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कौन होगा जगदीप धनखड़ का उत्तराधिकारी? PC मोदी निर्वाचन अधिकारी नियुक्त

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे से देश की सियासत में हलचल है। निर्वाचन आयोग ने नए उपराष्ट्रपति चुनाव की तैयारी तेज कर दी है, पीसी मोदी बने निर्वाचन अधिकारी। विपक्ष संयुक्त उम्मीदवार उतारने की तैयारी में है, जबकि एनडीए संख्याबल में मजबूत दिख रहा है।

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Ajit Kumar Pandey
कौन होगा जगदीप धनखड़ का उत्तराधिकारी? PC मोदी निर्वाचन अधिकारी नियुक्त | यंग भारत न्यूज

कौन होगा जगदीप धनखड़ का उत्तराधिकारी? PC मोदी निर्वाचन अधिकारी नियुक्त | यंग भारत न्यूज Photograph: (Google)

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नई दिल्ली, वाईबीएन ​डेस्क ।देश में उपराष्ट्रपति चुनाव की तैयारियां शुरू हो गई है! जगदीप धनखड़ के अप्रत्याशित इस्तीफे के बाद, निर्वाचन आयोग ने राज्यसभा महासचिव पीसी मोदी को इस महत्वपूर्ण चुनाव का निर्वाचन अधिकारी नियुक्त किया गया है। साथ ही दो सहायक निर्वाचन अधिकारियों की भी नियुक्ति हुई है। यह कदम राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनाव नियम 1974 के तहत उठाया गया है, और अगले कुछ ही दिनों में चुनाव कार्यक्रम की आधिकारिक घोषणा भी कर दी जाएगी। यह घटनाक्रम न केवल देश की राजनीतिक दिशा तय करेगा, बल्कि उपराष्ट्रपति चुनाव 2025 में एक नए अध्याय की शुरुआत भी करेगा।

निर्वाचन आयोग के अनुसार, लोकसभा और राज्यसभा के महासचिव बारी-बारी से इन चुनावों की जिम्मेदारी निभाते हैं। पिछले चुनाव लोकसभा महासचिव ने संभाले थे, इसलिए इस बार यह पूरी प्रक्रिया राज्यसभा महासचिव पीसी मोदी के नेतृत्व में संपन्न होगी। उनके साथ राज्यसभा सचिवालय की संयुक्त सचिव गरिमा जैन और निदेशक विजय कुमार सहायक निर्वाचन अधिकारी के रूप में कार्य करेंगे। आयोग जल्द ही इस संबंध में आधिकारिक अधिसूचना जारी करेगा। कानून एवं न्याय मंत्रालय से परामर्श और राज्यसभा उपसभापति की सहमति के बाद यह फैसला लिया गया है, जो इस उपराष्ट्रपति चुनाव की गंभीरता को दर्शाता है।

जगदीप धनखड़ का इस्तीफा: स्वास्थ्य या राजनीति?

जगदीप धनखड़ के इस्तीफे ने कई अटकलों को जन्म दिया है। जहां आधिकारिक तौर पर स्वास्थ्य कारणों का हवाला दिया गया है, वहीं राजनीतिक हलकों में यह चर्चा जोरों पर है कि क्या यह इस्तीफा मौजूदा सरकार के रवैये से उनकी नाराजगी का परिणाम था। विपक्ष इस मुद्दे को भुनाने की पूरी तैयारी में है, और इसे एक बड़े राजनीतिक संदेश के रूप में पेश करने की कोशिश कर रहा है। यह सवाल हर किसी के मन में है: क्या वास्तव में स्वास्थ्य कारणों से ही धनखड़ ने पद छोड़ा है, या इसके पीछे कोई और गहरा राजनीतिक रहस्य छिपा है? इस रहस्य पर से पर्दा उठना अभी बाकी है।

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विपक्ष की संयुक्त उम्मीदवार उतारने की रणनीति

