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क्या 'ऑपरेशन सिंदूर 2.0' की तैयारी में है भारत? जनरल मुनीर के इस बयान ने बढ़ाया खुफिया अलर्ट! | यंग भारत न्यूज Photograph: (यंग भारत न्यूज)
नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क ।पाकिस्तान के आर्मी चीफ जनरल आसिम मुनीर का कश्मीर पर दिया गया हालिया बयान दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ा रहा है। मुनीर ने कश्मीर में आतंकवाद को 'स्वतंत्रता संग्राम' बताया, जिससे भारत की चिंताएं बढ़ गई हैं। इस बयान के बाद भारत को सतर्क रहने और किसी भी आतंकी गतिविधि के खिलाफ कड़ा जवाब देने के लिए तैयार रहने की जरूरत है, खासकर 'ऑपरेशन सिंदूर' के संभावित दूसरे चरण के मद्देनजर।
बता दें कि पाकिस्तान के आर्मी चीफ जनरल आसिम मुनीर ने कराची में स्थित नौसेना के एक पासिंग आउट समारोह में भारत के खिलाफ तीखी टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि भारत जिसे आतंकवाद कहता है, वह दरअसल कश्मीरियों का स्वतंत्रता के लिए वैध संघर्ष है, जिसे अंतरराष्ट्रीय कानून मान्यता देता है। मुनीर ने 'ऑपरेशन सिंदूर' का भी जिक्र किया और दावा किया कि जिन लोगों ने कश्मीरी लोगों की इच्छा को दबाने की कोशिश की, उन्होंने इस आंदोलन को और प्रासंगिक बना दिया है।
यह बयान पाकिस्तान के उस पुराने रुख को दोहराता है, जिसमें वह कश्मीर में सक्रिय आतंकवादी संगठनों को 'स्वतंत्रता सेनानी' बताता रहा है। यह सीधे तौर पर भारत के इस आरोप की पुष्टि करता है कि पाकिस्तान आतंकवादियों को न सिर्फ समर्थन देता है, बल्कि उन्हें नैतिक रूप से भी उकसाता है। इस तरह के बयानों से भारत में आतंकी हमलों का खतरा बढ़ जाता है, जैसा कि अतीत में कई बार देखा गया है।
पाकिस्तान की रणनीति: कश्मीर को अंतरराष्ट्रीय मंच पर जीवित रखना
पाकिस्तान का कश्मीर पर बार-बार बयान देना और इसे संयुक्त राष्ट्र में विवादित बताना उसकी रणनीति का एक अहम हिस्सा है। इसका मुख्य उद्देश्य कश्मीर मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर हमेशा जीवित रखना है। पाकिस्तान का एक वर्ग मानता है कि 'ऑपरेशन सिंदूर' की वजह से कश्मीर मुद्दे का अंतरराष्ट्रीयकरण हुआ है।
दुनिया के दो परमाणु संपन्न देश होने के कारण भारत-पाकिस्तान की गतिविधियों पर वैश्विक समुदाय की नजर रहती है। पाकिस्तान का मानना है कि हालिया टकराव ने कश्मीर को अंतरराष्ट्रीय कवरेज दी है और यह मुद्दा एक बार फिर बातचीत की मेज पर आ सकता है।
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप की बयानबाजियों ने भी जम्मू-कश्मीर के मुद्दे को बार-बार चर्चा में ला दिया है। आसिम मुनीर और पाकिस्तान सरकार इन्हीं परिस्थितियों का फायदा उठाना चाहते हैं, इसलिए वे कश्मीर पर बार-बार बयानबाजी कर रहे हैं। गौरतलब है कि हाल ही में आसिम मुनीर ने ट्रंप से मुलाकात भी की है, जिससे इन बयानों को और बल मिला है।
आंतरिक संकट और कश्मीर राग: पाकिस्तान का दोहरा खेल
कश्मीर पर पाकिस्तान की विदेश नीति के फोकस होने की एक और बड़ी वजह है: पाकिस्तान अभी घोर आंतरिक संकट में फंसा हुआ है। टीटीपी (तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान), बलोच लिबरेशन आर्मी के हमले, राजनीतिक असंतोष, और पानी के मुद्दे पाकिस्तान में हंगामा बरपा रहे हैं। ऐसे मौके पर कश्मीर का मुद्दा उठाकर सरकार और सेना दोनों ही अपनी स्थिति मजबूत करते हैं। इसलिए आसिम मुनीर हर मुमकिन मौके पर कश्मीर का राग छेड़ देते हैं ताकि देश का ध्यान आंतरिक समस्याओं से हटकर एक 'बाहरी दुश्मन' पर केंद्रित हो जाए। यह एक क्लासिक तरीका है अपनी जनता को एकजुट करने का, भले ही इसका अंजाम कितना भी खतरनाक क्यों न हो।
क्या मुनीर आतंकियों को उकसा रहे हैं?
