नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क | पिछले दिनों जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले और उसके जवाब में भारत द्वारा चलाए गए 'ऑपरेशन सिन्दूर' ने एक बार फिर से भारत-पाक संबंधों में तनाव को बढ़ाते हुए दोनों देशों को युद्ध के मोड़ पर ला कर खड़ा कर दिया है, बॉर्डर के दोनों तरफ से ड्रोन, मिसाइल और अन्य तरह के हथियारों से लगातार हमले हो रहे हैं। ऐसे में यह जानना बेहद ज़रूरी हो जाता है कि हमारे पड़ोसी देश पाकिस्तान ने अपनी सैन्य ताक़त को किस हद तक बढ़ाया है, उसका रक्षा बजट किस दिशा में इशारा करता हैऔर उसके जखीरे में कौन कौन से हथियार मौजूद हैं।
पाकिस्तान की रक्षा नीति उसकी भौगोलिक स्थिति, भारत के साथ पारंपरिक शक्ति असंतुलन, और आतंरिक सुरक्षा संकटों से गहराई से प्रभावित है। परमाणु हथियारों, मिसाइल क्षमताओं और वायु शक्ति पर आधारित यह रणनीति भारत को रोकने और देश के अंदर उठ रहे विद्रोही आंदोलनों को दबाने पर केंद्रित है। आर्थिक संकटों के बावजूद, पाकिस्तान लगातार सेना को प्राथमिकता देता आ रहा है, जिससे यह साफ होता है कि उसकी सैन्य सोच केवल बाहरी नहीं बल्कि आंतरिक कारकों से भी प्रेरित है।
1.रक्षा बजट और प्राथमिकताए
वर्ष 2024-25 में पाकिस्तान ने अपने रक्षा क्षेत्र के लिए 1.8 ट्रिलियन पाकिस्तानी रुपये (लगभग 6.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर) का बजट तय किया है, जो देश के कुल बजट का 16% और GDP का करीब 2.4% है। इस बजट का उपयोग सैनिकों के वेतन, संचालन और रख-रखाव के लिए किया जाता है, जबकि हथियारों की खरीद, परमाणु कार्यक्रम और ISI जैसी एजेंसियों का खर्च अलग से "गुप्त बजट" के रूप में दर्शाया जाता है। आर्थिक तंगी, IMF की शर्तों और बढ़ते कर्ज के बावजूद सेना को शीर्ष प्राथमिकता देना इस बात का संकेत है कि पाकिस्तान की सैन्य नीति राष्ट्रीय रणनीति का मूल हिस्सा है।
2.मिसाइल, परमाणु हथियार और हवाई ताकत
पाकिस्तान की मिसाइल प्रणाली उसकी रक्षा रणनीति की रीढ़ है। शाहीन-II और शाहीन-III जैसी बैलिस्टिक मिसाइलें भारत के अंदरूनी हिस्सों को लक्ष्य बनाने में सक्षम हैं। गजनवी और नसर जैसी अल्प दूरी की मिसाइलें खासतौर पर फील्ड युद्ध के लिए तैयार की गई हैं, जिनका उद्देश्य भारतीय "Cold Start" जैसी रणनीतियों को जवाब देना है। वहीं बाबर और RAAD जैसी क्रूज़ मिसाइलें भारत की एयर डिफेंस को चकमा देने के लिए विकसित की गई हैं। परमाणु हथियारों के क्षेत्र में पाकिस्तान के पास अनुमानित 160–170 वॉरहेड्स हैं, जो ज़मीन, हवा और समुद्र से लॉन्च किए जा सकते हैं। पाकिस्तान की स्पष्ट "First Use" नीति तो नहीं है, लेकिन वह "Full Spectrum Deterrence" के सिद्धांत का पालन करता है, जिसमें हर स्तर पर परमाणु जवाब देने की रणनीति शामिल है। वायुसेना में JF-17 Thunder, F-16, J-10C और Mirage III/V जैसे विमान हैं। इनमें F-16 और J-10C पाकिस्तान की सबसे उन्नत संपत्तियाँ हैं, जबकि JF-17 चीन के साथ मिलकर कम लागत में तैयार किया गया है।
3.समुद्री शक्ति और आंतरिक संचालन
पाकिस्तान की नौसेना भी धीरे-धीरे अपनी क्षमता बढ़ा रही है। Agosta 90B पनडुब्बियों के साथ-साथ चीन से निर्मित हो रही Hangor-Class सबमरीन समुद्र से परमाणु मिसाइल दागने की क्षमता प्रदान करेंगी। इसके अलावा, चीन और तुर्की से प्राप्त किए जा रहे आधुनिक युद्धपोत पाकिस्तान की समुद्री रणनीति को और मजबूत बना रहे हैं। आंतरिक सुरक्षा के मोर्चे पर, बलूचिस्तान, खैबर पख्तूनख्वा और सिंध में उग्रवाद और अलगाववादी गतिविधियों को कुचलने के लिए सेना का प्रयोग किया जा रहा है। इसके साथ ही ISI द्वारा प्रॉक्सी संगठनों और आतंकवादी समूहों का प्रयोग बाहरी रणनीतिक उद्देश्यों के लिए किया जा रहा है।
4.दीर्घकालिक रणनीति और संभावित जोखिम
पाकिस्तान की रक्षा नीति भारत के विरुद्ध संतुलन बनाने पर केंद्रित है। पारंपरिक सैन्य शक्ति में पिछड़ने की वजह से उसने परमाणु और टैक्टिकल क्षमताओं पर अधिक जोर दिया है। लेकिन यही रणनीति लंबे समय में आर्थिक स्थिरता के लिए खतरा बन सकती है। यदि पाकिस्तान ने रक्षा आधुनिकीकरण और आर्थिक सुधार के बीच संतुलन नहीं साधा, तो वह "सुरक्षा बनाम अर्थव्यवस्था" के एक गंभीर संकट में फंस सकता है।
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