/young-bharat-news/media/media_files/2025/08/23/befunky-collage-2025-08-23-13-38-40.jpg)
नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क: भारत और अमेरिका के बीच इस समय ट्रेड, रूस से तेल आयात और भारत-पाकिस्तान रिश्तों में मध्यस्थता जैसे मुद्दों को लेकर तनातनी बनी हुई है। इन सब पर विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने खुलकर अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि भले ही इन विषयों पर दोनों देशों में मतभेद हैं, लेकिन बातचीत बंद नहीं हुई है। जयशंकर ने स्पष्ट किया कि अमेरिका के साथ व्यापार वार्ता के दौरान भारत अपने किसानों और छोटे उत्पादकों के हितों को सर्वोपरि रख रहा है। उन्होंने कहा कि हमारी कुछ रेड लाइन्स हैं जिनसे पीछे हटना संभव नहीं है। अगर कोई असहमत है, तो उन्हें जनता को बताना चाहिए कि वे किसानों के हितों की रक्षा नहीं करना चाहते।
रूसी तेल पर अमेरिका की दोहरी नीति पर सवाल
विदेश मंत्री ने रूस से तेल आयात को लेकर अमेरिका की आलोचना करते हुए कहा कि जब चीन, रूस का सबसे बड़ा तेल खरीदार है,तो उस पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया गया। उन्होंने कहा कि अगर रूस से तेल खरीदने में दिक्कत है, तो मत खरीदिए लेकिन यूरोप और अमेरिका खुद खरीद रहे हैं। फिर भारत को क्यों रोका जाए? जयशंकर ने दोहराया कि भारत अपने राष्ट्रीय हितों और ऊर्जा सुरक्षा को ध्यान में रखकर ही निर्णय लेता है और किसी अंतरराष्ट्रीय दबाव में नहीं आएगा। गौरतलब है कि अमेरिका ने भारत पर 25% अतिरिक्त टैरिफ लगाया है और आरोप लगाया कि भारत के कारण रूस को फायदा हुआ है। इसके जवाब में भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि तेल खरीद जारी रहेगी।
भारत-पाकिस्तान रिश्तों में मध्यस्थता पर सख्त रुख
पाकिस्तान के साथ रिश्तों को लेकर जयशंकर ने कहा कि भारत में 1970 के दशक से राष्ट्रीय सहमति रही है कि इन संबंधों में किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता स्वीकार नहीं की जाएगी। उन्होंने दोहराया कि यह नीति 50 साल से चली आ रही है और इसमें कोई बदलाव नहीं होगा।जयशंकर ने अंत में कहा कि सरकार की नीति तीन प्रमुख बिंदुओं पर टिकी हैं जिसमें किसानों और छोटे उत्पादकों के हितों की रक्षा,रणनीतिक स्वायत्तता से कोई समझौता नहीं औरभारत-पाकिस्तान रिश्तों में किसी तीसरे की भूमिका नहीं होगी।उन्होंने कहा कि हम बातचीत के लिए हमेशा तैयार हैं, लेकिन राष्ट्रीय हित हमारे लिए सर्वोपरि हैं। s jaishankar | India Pakistan Relations | india us relations