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अमेरिका को करारा झटका! अब भारत में बनेगा 5वीं पीढ़ी का फाइटर जेट, फ्रांस से हुई बड़ी डील | यंग भारत न्यूज Photograph: (Google)
नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क । भारत ने अपनी वायुसेना को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया है। 5वीं पीढ़ी के फाइटर जेट के लिए स्वदेशी इंजन बनाने का सपना अब सच होने जा रहा है। फ्रांस की Safran कंपनी की मदद से भारत में ही अत्याधुनिक इंजन का निर्माण होगा। यह फैसला अमेरिका की उस झिझक का सीधा जवाब है, जिसके चलते वह भारत को F-35 फाइटर जेट बेचने से हिचक रहा था।
आपको बता दें कि भारत के स्वदेशी फाइटर जेट तेजस के लिए अमेरिका की एक कंपनी के साथ बातचीत हुई थी। साथ ही अमरिकी कंपनी ने समय से इंजन देने का वादा किया था लेकिन, बदलती परिस्थितियों में अमेरिकी कंपनी समय से इंजन देने से मुकर गई। अब भारत ने आगे बात करने के बजाय फ्रांस के साथ अपनी साझेदारी को आगे बढ़ाते हुए नई डील कर ली है। माना जा रहा है कि इससे अमरिका को बड़ा झटका लगेगा।
बोले रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने यह जानकारी दी है। उन्होंने कहा कि भारत के लिए यह समझौता सिर्फ इंजन बनाने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह भारत के लिए एक गेम चेंजर साबित हो सकता है। अब तक, भारत लड़ाकू विमानों और उनके महत्वपूर्ण पुर्जों के लिए दूसरे देशों पर निर्भर रहा है। लेकिन इस साझेदारी के बाद भारत अपनी जरूरत के हिसाब से इंजन को न सिर्फ बना पाएगा, बल्कि उन्हें बेहतर भी कर पाएगा। यह डील भारत की मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत की पहल को और मजबूत करेगी।
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चीन और पाकिस्तान के लिए नई चुनौती
चीन और पाकिस्तान अपनी वायुसेना को लगातार मजबूत कर रहे हैं। चीन का J-20 फाइटर जेट और पाकिस्तान का JF-17 लड़ाकू विमान भारत के लिए हमेशा से एक चुनौती रहे हैं। लेकिन अब जब भारत भी 5वीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान बनाने की क्षमता हासिल कर लेगा, तो इससे न सिर्फ दक्षिण एशिया में शक्ति संतुलन बदलेगा, बल्कि यह भारत की सुरक्षा को भी कई गुना बढ़ा देगा।
समझौते की मुख्य बातें
संयुक्त विकास: भारत की DRDO और फ्रांस की Safran कंपनी मिलकर इस इंजन का डिजाइन और निर्माण करेंगी।
तकनीकी हस्तांतरण (Technology Transfer): फ्रांस इस प्रोजेक्ट के लिए भारत को अपनी गुप्त और अत्याधुनिक तकनीक देगा।
आत्मनिर्भरता: भारत का लक्ष्य अपनी वायुसेना के लिए पूरी तरह से आत्मनिर्भर होना है।
F-35 का जवाब: अमेरिका के F-35 जेट न बेचने के फैसले के बाद भारत ने यह कड़ा कदम उठाया है।
इस साझेदारी से न सिर्फ भारत की रक्षा क्षमता बढ़ेगी, बल्कि यह वैश्विक मंच पर भारत की स्थिति को भी मजबूत करेगी। यह भविष्य के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है जो भारत को रक्षा क्षेत्र में एक अग्रणी देश बनाएगा।
ट्रंप प्रशासन ने भारत को F-35 फाइटर जेट बेचने से इसलिए इनकार कर दिया था, क्योंकि उन्हें डर था कि कहीं भारत इस तकनीक को रूस के साथ साझा न कर दे। यह फैसला भारत के लिए एक बड़ा झटका था, लेकिन अब इस नए समझौते से भारत ने अमेरिका को यह साफ कर दिया है कि वह अपनी सुरक्षा के लिए किसी पर निर्भर नहीं रहेगा।
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