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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क ।साल 1998 के पोखरण-II परीक्षण के बाद भारत ने हाइड्रोजन बम H-Bomb बनाने की क्षमता हासिल करने का दावा किया था, जिसे 'थर्मोन्यूक्लियर डिवाइस' भी कहते हैं। यह साधारण परमाणु बम से 1000 गुना अधिक विनाशकारी हो सकता है।मौजूदा वैश्विक तनाव और पाकिस्तान द्वारा परमाणु हथियार बनाए जाने की अमेरिकी रिपोर्टों के बीच, विशेषज्ञ भारत को इस 'महा-हथियार' के परीक्षण की सलाह दे रहे हैं।
हाइड्रोजन बम, एटम बम से कितना अलग है? और भारत-पाकिस्तान के परमाणु जखीरे में कौन भारी है? आइए समझते हैं। महाविनाश की वो क्षमता हाइड्रोजन बम क्यों है दुनिया का 'सिटी बस्टर'?
भारत ने 18 मई 1998 को पोखरण में जो पांच परमाणु परीक्षण किए थे, उनमें से एक 'थर्मोन्यूक्लियर डिवाइस' यानी हाइड्रोजन बम का भी था। यह ख़बर इतनी विस्फोटक थी कि अमेरिकी अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स ने पहले ही इसका खुलासा कर दिया था। उस समय के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने गर्व से कहा था कि भारत ने अब "एक बड़ा बम बनाने की क्षमता हासिल कर ली है।" यह दावा भारत को उपमहाद्वीप की परमाणु शक्ति के खेल में पाकिस्तान से बहुत आगे ले गया था।
1998 :: PM Atal Bihari Vajpayee With Scientist Abdul Kalam at Pokhran Nuclear Site pic.twitter.com/WxXBqiY6n6
— indianhistorypics (@IndiaHistorypic) October 15, 2022
पाकिस्तान का डर और अमेरिकी ख़ुलासा
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के उस खुलासे ने फिर से दुनिया का ध्यान खींचा जब उन्होंने कहा कि पाकिस्तान एक बार फिर परमाणु बम बना रहा है। यही वो वजह है कि सैन्य और सामरिक विशेषज्ञ अब खुलकर कह रहे हैं कि चीन और पाकिस्तान के बढ़ते परमाणु खतरे को देखते हुए भारत को अपने हाइड्रोजन बम H-Bomb की क्षमता को पूरी तरह स्थापित करना चाहिए।
आपको याद दिला दें, साल 1989 में CIA के निदेशक विलियम एच. वेबस्टर ने एक सीक्रेट फाइल में आशंका जताई थी कि भारत हाइड्रोजन बम बनाने की दिशा में काम कर रहा है – और 10 साल बाद उनकी बात सही साबित हुई।
एटम बम बनाम हाइड्रोजन बम कितना है विनाश का अंतर?
हाइड्रोजन बम को सीधे शब्दों में कहें, तो यह परमाणु हथियार तकनीक का चरम है। इसे 'थर्मोन्यूक्लियर बम' भी कहा जाता है।
| विशेषता | परमाणु बम एटम बम | हाइड्रोजन बम H-बम/थर्मोन्यूक्लियर |
| प्रक्रिया | नाभिकीय विखंडन Fission | नाभिकीय संलयन Fusion |
| ईंधन | यूरेनियम-235 प्लूटोनियम-239 | हाइड्रोजन के आइसोटोप ड्यूटीरियम, ट्रिटियम |
| शक्ति | किलोटन Kiloton में मापी जाती है। | मेगाटन Megaton में मापी जाती है। |
| विनाशकारी क्षमता | हिरोशिमा जैसे शहर को ध्वस्त कर सकता है। | एक साथ 1000 एटम बम जितनी शक्ति, पूरे महानगर को नष्ट कर सकता है। |
| उपलब्धि | द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान इस्तेमाल हुआ। | 1952 में अमेरिका ने पहली बार परीक्षण किया। |
armscontrolcenter.org की रिपोर्ट के मुताबिक, एक शक्तिशाली हाइड्रोजन बम मिनटों में पूरे न्यूयॉर्क महानगर को नष्ट करने की क्षमता रखता है। यही वजह है कि इसे सैन्य हलकों में 'सिटी बस्टर' नाम से जाना जाता था। यह साधारण परमाणु बम से सैकड़ों से लेकर 1000 गुना तक अधिक शक्तिशाली हो सकता है।
पोखरण की वो 'महाशक्ति' भारत का H-बम कितना शक्तिशाली था?
