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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क । रात की चुप्पी में जब शहर की रफ्तार थमती है, तब कुछ गलियों की रोशनी और भी तेज हो जाती है। इन्हीं गलियों में, कहीं कोठों की खिड़कियों के पीछे कुछ जोड़ी आंखें टकटकी लगाए देखती हैं- शायद किसी उम्मीद, किसी रोटी, किसी रिहाई की तलाश में। ये वो औरतें हैं जिनके नाम इतिहास में दर्ज नहीं होते, जिनके आंसू समाज की नैतिकता में कहीं खो जाते हैं। वेश्ववृत्ति की दुनिया- एक ऐसा दलदल, जिसमें कदम रखने के बाद लौटना लगभग नामुमकिन हो जाता है।
कोई पांच साल की उम्र में बेच दी जाती है, कोई प्रेम की आड़ में फंसाई जाती है, तो कोई बेरोजगारी और भुखमरी से हारकर खुद को इस धंधे में झोंक देती है। दर्द सिर्फ जिस्म का नहीं होता, आत्मा तक घिस जाती है। हर रात एक सौदा होता है- जिस्म का, इज़्ज़त का, और शायद ज़िंदगी का भी। इन महिलाओं की मुस्कुराहटें अक्सर नकली होती हैं, और उनका "ठहाका"-कभी-कभी अपने ही अस्तित्व पर कसा गया व्यंग्य होता है।
भारत में अनुमानित रूप से 8 लाख से अधिक महिलाएं और बच्चे वेश्यावृत्ति के जाल में फंसे हुए हैं, जिनमें से बड़ी संख्या तस्करी के ज़रिए लाई जाती हैं। नेपथ्य में छुपा यह धंधा असल में एक बहुआयामी त्रासदी है-जहां महिला शोषण, मानव तस्करी, गरीबी, लाचारी और समाजिक बेरुखी एक-दूसरे से जुड़ी हुई हैं।
ये महिलाएं अपराधी नहीं हैं, वो शिकार हैं-एक ऐसे सिस्टम की, जो उनके दर्द को देखना ही नहीं चाहता। वो सिर्फ देह नहीं बेच रहीं, वो हर रोज़ अपने सपनों की लाश का सौदा कर रही हैं।
क्या वेश्यावृत्ति भारत में अपराध है या पेशा? सुप्रीम कोर्ट ने 2022 में इसे 'पेशा' माना। फिर भी, समाज में इसे लेकर भ्रांतियां बनी हुई हैं। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सेक्स वर्कर्स के अधिकारों की मांग तेज़ हो रही है। आइए, इस पेशे की कानूनी और सामाजिक स्थिति को समझें।
भारत में वेश्यावृत्ति को लेकर कई भ्रांतियां हैं। सुप्रीम कोर्ट ने 2022 में इसे 'पेशा' मानते हुए सेक्स वर्कर्स को कानूनी सुरक्षा प्रदान की। हालांकि, समाज में अभी भी इसे अपराध की दृष्टि से देखा जाता है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सेक्स वर्कर्स के अधिकारों की मांग बढ़ रही है। इस लेख में हम वेश्यावृत्ति की कानूनी स्थिति, सामाजिक दृष्टिकोण और सेक्स वर्कर्स के अधिकारों पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
वेश्यावृत्ति: भारत में कानूनी स्थिति
भारत में वेश्यावृत्ति को लेकर कानून स्पष्ट नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने 2022 में इसे 'पेशा' माना, लेकिन इससे जुड़ी कई गतिविधियाँ जैसे कि दलाली, वेश्यालय चलाना और जबरन वेश्यावृत्ति कराना अवैध हैं।
सुप्रीम कोर्ट का 2022 का निर्णय
सुप्रीम कोर्ट ने 2022 में एक ऐतिहासिक निर्णय में कहा कि वेश्यावृत्ति एक पेशा है और सेक्स वर्कर्स को भी अन्य नागरिकों की तरह समान अधिकार प्राप्त हैं। कोर्ट ने पुलिस को निर्देश दिया कि वे सेक्स वर्कर्स के साथ सम्मानजनक व्यवहार करें और बिना कारण उन्हें परेशान न करें।