17 अप्रैल 2025 को आसिम मुनीर ने 'ओवरसीज पाकिस्तानी कन्वेंशन 2025' में कहा था कि पाकिस्तान के लोगों को अपने देश की कहानी बच्चों को जरूर सुनानी चाहिए, जिससे वे पाकिस्तान की कहानी न भूलें। उन्होंने हिंदुओं के प्रति नफरत भरे भाव को जाहिर करते हुए कहा था, "हमारे पूर्वजों ने सोचा कि हम जीवन के हर संभव क्षेत्र में हिंदुओं से अलहदा हैं। हमारा मजहब अलग है, हमारे रीति-रिवाज अलग हैं। हमारी संस्कृति अलग है और हमारी सोच अलग है। हमारी महत्वाकांक्षाएं अलग हैं। यह दो राष्ट्र के सिद्धांत की नींव थी।"
इसी संबोधन में आसिम मुनीर ने कश्मीर को पाकिस्तान के गले की नस बताया था और कहा था, "कश्मीर पर हमारा और सरकार का रुख बिल्कुल स्पष्ट है। हम इसे नहीं भूलेंगे। हम अपने कश्मीरी भाइयों को नहीं छोड़ेंगे।" मुनीर के इसी बयान के बाद पहलगाम में हमला हुआ था।
सवाल यह है कि क्या आसिम मुनीर इस तरह के बयान फिर देकर पाकिस्तान के फ्रीज आतंकी एलिमेंट को कश्मीर पर हमले के लिए उकसा रहे हैं? गौरतलब है कि 17 अप्रैल के हमले की जिम्मेदारी टीआरएफ (द रेजिस्टेंस फ्रंट) नाम के दहशतगर्द संगठन ने ली थी। मुनीर की बयानबाजी से पाकिस्तानी सेना और आईएसआई का आतंकवादियों को संरक्षण स्पष्ट होता है, जिससे भारत में हमलों का खतरा बढ़ रहा है। ये बयान लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकी संगठनों को प्रोत्साहन देते हैं, जो पहले ही भारत में आतंकी कृत्यों में शामिल रहे हैं। हाल ही में रिपोर्ट आई थी कि पाकिस्तान 'ऑपरेशन सिंदूर' के दौरान नष्ट हो चुके आतंकी शिविरों को फिर से एक्टिवेट करने की कोशिश कर रहा है।
आतंकवाद को 'एक्ट ऑफ वॉर' मानेगा भारत
पहलगाम हमले और 'ऑपरेशन सिंदूर' के दौरान भारत ने पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के खिलाफ खुलकर स्टैंड लिया है। भारत ने साफ कर दिया है कि भविष्य में अगर भारत पर कोई भी आतंकवादी हमला हुआ तो इस कृत्य को भारत के खिलाफ युद्ध की कार्रवाई या एक्ट ऑफ वॉर माना जाएगा। इसके बाद भारत इसी अनुरूप में इसका करारा जवाब देगा। यह एक बड़ा बदलाव है भारत की नीति में, जो अब आतंकवाद को किसी मामूली अपराध की तरह नहीं, बल्कि सीधे युद्ध की घोषणा के रूप में देखेगा। यह पाकिस्तान के लिए एक स्पष्ट चेतावनी है कि अब किसी भी आतंकी गतिविधि को हल्के में नहीं लिया जाएगा।
क्या 'ऑपरेशन सिंदूर-2' का रास्ता तैयार हो रहा?
गौरतलब है कि जब 10 मई को भारत-पाकिस्तान के बीच पाकिस्तान की पुकार पर सीजफायर हुआ, तो भारत ने प्रधानमंत्री मोदी और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने साफ कहा कि ऑपरेशन सिंदूर खत्म नहीं हुआ है, बस रुका है। भारत का संदेश साफ था कि अगर फिर से जम्मू-कश्मीर समेत भारत की जमीन पर कहीं भी आतंकी हमले हुए, तो भारत का जवाबी एक्शन 'ऑपरेशन सिंदूर-2' के रूप में फिर से शुरू हो जाएगा।
पीएम मोदी ने 12 मई को राष्ट्र के नाम संबोधन में कहा था कि 'ऑपरेशन सिंदूर' अब न्यू नॉर्मल है। उन्होंने आगे कहा था कि अगर अब भारत पर कोई भी आतंकी हमला होता है, तो इसका जवाब दिया ही जाएगा। "न्यू नॉर्मल" का अर्थ है कि अगर अब भारत पर टेरर अटैक होता है, तो इन आतंकवादी हमलों का जवाब 'ऑपरेशन सिंदूर' जैसे परिमाण में ही सटीक सैन्य कार्रवाइयों, अत्याधुनिक हथियारों जैसे राफेल, ब्रह्मोस मिसाइल, और आकाश जैसे स्वदेशी हथियारों से दिया जाएगा।
इसलिए आसिम मुनीर अगर फिर से किसी हिमाकत का सपना देख रहे हैं, तो उन्हें 7 मई और 10 मई के जैसे भारत के विध्वंसक और ताबड़तोड़ प्रहार के लिए तैयार रहना होगा। भारत अब किसी भी उकसावे पर चुप नहीं बैठेगा और कड़ा जवाब देगा। यह स्थिति दोनों देशों के बीच तनाव को और बढ़ा सकती है, जिससे क्षेत्रीय शांति भंग होने का खतरा है।
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