035 तक BAS के पांच मॉड्यूल स्थापित करने की है। यह अंतरिक्ष स्टेशन भारत को वैश्विक मंच पर एक मजबूत खिलाड़ी बनाएगा और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देगा। यह भारतीय युवाओं को अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में करियर बनाने के लिए प्रेरित करेगा। दिल्ली में प्रदर्शित किया गया 3.8 मीटर गुणा 8 मीटर का विशाल मॉडल हर किसी के लिए एक प्रेरणा का स्रोत बन गया है। यह सिर्फ एक मॉडल नहीं है, बल्कि भारत के सुनहरे भविष्य की एक झलक है।

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