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भारत का अगला उपराष्ट्रपति कौन? जानें चुनाव की पूरी प्रक्रिया | यंग भारत न्यूज Photograph: (Google)
नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क । दिल्ली की सत्ता के गलियारों में अचानक से हलचल तेज हो गई है। वजह है भारत के उपराष्ट्रपति पद के लिए होने वाला चुनाव। 9 सितंबर को होने वाले इस मतदान में एनडीए के उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन और विपक्ष के उम्मीदवार बी. सुदर्शन रेड्डी के बीच कड़ा मुकाबला है। इस चुनाव का परिणाम न सिर्फ राज्यसभा के भविष्य को तय करेगा, बल्कि आने वाले बिहार चुनाव और देश की राजनीतिक दिशा पर भी गहरा असर डालेगा।
फाइनेंसियल एक्सप्रेस के अनुसार, जगदीप धनखड़ का उपराष्ट्रपति पद से अचानक इस्तीफा देना, मानसून सत्र के बीच एक राजनीतिक बम की तरह फटा। उनके इस्तीफे ने सत्ता और विपक्ष दोनों को सकते में डाल दिया, क्योंकि किसी ने भी इस अनियोजित चुनाव की तैयारी नहीं की थी। अब, दोनों खेमे अपने-अपने उम्मीदवारों की जीत सुनिश्चित करने के लिए कमर कस चुके हैं। एनडीए ने जहां तमिलनाडु के कद्दावर नेता सीपी राधाकृष्णन को मैदान में उतारा है, वहीं विपक्ष ने तेलंगाना के पूर्व सुप्रीम कोर्ट जज बी. सुदर्शन रेड्डी को अपना चेहरा बनाया है।
यह चुनाव सिर्फ एक पद के लिए नहीं, बल्कि रणनीतिक वर्चस्व की लड़ाई है। उपराष्ट्रपति राज्यसभा का पदेन सभापति होता है, और यही वजह है कि दोनों पक्षों के लिए यह जीत महत्वपूर्ण हो जाती है। राज्यसभा में सरकार के लिए बिल पास कराना एक बड़ी चुनौती रही है, और उपसभापति का पद हमेशा एक निर्णायक भूमिका निभाता है। इस चुनाव का परिणाम राज्यसभा में सत्ता के समीकरणों को बदल सकता है, जो सरकार के विधायी एजेंडे के लिए बेहद अहम होगा।
एक रहस्यमय इस्तीफा और नई जंग की शुरुआत
जगदीप धनखड़ ने अपने इस्तीफे की वजह स्वास्थ्य बताई है, लेकिन राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इसके पीछे और भी कई कारण हो सकते हैं। उनका कार्यकाल अभी ढाई साल बाकी था, ऐसे में अचानक इस्तीफा देना कई सवाल खड़े करता है। इस अप्रत्याशित घटनाक्रम ने दोनों खेमों को मजबूर कर दिया है कि वे अपनी रणनीतिक बिसात को नए सिरे से बिछाएं। यह चुनाव बिहार चुनाव से ठीक पहले हो रहा है, जो इसे और भी दिलचस्प बना देता है।
हालांकि इस जीत से सीधे तौर पर कोई चुनावी फायदा नहीं होगा, लेकिन यह देश में राजनीतिक हवा का रुख जरूर बता देगा।
उपराष्ट्रपति का चुनाव: वोटिंग और प्रक्रिया
अब सबसे बड़ा सवाल है कि भारत के उपराष्ट्रपति का चुनाव होता कैसे है? यह प्रक्रिया राष्ट्रपति चुनाव से काफी अलग है और इसमें कुछ खास नियम होते हैं, जिन्हें समझना जरूरी है।
India VP Election 2025: कौन करता है मतदान?