साल 1998 के परीक्षण के बाद भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर BARC के वैज्ञानिकों ने दावा किया था कि उन्होंने थर्मोन्यूक्लियर हाइड्रोजन बम के विस्फोट को अपनी सर्वोच्च उपलब्धि माना है।
कुल क्षमता: भारतीय वैज्ञानिकों ने उस समय दावा किया था कि उनके पांचों परीक्षणों की कुल क्षमता 58 किलोटन थी।
H-बम की क्षमता: अकेले हाइड्रोजन बम की क्षमता 45 किलोटन 45000 टन TNT के बराबर बताई गई थी।
हालांकि, इस पर कुछ सवाल भी उठे थे, लेकिन भारत सरकार और वैज्ञानिकों ने इस क्षमता को हासिल करने की पुष्टि की थी। यह क्षमता भारत को विश्व के उन चुनिंदा पांच देशों - अमेरिका, पूर्व सोवियत संघ, ब्रिटेन, फ्रांस और चीन - की सूची में शामिल कर देती है, जिन्होंने हाइड्रोजन बम का सफल परीक्षण किया है।
विशेषज्ञ क्यों कह रहे हैं 'अब और परीक्षण करो'?
अमेरिकी रक्षा विशेषज्ञ एश्ले टेलिस ने 2022 में ही भारत को सलाह दी थी कि चीन के खिलाफ प्रभावी प्रतिरोधक क्षमता हासिल करने के लिए भारत को हाइड्रोजन बम का पूर्ण परीक्षण करना होगा। चीन, जो अपनी परमाणु हथियारों की संख्या तेज़ी से बढ़ा रहा है, भारत के लिए सबसे बड़ा सामरिक खतरा है। जाहिर है, जब दुश्मन 'महा-हथियार' बना रहा हो, तो 'आत्मनिर्भरता' केवल एक विकल्प नहीं, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा की गारंटी बन जाती है।
भारत vs पाकिस्तान परमाणु जखीरे में कौन कितना भारी?
परमाणु हथियारों की संख्या को लेकर स्वीडिश थिंक टैंक SIPRI स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट की 2024 की रिपोर्ट ने स्थिति साफ कर दी है।
| देश | परमाणु हथियारों की संख्या जनवरी |
| भारत | 172 |
| पाकिस्तान | 170 संख्या में भारत आगे भारत पहली बार पाकिस्तान से संख्या के मामले में आगे निकला है। |
बम की ताकत भारत के पास 40 किलोटन से लेकर 200 किलोटन तक के शक्तिशाली परमाणु बम हैं। वहीं, पाकिस्तान के पास अधिकतम 40 किलोटन तक की क्षमता वाले बम हैं।
मिसाइल क्षमता: भारत की अग्नि मिसाइल सीरीज रेंज 700 किमी से 5000+ किमी पाकिस्तान की मिसाइलों से कहीं ज़्यादा मारक और उन्नत हैं।
रक्षा नीति: भारत ने 'नो फर्स्ट यूज़' No First Use - पहले इस्तेमाल न करना की नीति अपनाई है, यानी वह केवल परमाणु हमले के जवाब में ही इसका उपयोग करेगा।
यह नीति पाकिस्तान के 'पूर्ण आयामी प्रतिरोधक सिद्धांत' Full Spectrum Deterrence Doctrine से अलग है।
भले ही पाकिस्तान के पास परमाणु बमों की संख्या 170 हो, लेकिन भारत की हथियार गुणवत्ता, डिलीवरी सिस्टम मिसाइलें, और विशेष रूप से हाइड्रोजन बम जैसी महा-विनाशक क्षमता उसे पाकिस्तान से कहीं ज़्यादा भारी और शक्तिशाली बनाती है।
निर्णायक शक्ति का संतुलन
भारत की हाइड्रोजन बम क्षमता सिर्फ एक हथियार नहीं है, बल्कि यह चीन और पाकिस्तान जैसे देशों के लिए एक मज़बूत प्रतिरोधक शक्ति Deterrence है। यह सुनिश्चित करता है कि कोई भी देश भारत पर परमाणु हमला करने से पहले हज़ार बार सोचेगा।
आज के भू-राजनीतिक माहौल में, यह क्षमता भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। सवाल अब यह नहीं है कि 'भारत के पास हाइड्रोजन बम है या नहीं', सवाल यह है कि वैश्विक चुनौतियों के बीच, क्या अब भारत को अपनी इस निर्णायक शक्ति को दुनिया के सामने पूरी तरह स्थापित कर देना चाहिए?
CIA India Report | Pokhran 1998 | Thermonuclear Debate | India Nuclear Power
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