विपक्षी गठबंधन इस उपराष्ट्रपति चुनाव में एक बार फिर संयुक्त उम्मीदवार उतारने की रणनीति पर काम कर रहा है। उनका मानना है कि ऐसा करने से देश में एक मजबूत राजनीतिक संदेश जाएगा। पिछली बार मार्गरेट अल्वा को संयुक्त उम्मीदवार बनाया गया था, और इस बार भी विपक्ष एकजुटता का प्रदर्शन कर सरकार पर दबाव बनाने की कोशिश करेगा। विपक्षी खेमा इस बात को जोर-शोर से उठा रहा है कि धनखड़ ने मौजूदा सरकार के तौर-तरीकों से नाखुश होकर इस्तीफा दिया है, और वे इसे जनता के बीच एक बड़ा मुद्दा बनाने की फिराक में हैं। यह रणनीति क्या रंग लाएगी, यह तो आने वाला समय ही बताएगा।

संख्या बल: भाजपा का पलड़ा भारी

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हालांकि विपक्ष एकजुटता का प्रदर्शन कर रहा है, लेकिन संख्या बल के लिहाज से भाजपा का पलड़ा भारी दिख रहा है। संसद के दोनों सदनों में कुल 782 सदस्य हैं, और जीत के लिए पहली वरीयता के 392 मतों की आवश्यकता होगी। इस चुनाव में लोकसभा और राज्यसभा के मनोनीत सदस्यों सहित सभी सदस्य अपने मताधिकार का प्रयोग करते हैं। वर्तमान में, भाजपा गठबंधन के पास लोकसभा में 543 सांसदों में से 293 सदस्य हैं। राज्यसभा में, कुल 240 सदस्यों में से एनडीए के पास 130 सदस्य हैं, जबकि इंडिया गठबंधन के पास 79 सदस्य हैं। ये आंकड़े साफ दर्शाते हैं कि भाजपा के लिए अपना उम्मीदवार जिताना अपेक्षाकृत आसान होगा, बशर्ते कोई अप्रत्याशित घटना न हो।

भाजपा का मंथन: कौन होगा अगला चेहरा?

सूत्रों के अनुसार, भाजपा जल्द ही उपराष्ट्रपति पद के लिए अपने दावेदार पर मंथन शुरू करेगी। सहयोगी दलों की राय है कि इस बार पार्टी किसी "प्रयोगधर्मिता" के बजाय संगठनात्मक मजबूती और वैचारिक शुचिता पर ध्यान केंद्रित करेगी। इसका अर्थ है कि जगदीप धनखड़ की तरह दूसरे दलों से आए नेता की बजाय, पार्टी अपने किसी अनुभवी और वफादार नेता को चुनने पर विचार कर सकती है। इस बीच, जदयू सांसद हरिवंश के नाम पर भी विचार किए जाने की चर्चा है। उन्होंने राज्यसभा के उपसभापति के तौर पर अपने करीब सात साल के कार्यकाल में सत्ताधारी दल का भरोसा हासिल किया है। भाजपा का यह आंतरिक मंथन काफी दिलचस्प होगा, क्योंकि इससे यह पता चलेगा कि पार्टी का शीर्ष नेतृत्व इस महत्वपूर्ण पद के लिए किसे उपयुक्त मानता है।

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नए उपराष्ट्रपति का चुनाव देश की राजनीति के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित होगा। यह न केवल सत्ताधारी दल के लिए अपनी स्थिति मजबूत करने का अवसर है, बल्कि विपक्ष के लिए भी अपनी एकजुटता और प्रभाव दिखाने का एक मंच है। धनखड़ के इस्तीफे के बाद उठे सवालों के बीच, आने वाले दिनों में और भी कई राजनीतिक घटनाक्रम देखने को मिल सकते हैं। उपराष्ट्रपति चुनाव 2025 की प्रक्रिया अब तेजी से आगे बढ़ रही है, और सबकी निगाहें अगले उम्मीदवार पर टिकी हैं।

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