Advertisment

BrahMos को और ज्यादा घातक बनाने की तैयारी में भारत, जानिए क्या है रणनीति

शुक्रवार और शनिवार के बीच अंडमान निकोबार द्वीप समूह के पास एक्सटेंडेड वर्जन मिसाइल का परीक्षण किया जा सकता है। ब्रह्मोस मिसाइल के परीक्षण के बारे में अटकलों को तब हवा मिली जब 510 किलोमीटर नो-फ्लाई जोन के लिए एयरफोर्स को नोटिस जारी किया गया।

author-image
Shailendra Gautam
एडिट
Brahmos Missile

नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्कः सीमा पर बढ़ते तनाव के बीच भारत जल्द ही भारतीय महासागर क्षेत्र में एक्सटेंडेड रेंज ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल के एक्सपोर्ट वेरिएंट का परीक्षण कर सकता है, जिसमें स्वदेशी तकनीक ज्यादा होंगी। एक रिपोर्ट के मुताबिक शुक्रवार और शनिवार के बीच अंडमान निकोबार द्वीप समूह के पास किसी भी समय के दौरान एक्सटेंडेड वर्जन मिसाइल का परीक्षण किया जा सकता है।  Indian missile attack Pakistan | Cruise Missiles

Advertisment

अंडमान के 510 किलोमीटर नो-फ्लाई जोन के लिए एयरफोर्स को नोटिस 

एक्सटेंडेड रेंज ब्रह्मोस मिसाइल के परीक्षण के बारे में अटकलों को तब हवा मिली जब 510 किलोमीटर नो-फ्लाई जोन के लिए एयरफोर्स को नोटिस (NOTAM) जारी किया गया। हालांकि इस बारे में कोई आधिकारिक बयान नहीं है कि यह बैलिस्टिक मिसाइल परीक्षण होगा या क्रूज मिसाइल। न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट कहती है कि एक्सटेंडेड रेंज ब्रह्मोस के एरियल वर्जन को लेकर यह एक अहम परीक्षण हो सकता है। ब्रह्मोस एक विश्व स्तरीय हथियार है। फिलहाल प्रयास किए जा रहे हैं कि इसमें स्वदेशी तकनीक को ज्यादा से ज्यादा डाला जाए। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान से ब्रह्मोस सुर्खियों में है।

450 किलोमीटर तक मार कर सकती है क्रूज मिसाइल

Advertisment

भारत-रूस संयुक्त की भागीदारी के तहत विकसित सुपरसोनिक ब्रह्मोस एक दो-चरणीय क्रूज मिसाइल है। शुरुआत में 290 किलोमीटर तक के लक्ष्यों को नष्ट करने के लिए डिजाइन की गई इस मिसाइल की मारक क्षमता को एमटीसीआर के जरिये 450 किलोमीटर से अधिक तक बढ़ा दिया गया है। लगभग 2.5 टन वजनी ब्रह्मोस का हवाई संस्करण सुखोई-30 लड़ाकू विमान पर तैनात किया जाने वाला सबसे भारी हथियार है, जिसे हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) ने विकसित किया है। इसे अब भूमि, समुद्र और वायु प्लेटफ़ॉर्म से लॉन्च किया जा सकता है।

ब्रह्मोस मिसाइल एक पायलट रहित विमान के समान है जिसे पनडुब्बी, जहाज या लड़ाकू विमान से लॉन्च किया जा सकता है। इसकी गति 2.8 मैक है। ब्रह्मोस रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) और रूसी संघ के NPO मशिनोस्ट्रोयेनिया के बीच एक संयुक्त उद्यम है। उन्होंने मिलकर ब्रह्मोस एयरोस्पेस का गठन किया है। इसकी सटीकता, गतिशीलता और मारक क्षमता के कारण दूसरा कोई हथियार इसके आगे नहीं ठहरता। 

ब्रह्मोस की मार से बेहाल हो गया था पाकिस्तान

Advertisment

सूत्रों का कहना है कि आपरेशन सिंदूर के दौरान भारत की सेना ने ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों से कई एयरबेसों पर हमला करके पाकिस्तान को युद्ध विराम के लिए सहमत होने पर मजबूर कर दिया था। भारत ने ब्रह्मोस का उपयोग तब किया जब पाकिस्तान ने अपनी फतह 2 बैलिस्टिक मिसाइलों से नई दिल्ली को निशाना बनाने की कोशिश की। इनको दिल्ली से 125 किलोमीटर दूर हरियाणा के सिरसा के पास एस 400 एयर डिफेंस सिस्टम ने रोक दिया था। आपरेशन के दौरान भारत ने कई एयरबेसों को निशाना बनाया, जिसमें इस्लामाबाद से सिर्फ 10 किलोमीटर दूर रावलपिंडी के चकलाला का नूर खान एयरबेस भी शामिल है। यह पहली बार था जब भारत ने युद्ध में ब्रह्मोस का इस्तेमाल किया। ब्रह्मोस को सुखोई Su-30MKI फाइटर जेट पर लगाया गया था, जिसने नूर खान (चकलाला) के साथ कई एयरबेसों को निशाना बनाया। क्रूज मिसाइल का उपयोग पाकिस्तान की परमाणु शक्ति के रूप में छवि को कमजोर करने के लिए किया गया था। यह एक ऐसा मोड़ था जिसने पाकिस्तानी सेना को बैकफुट पर ला दिया। एक दिन पहले भारत ने लाहौर में वायु रक्षा प्रणाली पर हमला किया था। 


India, extended-range BrahMos, Indian Ocean region,  BrahMos cruise missile, indigenous components, Andaman Nicobar Islands

Indian missile attack Pakistan Cruise Missiles missile India
Advertisment
Advertisment