नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क: भारत और कनाडा ने आतंकवाद, अंतरराष्ट्रीय अपराध और उग्रवाद से निपटने के लिए खुफिया सूचनाओं के आदान-प्रदान को लेकर एक महत्वपूर्ण समझौते पर सहमति जताई है। यह कदम 2023 में दोनों देशों के बीच उपजे तनाव को कम करने और द्विपक्षीय रिश्तों को फिर से पटरी पर लाने की दिशा में एक अहम पहल माना जा रहा है। प्रस्तावित समझौते के तहत दोनों देशों की कानून प्रवर्तन एजेंसियां आतंकवाद, उग्रवादी गतिविधियों, संगठित अपराध और सीमा पार अपराध सिंडिकेट से जुड़ी सूचनाएं साझा करेंगी। यह पहल खास तौर पर कनाडा के लिए उस संदर्भ में अहम मानी जा रही है, जहां न्यायेतर हत्याओं की जांच की जा रही है जिनमें भारत की भूमिका को लेकर कुछ आरोप सामने आए थे।
समझौते के मसौदे को अंतिम रूप दिया
खास बात यह है कि खालिस्तानी समूहों के विरोध के बावजूद कनाडा ने भारत के साथ यह समझौता करने की दिशा में कदम बढ़ाया है। ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार, समझौते के मसौदे को अंतिम रूप दिया जा रहा है और इसे सार्वजनिक रूप से कब घोषित किया जाएगा, इसकी समय-सीमा फिलहाल तय नहीं है। माना जा रहा है कि इसे जी-7 शिखर सम्मेलन के दौरान सार्वजनिक किया जा सकता है, जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी के बीच बैठक की संभावना है।
वैश्विक मुद्दों पर चर्चा का एक अहम अवसर
गौरतलब है कि भारत जी-7 का औपचारिक सदस्य नहीं है, लेकिन वह अब तक 12 बार इस मंच पर आमंत्रित सदस्य के रूप में भाग ले चुका है। भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रंधीर जायसवाल ने गुरुवार को नई दिल्ली में कहा कि “जी-7 सम्मेलन के इतर दोनों नेताओं की प्रस्तावित बैठक द्विपक्षीय और वैश्विक मुद्दों पर चर्चा का एक अहम अवसर होगी। यह समझौता उस समय हो रहा है जब भारत-कनाडा संबंध 2023 में खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के बाद काफी तनावपूर्ण हो गए थे। उस वक्त कनाडा के तत्कालीन प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने भारत पर इस हत्या में शामिल होने का आरोप लगाया था, जिसे भारत ने सिरे से खारिज कर दिया था। इसके बाद दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंधों में कटुता आई, राजनयिकों को निष्कासित किया गया और वीजा सेवाएं भी प्रभावित हुईं।
दोनों देशों ने रिश्ते सुधारने की दिशा में बढ़ाया कदम
हालांकि, इस तनावपूर्ण माहौल के बावजूद दोनों देशों की सुरक्षा एजेंसियों के बीच संवाद बना रहा और सूचनाओं का आदान-प्रदान जारी रहा। नई व्यवस्था पहले से मौजूद सहयोग से ज्यादा व्यापक और उच्चस्तरीय होगी। शुरुआती चरण में यह सहयोग पुलिस बलों के बीच सीमित रहेगा, लेकिन आगे चलकर इसमें अन्य सुरक्षा और खुफिया एजेंसियों को भी शामिल किया जा सकता है। हाल के दिनों में दोनों देशों ने रिश्ते सुधारने की दिशा में कई छोटे लेकिन महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने हाल ही में मार्क कार्नी को चुनाव जीतने पर बधाई दी थी और दोनों नेताओं के बीच टेलीफोन पर बातचीत भी हुई थी। मोदी को जी-7 सम्मेलन में आमंत्रित किया जाना भी इस बात का संकेत है कि कनाडा नई सरकार के तहत भारत के साथ रिश्ते बेहतर करना चाहता है।
कनाडा के भीतर विरोध की आवाजें भी उठी
प्रधानमंत्री कार्नी ने अपनी प्राथमिकताओं में "विदेशी हस्तक्षेप और अंतरराष्ट्रीय अपराध से मुकाबला" को शामिल किया है। हालांकि इस नई पहल को लेकर कनाडा के भीतर विरोध की आवाज़ें भी उठी हैं। वर्ल्ड सिख ऑर्गेनाइजेशन ऑफ कनाडा और खुद कार्नी की लिबरल पार्टी के कुछ सांसदों ने प्रधानमंत्री मोदी को जी-7 में आमंत्रित किए जाने पर आपत्ति जताई है। इस सबके बीच अंतरराष्ट्रीय घटनाक्रम जैसे कि ईरान-इजरायल तनाव और हालिया एयर इंडिया विमान हादसे की पृष्ठभूमि में भी भारत-कनाडा संवाद को एक सकारात्मक दिशा में देखा जा रहा है, हालांकि प्रधानमंत्री मोदी की कनाडा यात्रा को लेकर कुछ अनिश्चितता अब भी बनी हुई है।