उपराष्ट्रपति का चुनाव एक 'इलेक्टोरल कॉलेज' (निर्वाचक मंडल) द्वारा होता है, जिसमें संसद के दोनों सदनों – लोकसभा और राज्यसभा – के सभी सदस्य (चुने हुए और मनोनीत) शामिल होते हैं।
लोकसभा सदस्य: 543 राज्यसभा सदस्य: 245 (जिनमें 12 मनोनीत भी शामिल हैं) कुल मिलाकर 788 सांसद इस चुनाव में वोट डालते हैं।
राष्ट्रपति चुनाव के विपरीत, इसमें राज्य विधानसभाओं के सदस्य शामिल नहीं होते।
मतदान की खास प्रक्रिया: 'सिंगल ट्रांसफरेबल वोट' उपराष्ट्रपति का चुनाव "आनुपातिक प्रतिनिधित्व" प्रणाली के तहत 'सिंगल ट्रांसफरेबल वोट' के माध्यम से होता है।
गुलाबी बैलेट पेपर: सांसदों को गुलाबी रंग के बैलेट पेपर दिए जाते हैं।
वरीयता क्रम: मतदाता (सांसद) उम्मीदवारों को वरीयता के आधार पर वोट देते हैं। उन्हें अपनी पसंद के अनुसार 1, 2, 3, आदि अंक लिखकर अपनी प्राथमिकता बतानी होती है।
गुप्त मतदान: मतदान गुप्त होता है और पार्टी व्हिप लागू नहीं होता।
वोट का मूल्य: इस चुनाव में हर सांसद के वोट का मूल्य बराबर होता है, यानी प्रत्येक वोट की कीमत 'एक' होती है। जीत का कोटा और गिनती का गणित उपराष्ट्रपति चुनाव में जीत के लिए एक उम्मीदवार को एक निश्चित 'कोटा' हासिल करना होता है।
यह कोटा कैसे तय होता है, यह समझना बेहद रोचक है। जीत का कोटा कुल वैध वोटों की संख्या को दो से विभाजित कर, उसमें एक जोड़ा जाता है।
उदाहरण: यदि कुल वैध वोट 780 हैं, तो कोटा होगा (780/2) + 1 = 391।
India VP Election 2025: मतगणना की प्रक्रिया
पहला राउंड: सबसे पहले, उम्मीदवारों को मिली पहली वरीयता के वोटों की गिनती होती है। यदि किसी उम्मीदवार को पहले ही राउंड में जीत का कोटा मिल जाता है, तो उसे विजयी घोषित कर दिया जाता है।
दूसरा राउंड: अगर पहले राउंड में कोई भी उम्मीदवार कोटा हासिल नहीं कर पाता, तो सबसे कम वोट पाने वाले उम्मीदवार को बाहर कर दिया जाता है। उसके वोट रद्द नहीं होते, बल्कि उन वोटों पर अंकित दूसरी वरीयता के आधार पर उन्हें बाकी उम्मीदवारों में बांट दिया जाता है।
यह प्रक्रिया तब तक चलती है जब तक कोई उम्मीदवार आवश्यक कोटा हासिल नहीं कर लेता। इस पूरी प्रक्रिया का मकसद यह सुनिश्चित करना है कि विजेता को सांसदों के बीच व्यापक समर्थन प्राप्त हो।
एक महत्वपूर्ण शर्त: मतदान के लिए चुनाव आयोग द्वारा दिया गया विशेष पेन ही इस्तेमाल करना होता है। किसी और पेन का इस्तेमाल करने पर वोट रद्द हो जाता है। यह चुनाव न सिर्फ एक संवैधानिक पद की पूर्ति करेगा, बल्कि देश की राजनीतिक दिशा के लिए भी एक संकेत देगा।
एनडीए अपनी बहुमत की ताकत दिखाने को तैयार है, जबकि विपक्ष इस लड़ाई को नैतिक और वैचारिक लड़ाई बता रहा है। दोनों उम्मीदवारों के दक्षिण भारत से होने के कारण यह चुनाव और भी अहम हो जाता है।
9 सितंबर को होने वाले मतदान के बाद दोपहर तक ही परिणाम आने की उम्मीद है और तब तक पूरे देश की नजरें संसद पर टिकी रहेंगी।
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