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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क। भारत और जापान के बीच रक्षा और सुरक्षा सहयोग लगातार मजबूत हो रहा है। दोनों देश पूरी तन्मयता से रक्षा सहयोग पर एक-दूसरे के साथ आगे बढ़ रहे हैं। विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने कहा कि हाल के वर्षों में यह दोनों देशों की साझेदारी का अहम स्तंभ बन गया है। इसी वर्ष मई में भारत और जापान के रक्षा मंत्रियों की बैठक हुई थी, जिसमें कई मुद्दों पर विस्तार से चर्चा हुई, खासकर डिफेंस इक्विपमेंट और टेक्नोलॉजी सहयोग पर। दोनों देशों के बीच बातचीत हुई, इसके दूरगामी परिणाम निकलेंगे।
भारत- जापान विकसित कर रहे “यूनीकॉर्न”
भारत और जापान मिलकर यूनिफाइड कॉम्प्लेक्स रेडियो एंटीना (UNICORN Project) विकसित कर रहे हैं। इस परियोजना के लिए नवंबर 2024 में समझौता हुआ था। इसके अलावा, भारतीय नौसेना और जापान की मैरीटाइम सेल्फ-डिफेंस फोर्स भारत में शिप मेंटेनेंस के क्षेत्र में सहयोग की संभावनाओं पर काम कर रही हैं। विदेश सचिव ने बताया कि दोनों देशों की नामित एजेंसियों के बीच कई अन्य सुरक्षा और रणनीतिक मुद्दों पर भी चर्चा चल रही है। वहीं, ISRO और जापानी स्पेस एजेंसी (JAXA) मिलकर LUPEX (Lunar Polar Exploration Mission) पर काम कर रहे हैं, जिसे भारत के आगामी चंद्रयान-5 मिशन के साथ जोड़ा गया है। यह प्रोजेक्ट भारतीय स्पेस स्टार्टअप्स के लिए भी बड़ा अवसर लेकर आ रहा है।
क्या है यूनिकॉर्न मस्तूल समझौता
टोक्यो में आयोजित एक समारोह में भारत और जापान के बीच समझौते पर औपचारिक हस्ताक्षर और आदान-प्रदान किया गया था। यूनिकॉर्न मस्तूल नौसेना की अगली पीढ़ी की संचार प्रणाली है, जो कई संचार तकनीकों को एकीकृत करती है और एंटेना के रडार क्रॉस सेक्शन (RCS) को कम करके नौसैनिक जहाजों की स्टेल्थ क्षमता को और मजबूत बनाती है। एंटेना को रेडोम (Radome) के भीतर समेकित करने से दुश्मन के लिए नौसैनिक जहाजों का पता लगाना और कठिन हो जाता है। इससे संवेदनशील परिस्थितियों में नौसेना की परिचालन क्षमता में उल्लेखनीय सुधार होगा।
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