हालांकि कानून ने वेश्यावृत्ति को पेशा माना है, लेकिन समाज में इसे अभी भी हेय दृष्टि से देखा जाता है। सेक्स वर्कर्स को सामाजिक बहिष्कार, हिंसा और भेदभाव का सामना करना पड़ता है। एक अध्ययन के अनुसार, 73% सेक्स वर्कर्स ने अपने जीवन में कभी न कभी हिंसा का सामना किया है।
सामाजिक दृष्टिकोण
कानून के स्तर पर बदलाव के बावजूद समाज में वेश्यावृत्ति को लेकर नजरिया नकारात्मक ही रहा है। सेक्स वर्कर्स को
- सामाजिक बहिष्कार झेलना पड़ता है
- किराए पर मकान नहीं मिलता
- बच्चों को स्कूल में भेदभाव का सामना करना पड़ता है
- हिंसा और उत्पीड़न सहना पड़ता है
2021 के एक अध्ययन के अनुसार, 73% सेक्स वर्कर्स ने किसी न किसी रूप में हिंसा या दुर्व्यवहार की शिकायत की।
अंतरराष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य
दुनिया के विभिन्न देशों में वेश्यावृत्ति की स्थिति अलग-अलग है। अमेरिका में यह अवैध है, जबकि न्यूजीलैंड में इसे कानूनी मान्यता प्राप्त है। भारत में स्थिति मिश्रित है, जहां कुछ गतिविधियाँ वैध हैं और कुछ अवैध।
दुनिया के विभिन्न देशों में वेश्यावृत्ति की स्थिति अलग-अलग है
देश | स्थिति |
अमेरिका | अधिकांश राज्यों में अवैध |
नीदरलैंड | पूरी तरह से कानूनी |
न्यूजीलैंड | पूर्ण वैधता, सरकार द्वारा नियमन |
स्वीडन | ग्राहकों को अपराधी माना जाता है |
भारत मिश्रित मॉडल पर चलता है, जहां खुद का देह व्यापार करना वैध है लेकिन उससे जुड़ी कई गतिविधियां अपराध मानी जाती हैं।
सेक्स वर्कर्स के अधिकारों के लिए संघर्ष
भारत में कई संगठन सेक्स वर्कर्स के अधिकारों के लिए संघर्ष कर रहे हैं। ऑल इंडिया नेटवर्क ऑफ सेक्स वर्कर्स (AINSW) और दुर्गा महिला समन्वय समिति (DMSC) जैसे संगठन सेक्स वर्कर्स को कानूनी सहायता, स्वास्थ्य सेवाएं और सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने के लिए काम कर रहे हैं।
- AINSW (All India Network of Sex Workers): स्वास्थ्य, शिक्षा और कानूनी सहायता
- DMSC (Durbar Mahila Samanwaya Committee, कोलकाता): HIV जागरूकता, सामुदायिक संगठन
इंटरनेशनल सेक्स वर्कर्स डे
2 जून को इंटरनेशनल सेक्स वर्कर्स डे मनाया जाता है। यह दिन 1975 में फ्रांस के लियोन शहर में सेक्स वर्कर्स द्वारा किए गए प्रदर्शन की याद में मनाया जाता है, जब उन्होंने पुलिस की बर्बरता और सामाजिक भेदभाव के खिलाफ आवाज उठाई थी।
भारत में वेश्यावृत्ति की कानूनी स्थिति स्पष्ट है, लेकिन सामाजिक दृष्टिकोण में बदलाव की आवश्यकता है। सेक्स वर्कर्स को भी अन्य नागरिकों की तरह सम्मान और अधिकार मिलने चाहिए। समाज को चाहिए कि वह अपने दृष्टिकोण में बदलाव लाए और सेक्स वर्कर्स को समान नागरिक मान्यता प्रदान करे।
इस दिन का उद्देश्य
- सेक्स वर्कर्स को मानवीय गरिमा देना
- उनके अधिकारों की वकालत करना
- समाज में जागरूकता फैलाना
क्या आप इससे सहमत हैं? कमेंट करें।
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